अलवर. अलवर लोकसभा सीट पर इस बार भी भाजपा जीत का दावा कर रही है. भाजपा को उम्मीद है कि इस बार वह अलवर सीट पर हैट्रिक लगाने में कामयाब रहेगी. वहीं, कांग्रेस भी इस बार अच्छे प्रदर्शन को लेकर आशान्वित है. हालांकि, पिछले दो चुनावो में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा था. फैसला जो भी हो, लेकिन राजनीतिक पंडितों का मानना है कि इस बार जीत-हार का अंतर कम रह सकता है. इस बार लोकसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों ने यादव जाति के उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है. भाजपा ने अपने कद्वावर नेता एवं केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव पर दांव खेला है. वहीं, कांग्रेस ने युवा नेता एवं मुंडावर विधायक ललित यादव पर भरोसा जताया. हालांकि कौन किस पर भारी पड़ा, इसका फैसला अब से कुछ देर बाद हो जाएगा.
अलवर लोकसभा सीट (ETV Bharat GFX Team) अलवर लोकसभा सीट पर पिछले दो चुनावों पर नजर डालें तो भाजपा ने दोनों ही चुनाव में यह सीट बड़े अंतर से जीती है. हालांकि, इन दोनों चुनावों में मोदी लहर का असर रहा. 2014 में भाजपा ने अस्थल बोहर मठ के महंत चांदनाथ को टिकट दिया था. वहीं, कांग्रेस ने पूर्व राज परिवार के सदस्य और यूपीए सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे जितेंद्र सिंह को मैदान में उतारा था. इस चुनाव में चांद नाथ ने भंवर जितेंद्र सिंह को 2 लाख 80 हजार वोटों के बड़े अंतर से हराया था.
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2019 के चुनाव में भाजपा ने महंत चांदनाथ के शिष्य महंत बालकनाथ को टिकट दिया, तो कांग्रेस ने फिर से जितेंद्र सिंह पर दांव लगाया. इस बार भी बालकनाथ ने जितेंद्र सिंह को साढ़े तीन लाख से अधिक वोटों के अंतर से हरा दिया. अलवर लोकसभा सीट पर यह अब तक की सबसे बड़ी जीत थी. इन दोनों चुनावों में भाजपा के परंपरागत वोटों के साथ यादव जाति के ज्यादातर वोट महंत बालकनाथ को मिले थे. इससे पहले 2009 में हुए चुनाव में जितेंद्र सिंह ने भाजपा प्रत्याशी किरण यादव को करीब डेढ़ लाख वोट से हराया था.
लोकसभा चुनाव 2019 का नतीजा (ETV Bharat GFX Team) अहीरवाल की राजनीति अलवर में रही शुरू से हावी :अलवर लोकसभा क्षेत्र में अहीरवाल की राजनीति की शुरुआत 1977 से हुई, तब संसदीय चुनाव में भारतीय लोकदल के रामजीलाल यादव ने जीत दर्ज की. इसके बाद 1989 तक लगातार यहां से कभी कांग्रेस और कभी गैर कांग्रेसी यादव नेता ने जीत दर्ज की, लेकिन 1991 में भाजपा ने महेन्द्र कुमारी को प्रत्याशी बनाया और इस सीट पर जीत का खाता खोला. इसके बाद से अब तक ज्यादातर चुनावों में यादव प्रत्याशी जीत दर्ज करते रहे हैं. केवल 1996 में कांग्रेस के नवल किशोर शर्मा एवं 2009 में कांग्रेस के जितेन्द्र सिंह अलवर से जीतकर संसद तक पहुंचे हैं.