प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि जिस व्यक्ति पर पिछले छह वर्षो में एक भी मुकदमा दर्ज नहीं हुआ, उस पर गुंडा एक्ट के तहत कार्रवाई कैसे की गई. कोर्ट ने कहा कि अस्पष्ट और अपर्याप्त आरोपों के आधार पर किसी की स्वतंत्रता नहीं छीनी जा सकती है. गुंडा एक्ट की कार्रवाई को रद्द करते हुए कोर्ट ने कहा कि याची पर दर्ज तीनों मामलों में गवाह बिना किसी डर के न्यायालय के समक्ष उपस्थित हुए और साक्ष्य दिए.
यह कैसे कहा जा सकता है कि याची के आतंक से कोई भी व्यक्ति गवाही देने के लिए आगे नहीं आया. कोर्ट ने कहा कि विवादित आदेशों को पारित करने में प्राधिकारियों ने मैकेनिकल तरीके से काम किया है. उन्होंने न्यायिक विवेक का उपयोग नहीं किया. यह आदेश न्यायमूर्ति नलिन कुमार श्रीवास्तव ने वाहिद उर्फ अब्दुल वाहिद की याचिका पर दिया.
गाजियाबाद के थाना वेव सिटी में वाहिद पर गुंडा एक्ट में मुकदमा दर्ज किया गया. बीट सूचना में पुलिस अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि याची एक खूंखार अपराधी है, जो कई अपराधों में शामिल है. उसका इतना खौफ है कि उसके खिलाफ कोई भी रिपोर्ट दर्ज कराने की हिम्मत नहीं करता है. उसे जिले में खुला छोड़ना जनहित में नहीं था. इसके बाद अपर पुलिस आयुक्त, कमिश्नरेट गाजियाबाद ने 10 अप्रैल 2024 को निष्कासन आदेश पारित कर दिया. आयुक्त, मेरठ मंडल के समक्ष उक्त आदेश के खिलाफ दायर याची की अपील भी विफल हो गई. इसके बाद याची ने हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की.