अलीगढ़ :अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के विदेशी भाषा विभाग द्वारा बुधवार को कैनेडी ऑडिटोरियम में विदेशी भाषा शिक्षण में एआई और डिजिटल मीडिया पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया गया. दो दिवसीय हाइब्रिड सम्मेलन में भारत और विदेश के प्रमुख विद्वानों, शिक्षकों और शोधकर्ताओं ने भाषा शिक्षा में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) की परिवर्तनकारी क्षमता पर चर्चा की. कार्यक्रम की शुरुआत अंतरराष्ट्रीय अध्ययन संकाय के डीन प्रो. मोहम्मद अजहर के स्वागत भाषण से हुई. उन्होंने कहा कि दुनियाभर में शिक्षार्थियों की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए शिक्षा में एआई का एकीकरण आवश्यक है.
मुख्य भाषण जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के प्रो. राजीव सक्सेना ने दिया. उन्होंने बताया आर्टिफीसियल इन्टेलिजेन्स अभी से नहीं काफी साल से चला रहे हैं. एजुकेशन के फील्ड में हम लोगों ने देखा है कि इसके काफी तरक्की हुई, काफी बढ़ोतरी हुई है. एआई सिर्फ यही नहीं है कि आप गूगल पर सर्च करिए और आपको मिल जाए. एआई जो है रोबोटिक्स में आ रहा है. एआई आपके कामों में आ रहा है. दिनभर के काम में मेहनत करेगा कि आपकी सफाई कर देगा, झाड़ू पोछा कर देगा, खाना बना देगा हर चीज में हम लोग की मेहनत कर रहा है तो इसको हम लोग एक चैलेंज की तरह ना देखें. हम लोग इसके साथ आगे बढ़ सकते हैं और तरक्की कर सकते हैं.
प्रो. राजीव सक्सेना ने बताया कि पहले मोबाइल फोन भी हम लोगों के लिए एक नई चीज थी, मगर आज के दिन में आम आदमी के पास में भी एक पान वाले के पास में भी मोबाइल फोन है और हम लोग के पास में भी मोबाइल फोन है. उसी तरह से एआई से भी आज के दिन में लोगों को डर लग रहा है कि क्या करेगा? एआई लोगों की मदद करेगा. एआई से हम लोगों की जिंदगी इतनी साधारण और इतनी आसान हो जाएगी कि हम लोग को सरकार पैसा दिया करेगी.
जेएनयू की पूर्व प्रोफेसर प्रो. मीनू बख्शी ने पारंपरिक शिक्षकों और एआई के बीच तुलना करते हुए कहा कि एआई एक शक्तिशाली उपकरण है, लेकिन यह शिक्षा में शिक्षकों की अपूरणीय भूमिकाओं की जगह नहीं ले सकता. एएमयू में भाषा विज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रो. एमजे वारसी ने भाषा शिक्षण की गतिशील और निरंतर विकसित प्रकृति पर चर्चा की. उन्होंने कहा कि भाषा शिक्षण को लगातार समय के अनुकूल होना चाहिए और डिजिटल क्रांति के साथ, एआई भाषाओं को पढ़ाने और सीखने के तरीके को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.