रांचीः झारखंड की राजनीति में लंबे समय तक किंग मेकर या सत्ता में भागीदार रहे आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो की कांके रोड स्थित आवास संख्या-5 से रुखसत की घड़ी आ गई है. अब इस सरकारी बंगले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का आवासीय कार्यालय शिफ्ट होगा. भवन निर्माण विभाग के अवर सचिव घरशोबित पंडित ने इसकी पुष्टि की है. भवन निर्माण की ओर से बताया गया है कि कांके रोड स्थित सीएम के आवासीय कार्यालय का रिनोवेशन होना है, इसलिए उसे आवास संख्या-5 में अस्थायी रुप से शिफ्ट किया जाएगा.
मेरे लिए वो छत कोई विषय नहीं- सुदेश महतो
इसपर आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि यह कोई बड़ा विषय नहीं है. आवास खाली कराना सरकार का निर्णय है. विधायक की हैसियत से यह बंगला मिला था. अब विधायक भी नहीं हैं. इसलिए छोड़ना ही पड़ेगा. इसपर सुदेश महतो से पूछा गया कि साल 2014 में आप विधायक नहीं थे. फिर भी इस बंगले में कैसे रह रहे थे. जवाब में उन्होंने कहा कि तब सरकार ने नियम में बदलाव कर यह सुविधा मुहैया कराया था. सुदेश महतो ने कहा कि इसबार उस बंगले को मिनिस्टर पुल में रखा गया है. लिहाजा, मेरे लिए वो छत कोई विषय नहीं है.
सरकारी बंगला खाली करने को लेकर सुदेश महतो का बयान (ETV Bharat) सीएम हेमंत सोरेन को होगी सहूलियत
खास बात है कि कांके रोड पर सीएम के आवासीय कार्यालय (सीएमओ) से सुदेश महतो का सरकारी बंगला सटा हुआ है. इसलिए मुख्यमंत्री को आवासीय कैंपस के रास्ते नये दफ्तर तक पहुंचने में काफी सहूलियत होगी. दरअसल, मुख्यमंत्री बनने के बावजूद हेमंत सोरेन कांके रोड स्थित उसी आवास में रह रहे हैं, जो उन्हें नेता प्रतिपक्ष के रुप में आवंटित हुआ था. चूंकि उनके आवास से सीएम हाउस बिल्कुल सटा हुआ है, इसलिए वे सीएम हाउस का इस्तेमाल बड़ी-बड़ी बैठकों के लिए करते हैं.
गौर करने वाली बात ये है कि सुदेश महतो चुनाव हार चुके हैं. इसलिए उन्हें सरकारी बंगले में रहने का कोई अधिकार नहीं है. जानकारी के मुताबिक सुदेश महतो आवास संख्या- 5 में साल 2009 से रह रहे हैं. पूर्व में इस बंगले में मुख्य सचिव रहते थे. 2009 में उप मुख्यमंत्री बनने पर सुदेश महतो ने इस आवास को अपने नाम से आवंटित करवाया था. लेकिन 2014 में चुनाव हारने के बावजूद इसी बंगले में जमे रहे क्योंकि तब उनकी पार्टी के विधायक चंद्रप्रकाश चौधरी तत्कालीन रघुवर सरकार में मंत्री थे. चर्चा है कि चुनाव हारने के बावजूद सुदेश महतो के स्तर पर सरकारी बंगला खाली करने की पहल नहीं हो रही थी. इसलिए भवन निर्माण विभाग के स्तर पर यह कवायद की गई है.
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