सिरमौर: हरियाणा और उत्तराखंड की सीमाओं के साथ सटी सिरमौर जिले की पांवटा साहिब घाटी में अब एनाइडर सिस्टम जंगली जानवरों से लोगों की सुरक्षा करेगा. शुरुआती चरण में वन्य प्राणी विभाग ने जंगली जानवरों विशेषकर हाथियों के हमले से प्रभावित बहराल और पलहोड़ी गांवों के पास आधुनिक सुविधाओं से लैस यह दो उपकरण स्थापित किए है. अपनी तरह के इस विशेष इलेक्ट्रॉनिक उपकरण की खास बात यह है कि इससे जंगलों के पास रहने वाले लोगों की सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सकेगा. वहीं, इस सिस्टम से जंगली जानवर भी दूर भागेंगे.
उत्तराखंड और हरियाणा से पहुंच रहे जंगली जानवर
दरअसल उपमंडल पांवटा साहिब में कर्नल शेरजंग नेशनल पार्क सिम्बलवाड़ा मौजूद है. 28 स्क्वायर किलोमीटर क्षेत्रफल में फैले इस नेशनल पार्क में पड़ोसी राज्य उत्तराखंड के राजा जी नेशनल पार्क और हरियाणा के कलेसर नेशनल पार्क से अक्सर जंगली जानवरों का आवागमन होता है. इसका बड़ा कारण यह है कि कलेसर पार्क के साथ सिम्बलवाड़ा नेशनल पार्क की सीमाएं भी लगती है. विशेष तौर पर एक लम्बे अरसे से यमुना नदी पार कर बहराल से होते हुए हाथियों का यहां आवागमन हो रहा है. सिम्बलवाड़ा के साथ बहराल और पलहोड़ी रिहायशी इलाके है. लिहाजा अक्सर इन क्षेत्रों में हाथी खेतों में फसलों इत्यादि को भारी नुकसान पहुंचाते हैं.
पांवटा साहिब में हर साल हाथियों के झुंड मचाते हैं तबाही
यही नहीं पूर्व में सिम्बलवाड़ा पार्क में टाइगर की चहलकदमी भी हो चुकी है. बहराल और पलहोड़ी ही नहीं बल्कि पांवटा साहिब घाटी के कई इलाकों में हाथियों का आवागमन होता है. हाथियों द्वारा रिहायशी इलाकों में जानमाल के नुकसान की कई घटनाएं भी सामने आ चुकी हैं. हाथियों की रिहायशी इलाकों में दस्तक देने जैसी इसी गंभीर समस्या को देखते हुए वन्य प्राणी विभाग शिमला द्वारा लोगों की सुरक्षा के मद्देनजर उचित व कड़े कदम उठाए जा रहे हैं. इसी कड़ी में नेशनल पार्क सिम्बलवाड़ा के साथ लगते हाथी प्रभावित क्षेत्रों बहराल और पलहोड़ी गांवों के पास वन्य प्राणी विभाग द्वारा यह दो एनाइडर सिस्टम स्थापित किए गए हैं, ताकि जंगली जानवरों विशेषकर हाथियों से लोगों के जान-माल की सुरक्षा की जा सके.
एनाइडर सिस्टम से दूर भागेंगे जंगली जानवर (ETV Bharat) इस तरह काम करता है एनाइडर सिस्टम
सिम्बलवाड़ा नेशनल पार्क के आरएफओ सुरेंद्र शर्मा ने बताया कि एनाइडर सिस्टम यानी एनिमल इंट्रूजन डिटेक्शन एंड रेपेलेंट सिस्टम. यह एक ऐसा वार्निंग एवं इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है, जो जंगली जानवरों से होने वाले नुकसान की रोकथाम के लिए बेहद कारगर माना जाता है. यह उपकरण अपनी रेंज में आने वाले जंगली जानवरों की आहट को दूर से ही भांप लेता है. यह उपकरण सोलर लाइट पर आधारित है, जो दिन के साथ-साथ रात में भी काम करता है. 30 मीटर की दूरी तक सेंसर के जरिए किसी भी जंगली जानवर को सेंस करके यह उपकरण एलईडी फ्लैश से उन्हें चौंकाकर अलग-अलग तरह की आवाजें निकालते हुए अलार्म बजाता है. इससे डरकर जंगली जानवर गांव की तरफ न आकर जंगलों की तरफ भाग जाते हैं.
2 सालों में 2 लोगों को मौत के घाट उतार चुके हैं हाथी
सिम्बलवाड़ा नेशनल पार्क के आरएफओ सुरेंद्र शर्मा ने बताया कि पिछले कुछ समय से हाथियों ने आवागमन का दायरा भी बढ़ाया है. अब यह पांवटा साहिब घाटी तक ही सीमित नहीं रहे हैं. इसका उदाहरण अप्रैल 2023 के अंतिम दिनों में भी देखने को मिला था, जब नाहन की कोलर पंचायत के हरिजन बस्ती की रहने वाली 70 वर्षीय एक बुजुर्ग महिला पर जंगली हाथी ने हमला कर उसे मौत के घाट उतार दिया था. इसके बाद इसी साल मार्च माह में भी माजरा के जंगल में हाथी के हमले से एक 45 वर्षीय भेड़ पालक की मौत का मामला सामने आ चुका है. यह घटना सिम्बलवाड़ा के साथ लगते माजरा रेंज के पानीवाला खाला के जंगल में सामने आई थी. इसके अलावा भी एक लम्बे अरसे से हाथी फसलों इत्यादि को नुकसान पहुंचाते आ रहे हैं. वन विभाग लगातार लोगों को जागरूक करने का भी काम कर रहा है. साथ ही सुरक्षा के मद्देनजर उचित कदम भी उठाए जा रहे हैं.
अभी दो एनाइडर सिस्टम स्थापित किए
सिम्बलवाड़ा नेशनल पार्क के रेंज फॉरेस्ट आफिसर सुरेंद्र शर्मा ने बताया कि पार्क के साथ लगते गांव के लोगों की सुरक्षा के लिए वन विभाग द्वारा कड़े कदम उठाए जा रहे हैं. इसी कड़ी में पार्क के साथ लगते गांव बहराल और पलहोड़ी में दो एनाइडर सिस्टम स्थापित किए गए हैं, ताकि जंगली जानवरों विशेषकर हाथियों से लोगों की सुरक्षा की जा सके. उन्होंने कहा कि जंगली जानवर के आगमन की सूरत में इस उपकरण में जोरदार अलार्म बजता है, जिससे जानवर गांव की तरफ न आकर दूर जंगल की तरफ भाग जाते हैं.
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