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बच्ची की सांस नली में फंसी मूंगफली, कई अस्पताल ने खड़े किए हाथ! एम्स ऋषिकेश में मिला 'जीवनदान' - Peanut Stuck Girl Windpipe

Peanut Stuck Girl Windpipe in Laksar लक्सर की डेढ़ साल की बच्ची की श्वास नली में मूंगफली का दाना फंस गया. 12 दिन दिनों तक परिजन बच्ची को लेकर कई अस्पतालों के चक्कर काटते रहे, लेकिन मूंगफली का दाना बाहर नहीं निकाला जा सका. इस बीच बच्ची की हालत नाजुक हो गई. ऐसे में बच्ची को एम्स ऋषिकेश लाया गया. जहां एम्स के डॉक्टर मासूम के लिए भगवान साबित हुए और उसकी सांस नली के मूंगफली के दाने को बाहर निकाला. जिससे बच्ची की जान बच पाई.

Aiims Rishikesh
एम्स ऋषिकेश

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Mar 15, 2024, 7:27 PM IST

ऋषिकेश: डेढ़ साल की एक मासूम की सांस की नली में मूंगफली का दाना फंस गया. जिससे बच्ची को सांस लेने में दिक्कतें होने लगी और उसकी हालत गंभीर होती चली गई. जान बचाने के लिए मां-बाप उसे रुड़की से देहरादून तक विभिन्न अस्पतालों में ले गए, लेकिन समाधान नहीं हुआ. ऐसे में एम्स ऋषिकेश के डॉक्टरों ने जोखिम उठाया और उच्च तकनीक आधारित ब्रोन्कोस्कोपी प्रक्रिया अपनाकर बच्ची की सांस की नली में फंसे मूंगफली के दाने को बाहर निकाला. जिससे मासूम की जान बच गई. बच्ची की सांस की नली में मूंगफली का यह दाना 12 दिनों से फंसा हुआ था.

21 फरवरी को बच्ची की सांस नली में फंसा मूंगफली:जानकारी के मुताबिक, बीती 21 फरवरी को लक्सर की करीब डेढ़ साल की बच्ची अपने 4 वर्षीय भाई के साथ बैठी थी. अपने भाई को नमकीन खाते देख बच्ची ने भी कुछ दाने अपने मुंह में डाल लिए. इस दौरान मूंगफली का एक दाना उसके गले में अटक गया और कुछ देर बाद सांस की नली में फंस गया. बच्ची की हालत बिगड़ी तो परिजन आनन फानन में पहले बच्ची को रुड़की ले गए, फिर देहरादून के एक बड़े अस्पताल ले गए.

डॉक्टरों ने सांस की नली में फंसे दाने को बाहर निकालने के लिए रिजिड ब्रोन्कोस्कोपी तकनीक (फेफड़ों की जांच करने की तकनीक) को अपनाया, लेकिन बच्ची के गले से मूंगफली का दाना निकलने की बजाए, ब्रोन्कोस्कोपी करते समय मूंगफली का एक हिस्सा टूटकर फिर से सांस की नली में जा फंसा. ऐसे में बच्ची की गंभीर हो चुकी स्थिति को देखते हुए डॉक्टरों ने उसे एम्स ऋषिकेश ले जाने की सलाह दी.

बीती 4 मार्च को एम्स ऋषिकेश पहुंचने पर पीडियाट्रिक पल्मोनरी विभाग ने बच्ची के स्वास्थ्य की जांच की. जहां एम्स की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर डॉ. मीनू सिंह के मार्गदर्शन में डॉक्टरों की टीम ने सभी आवश्यक जांचें की. इसके बाद अल्ट्रा थिन ब्रोन्कोस्कोपी करने का निर्णय लिया गया. बिना समय गंवाए पल्मोनरी विभाग के एडिशनल प्रोफेसर डॉ. मयंक मिश्रा के निर्देशन में डॉक्टरों की टीम ने सांस नली में फंसे मूंगफली के दाने को बाहर निकाला.

डॉक्टर मयंक मिश्रा ने बताया कि मूंगफली के दाने का यह अंश 8 मिमी साइज का था. बच्ची को निगरानी के लिए 5 दिनों तक अस्पताल में भर्ती रखा गया. अब वो पूरी तरह स्वस्थ है और जिसे एम्स से डिस्चार्ज भी कर दिया गया है. वहीं, पल्मोनरी विभागाध्यक्ष प्रो. गिरीश सिंधवानी ने कहा कि इस तरह के बढ़ते मामलों के मद्देनजर पारिजनों को चाहिए कि छोटी उम्र के बच्चों की देखरेख और उनके रखरखाव के प्रति विशेष सावधानी बरतें.

क्या है अल्ट्रा थिन ब्रोन्कोस्कोपी? अल्ट्रा थिन ब्रोन्कोस्कोपी तकनीक में एक विशेष प्रकार के पतले ब्रोंकोस्कोप का इस्तेमाल किया जाता है. जबकि, क्रायोएक्स्ट्रक्शन के लिए क्रायोप्रोब का इस्तेमाल होता है. ब्रोन्कोस्कोपी उपकरण एक ट्यूब के जैसे होता है, जिसे मरीज के गले में डाला जाता है. डॉ. मयंक ने बताया कि यह प्रक्रिया करने से पहले मरीज को बेहोश करने की आवश्यकता होती है. हालांकि, यह प्रक्रिया बेहद जोखिम भरी होती है, लेकिन इस तकनीक से सांस की नली में फंसे भोज्य पदार्थ के छोटे से छोटे कण को भी बाहर निकाला जा सकता है.

"पीडियाट्रिक पल्मोनरी विभाग छोटे बच्चों के श्वास रोग यानी सांस संबंधी बीमारियों के इलाज के लिए बना है. यह बच्ची काफी क्रिटिकल स्थिति में एम्स अस्पताल पहुंची थी, लेकिन संस्थान के अनुभवी और उच्च प्रशिक्षित डॉक्टरों ने ब्रोन्कोस्कोपी की आधुनिक और उच्चस्तरीय तकनीक का इस्तेमाल कर बच्ची का जीवन बचाया."- प्रो. मीनू सिंह, कार्यकारी निदेशक एम्स और एचओडी पीडियाट्रिक पल्मोनरी विभाग

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