प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक ही परिसर में चल रहे प्राथमिक और उच्च प्राथमिक परिषदीय विद्यालयों का संविलियन करने की प्रदेश सरकार की नीति को सही ठहराया है. कोर्ट ने संविलियन करने के लिए जारी शासनादेश को चुनौती देने वाली दर्जनों याचिकाएं खारिज कर दी हैं.
अदालत ने कहा कि यह सरकार का नीतिगत निर्णय है. याचिकाकर्ता ऐसा कोई तथ्य प्रस्तुत नहीं कर पाए कि यह योजना किसी प्रकार से छात्रों के लिए नुकसानदेह है. योजना पिछले 5 वर्षों से चल रही है. हालांकि कोर्ट ने राज्य सरकार को यह भी निर्देश दिया है कि वह एक कमेटी गठित कर अध्यापकों की समस्याओं का निस्तारण करें. ताकि प्रधानाध्यापक पद पर प्रोन्नति पाने के किसी के वैधानिक अधिकार का हनन न हो.
हिना खालिक सहित दर्जनों याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने दिया है. याचिकाओं में 22 नवंबर 2018 को जारी शासनादेश को चुनौती दी गई थी. इस शासनादेश में सरकार ने एक ही परिसर में संचालित प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों के संविलियन का निर्णय लिया.
यह व्यवस्था दी कि इन दोनों विद्यालयों का वरिष्ठतम अध्यापक प्रधानाध्यापक होगा तथा सभी वित्तीय और प्रशासनिक कार्य वही संचालित करेगा. दोनों विद्यालय एक इकाई की तरह होंगे.
याचियों का कहना था कि इस शासनादेश से उन अध्यापकों का भविष्य प्रभावित होगा जो प्राथमिक या उच्च प्राथमिक में प्रधानाध्यापक होने वाले हैं. जो पहले से प्रधानाध्यापक थे और अब जूनियर हो गए. यह भी कहा गया कि विद्यालयों को एकीकृत करने का कोई प्रावधान उपलब्ध नहीं है. मगर ऐसा कोई प्रावधान भी कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया जा सका जिसमें विद्यालयों को एकीकृत करने पर रोक हो.