प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने परिवार न्यायालय मेरठ में चल रहे तलाक के मुकदमे को लखनऊ स्थानांतरित करने से इंकार कर दिया है. कोर्ट ने विदेश में रह रही याची को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अदालत में उपस्थित होने और मुकदमे की पैरवी करने की छूट है. दीप्ति भाटिया की याचिका पर यह आदेश न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र ने दिया.
याची के अधिवक्ता विनय कुमार तिवारी का कहना था कि उसका पति से तलाक का मुकदमा चल रहा. याची स्वयं अपने बच्चे के साथ अमेरिका में रहती है. मुकदमे की पैरवी के लिए उसने अपने मामा को पावर ऑफ अटॉर्नी दी है. जो लखनऊ में रहते हैं.मामा काफी बुजुर्ग हैं, इसलिए उनको मेरठ आने जाने में परेशानी होती है. इसलिए केस लखनऊ स्थानांतरित किया जाए.
विपक्षी की ओर से इसका विरोध किया गया. कहा गया कि पावर ऑफ अटॉर्नी धारक की वजह से मुकदमा स्थानांतरित करना कोई आधार नहीं हो सकता है. याची विदेश में रह रही है अगर उसे स्वयं उपस्थित होना है तो भारत आना ही होगा. कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए फैसलों का जिक्र करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे तमाम मामलों में मुकदमा स्थानांतरित करने से इंकार किया है मगर पक्षकारों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से उपस्थित होने की छूट दी है.
कोर्ट ने याची और पावर ऑफ अटॉर्नी धारक को व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट देते हुए उसे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए साक्ष्य प्रस्तुत करने के लिए कहा है. प्रधान न्यायधीश परिवार न्यायालय मेरठ को अपनी अदालत में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा मुहैया कराने का निर्देश दिया है. रहा मुकदमे का निस्तारण नौ महीने में करने का निर्देश दिया है.
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