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नाबालिग से दुष्कर्म के आरोपी को 20 साल के कठोर कारावास की सजा - Ajmer POCSO Court

Ajmer POCSO Court, अजमेर की पॉक्सो कोर्ट संख्या दो ने गुरुवार को नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में आरोपी को सजा सुनाई. कोर्ट ने आरोपी को 20 साल के कठोर कारावास के साथ ही 31 हजार के आर्थिक दंड से दंडित किया.

Ajmer POCSO Court
दुष्कर्म के आरोपी को 20 साल के कठोर कारावास की सजा (ETV BHARAT GFX)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Aug 29, 2024, 6:24 PM IST

अजमेर :नाबालिग बच्ची को अगवा कर उसके साथ दुष्कर्म करने के मामले में आरोपी को अजमेर की पॉक्सो कोर्ट संख्या दो ने 20 साल के कठोर कारावास के साथ ही 31 हजार रुपए के आर्थिक दंड से दंडित किया है. विशिष्ट लोक अभियोजक विक्रम सिंह शेखावत ने बताया कि 11 अप्रैल, 2023 को गंज थाने में पीड़िता के परिजनों ने 15 वर्षीय नाबालिग के लापता होने का मुकदमा दर्ज कराया था. पुलिस ने पड़ताल की तो सामने आया कि पड़ोस में रहने वाला एक युवक उसे अगवा करके अपने साथ ले गया था. वहीं, घटना के दौरान पीड़िता स्कूल में परीक्षा देने जा रही थी, तभी आरोपी ने उसे अगवा कर लिया.

मामले में अनुसंधान करते हुए पुलिस ने 14 अप्रैल, 2023 को पीड़िता को जयपुर से दस्तयाब किया. उसके बाद पुलिस ने पीड़िता का कोर्ट में धारा 161 और 164 का बयान दर्ज कराया और उसका मेडिकल कराया गया. पुलिस ने प्रकरण में एफएसएल और डीएनए जांच भी करवाई, जिसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी. विशिष्ट लोक अभियोजक ने बताया कि प्रकरण में 17 अप्रैल, 2023 को आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. साथ ही मुकदमे में पॉक्सो और दुष्कर्म की धारा जोड़ कर आरोपी के खिलाफ कोर्ट में चालान पेश किया गया.

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एफएसएल और डीएनए रिपोर्ट बनी सजा का आधार :विशिष्ट लोक अभियोजक शेखावत ने बताया कि प्रकरण में अभियोजन पक्ष की ओर से 14 गवाह और 32 दस्तावेज पेश किए गए. उन्होंने बताया कि कोर्ट में आरोपी को सजा का आधार एफएसएल और डीएनए रिपोर्ट बनी. इसी के आधार पर कोर्ट ने आरोपी को 20 साल के कठोर कारावास की सजा और 31 हजार रुपए के अर्थ दंड से दंडित किया.

विशिष्ट लोक अभियोजक ने बताया कि आरोपी को सजा सुनाने के दौरान न्यायिक मजिस्ट्रेट ने टिप्पणी करते हुए लिखा कि वर्तमान परिपेक्ष में अवयस्क बालिकाओं के साथ बढ़ते इस प्रकार के अपराधिक कृतियों और उक्त प्रकृति के अपराधों पर रोकथाम के लिए पॉक्सो अधिनियम की मंशा और आरोपी की प्रकृति को दृष्टिगत रखते हुए अभियुक्त को आरोपित अपराध के लिए दंडित किया गया जाना न्यायोचित है.

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