मेरठ : पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मजबूत दुर्ग गोरखपुर के बाद अब मेरठ में नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन (NTPC) बड़ा प्रोजेक्ट लगाने जा रहा है. खास बात यह है कि इस प्रोजेक्ट से जहां शहर स्वच्छ होगा, वहीं हर दिन लगभग 500 टन हरित कोयला तैयार किया जा सकेगा. वाराणसी और गोरखपुर से ज्यादा बड़ा यह प्लांट होगा. आइए जानते हैं.
केंद्र सरकार और प्रदेश सरकार की ओर से खासकर बड़े शहरों में कूड़े के निस्तारण और उस वेस्ट को उपयोग करने के लिए यह योजना तैयार करने को लेकर कवायदें हो रही हैं. पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी और सीएम योगी के ग्रह क्षेत्र गोरखपुर में शहर के कचरे के निस्तारण के लिए नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन (NTPC) खास प्रोजेक्ट पर काम कर रही है, वहीं गौतमबुद्ध नगर में भी इस दिशा में प्रोजेक्ट पर कार्य चल रहा है. अब इस प्रोजेक्ट के लिए मेरठ का नाम भी शामिल हो गया है. वेस्ट यूपी के सेंटर प्वाइंट मेरठ को कचरे से निजात दिलाने के लिए मेरठ नगर निगम और एनटीपीसी के साथ बीच इस विषय में एक अनुबंध हुआ है. अब इस दिशा में काम शुरु हो जाएगा. 25 साल तक एनटीपीसी शहर के कचरे से चारकोल तैयार करेगा.
मेरठ के महापौर हरिकांत अहलूवालिया ने ईटीवी भारत को बताया कि नगर निगम के जिम्मेदार अधिकारी और वह स्वयं निरंतर शहर को कूड़े के पहाड़ों से निजात दिलाने के लिए कार्य कर रहे थे. उन्होंने बताया कि मेरठ महानगर में हर दिन लगभग 1100 टन कूड़ा एकत्र होता है. यह एक बड़ी समस्या बनी हुई थी, लगातार बीते एक साल से पीएम मोदी और सीएम योगी को मेरठ शहर की इस बड़ी समस्या से अवगत कराते रहे कि शहर में कूड़े के अंबार लगे हैं. कूड़ा निस्तारण के लिए बड़े बदलाव और प्रयास की आवश्यकता है. जिस पर उन्होंने गंभीरता के साथ विचार के बाद बड़ी सौगात दी है. अब यहां NTPC वाराणसी और गोरखपुर की तर्ज पर यहां प्लांट लगाएगी और कचरे को ग्रीन चारकॉल में तब्दील कर कूड़े का निस्तारण होगा.
एनटीपीसी के महाप्रबंधक अमित कुलश्रेष्ठ ने बताया कि जो प्लांट कूड़े के निस्तारण के लिए लगाया जा रहा है, उसमें वही टेक्नोलॉजी लगाई जाएगी जो वाराणसी में लगाई जा रही है. इसे लेकर नगर निगम और एनटीपीसी के बीच अनुबंध पर हस्ताक्षर गुरुवार हो गये हैं. उन्होंने बताया कि इसमें जो कोयला बनेगा वह नेचुरल कोयले का विकल्प होगा जोकि ग्रीन चारकोल है, इससे कार्बन डाई आक्साइड भी बेहद कम होगा. उन्होंने बताया कि अब इसमें बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की अनुमति के बाद इस खास प्लांट की स्थापना के लिए कार्य करेंगे. इससे पहले तीन प्लांट पर काम चल रहा है. एनटीपीसी यूपी में चौथा प्लांट लगाने जा रही है. इस प्रोजेक्ट पर कुल 300 करोड़ रुपये खर्च होंगे. डेढ़ साल का समय लगेगा.
एनटीपीसी के जिम्मेदार अधिकारियों का दावा है कि वाराणसी में हर दिन 600 टन कूड़ा होता है, जिससे 200 टन कोयला तैयार होने की क्षमता है, जबकि मेरठ में लगभग 900 टन कूड़ा हर दिन होता है, जिससे लगभग 500 टन ग्रीन चारकोल तैयार होगा. एनटीपीसी के अफसर बताते हैं कि पहले एनटीपीसी यहां वेस्ट टू कोल का प्लांट लगाएगा, लगभग 18 महीने में ये प्लांट बनकर तैयार होगा, इसके बाद उसकी फंग्शनिंग शुरू होगी.
गौरतलब है कि बीते दस साल में शहर के बाहरी इलाके लोहिया नगर, गांवड़ी और मंगतपुरम में कूड़े के पहाड़ लग गए. वैज्ञानिक पद्धति से कूड़ा निस्तारण करने में नगर निगम फेल है. महानगर का कचरा फिलहाल नगर निगम लोहियानगर में डाला जा रहा है. 10 साल से वैज्ञानिक पद्धति से कूड़े के निस्तारण करने का प्लांट नहीं होने के कारण मंगतपुरम और लोहियानगर में कूड़े का पहाड़ खड़ा हो गया है.