उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

आगरा जामा मस्जिद-श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद; भारत संघ को प्रतिवादी बनाने का आदेश, जीपीआर सर्वे पर 23 को सुनवाई - AGRA JAMA MASJID DISPUTE

जामा मस्जिद की सीढ़ियों में श्रीकृष्ण के विग्रह के दबे होना का दावा, की जा रही ASI सर्वे की मांग

मामले में आज कोर्ट में सुनवाई होनी है.
मामले में आज कोर्ट में सुनवाई होनी है. (Photo Credit; ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Oct 10, 2024, 9:56 AM IST

Updated : Oct 10, 2024, 3:03 PM IST

आगराःश्रीकृष्ण जन्मभूमि बनाम जामा मस्जिद मामले के दो केस की सुनवाई गुरुवार दोपहर दीवानी स्थित लघुवाद न्यायालय में हुई. दोनों ही मामले में बहस हुई. न्यायालय ने योगेश्वर श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ ट्रस्ट के श्रीकृष्ण विग्रह वाद बनाम सुन्नी सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड समेत अन्य में भारत संघ को विपक्षी बनाने का आदेश दिया. श्रीकृष्ण जन्मभूमि संरक्षित सेवा ट्रस्ट और जामा मस्जिद प्रबंधन समेत अन्य और योगेश्वर श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ ट्रस्ट के श्रीकृष्ण विग्रह वाद बनाम सुन्नी सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड समेत अन्य में अभी एएसआई से जामा मस्जिद के जीपीआर सर्वे का प्रार्थना पत्र विचाराधीन है. जिस पर न्यायालय ने 23 अक्टूबर को सुनवाई की अगली तिथि दी है.

न्यायालय सिविल जज (प्रवर खंड) के यहां आगरा जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबे भगवान श्रीकृष्ण के विग्रह निकालने के 2 मामले विचाराधीन हैं. एक मामले में वादी श्रीकृष्ण जन्मभूमि संरक्षित सेवा ट्रस्ट और प्रतिवादी इंतजामिया कमेटी शाही मस्जिद एवं उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड समेत अन्य हैं. जबकि, दूसरे मामले में वादी योगेश्वर श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ ट्रस्ट और प्रतिवादी इंतजामिया कमेटी मस्जिद, सेंट्रल सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, लोकल इस्लामिया कमेटी, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) अन्य हैं.

अभी जीपीआर सर्वे का प्रार्थना पत्र विचाराधीन :श्रीकृष्ण जन्मभूमि संरक्षित सेवा ट्रस्ट के अधिवक्ता विनोद कुमार शुक्ला का कहना है कि जामा मस्जिद की सीढ़ियों का जीपीआर GPR सर्वे कराने का प्रार्थना पत्र अभी विचाराधीन है. इसमें जामा मस्जिद का सच सबके सामने आएगा. एएसआई के जीपीआर सर्वे रिपोर्ट से पूरा विवाद खत्म किया जा सकता है. वहीं, प्रतिवादी ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण एएसआई ने कोर्ट में अपना ऑब्जेक्शन दाखिल किया है. जबकि, प्रतिवादी इंतजामिया कमेटी शाही मस्जिद एवं उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की जामा मस्जिद की सुनवाई कोर्ट के क्षेत्राधिकार से बाहर बताने वाली याचिका खारिज हो चुकी है.

जामा मस्जिद प्रबंध समिति ने ये आपत्ति दाखिल की थी :योगेश्वर श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ ट्रस्ट के अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने बताया कि लघु वाद न्यायालय में पिछली सुनवाई 30 सितंबर को हुई थी. इसमें विपक्षी जामा मस्जिद प्रबंध समिति की ओर से आपत्ति दाखिल की गई थी. पिछली तारीख पर जामा मस्जिद की सीढ़ियों के वैज्ञानिक सर्वे पर सुनवाई हुई थी. इसमें जामा मस्जिद प्रबंध समिति की ओर से 'मआसिर-ए-आलमगीरी' पुस्तक का अनुवाद दाखिल किया था. इसमें लिखा है कि ‘इस बुतखाने के तमाम खुर्द व एतनाम अकबर आबा में लाए गए और नवाब कुदसिया बेगम साहिब की तामीर कर्दा मस्जिद के जीनों के नीचे दफन कर दिए गए. इससे ये साबित होता है कि मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर के प्रभु श्रीकृष्ण के प्राण प्रतिष्ठित विग्रह आगरा की जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबाए गए हैं. उस समय आगरा का नाम अकबराबाद था. जहांआरा को बेगम साहिब कहते थे. उसकी बनवाई मस्जिद को बेगम साहिब की मस्जिद या कुदसिया बेगम साहिब की मस्जिद कहते थे.

जहांआरा ने बनवाई थी जामा मस्जिद :वरिष्ठ इतिहासकार राजकिशोर 'राजे' बताते हैं कि मुगल शहंशाह शाहजहां की 14 संतानें थीं. इसमें मेहरून्निसा बेगम, जहांआरा, दारा शिकोह, शाह शूजा, रोशनआरा, औरंगजेब, उमेदबक्श, सुरैया बानो बेगम, मुराद लुतफुल्ला, दौलत आफजा और गौहरा बेगम शामिल थे. एक बच्चा और 1 बच्चा पैदा होते ही मर गए थे. मुगल बादशाह शहंशाह शाहजहां की सबसे प्रिय बेटी जहांआरा थी. उसने अपने वजीफे की 5 लाख रुपये की रकम से सन 1643 से 1648 के बीच जामा मस्जिद का निर्माण कराया था.

औरंगजेब लाया था मथुरा से विग्रह और पुरावशेष :वरिष्ठ इतिहासकार राजकिशोर 'राजे' बताते हैं कि 16वीं शताब्दी के सातवें दशक में मुगल बादशाह औरंगजेब ने मथुरा के केशवदेव मंदिर को ध्वस्त किया था. वह केशवदेव मंदिर की मूर्तियों के साथ ही तमाम पुरावशेष आगरा लेकर आया था. उसने मूर्तियों और पुरावशेष को जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबाया था. यह तमाम इतिहासकारों ने अपनी पुस्तकों में लिखा है. इसमें औरंगजेब के सहायक रहे मुहम्मद साकी मुस्तइद्दखां ने अपनी पुस्तक 'मआसिर-ए-आलमगीरी', प्रसिद्ध इतिहासकार जदुनाथ सरकार की पुस्तक 'ए शॉर्ट हिस्ट्री ऑफ औरंगजेब', पुस्तक 'तवारीख-ए-आगरा' और मथुरा के महशहूर साहित्यकार प्रो. चिंतामणि शुक्ल की पुस्तक ' मथुरा जनपद का राजनीतिक इतिहास' में भी जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे मूर्तियां दबाने का विस्तार से जिक्र किया है.

यह भी पढ़ें :आगरा जामा मस्जिद-श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद; ASI ने जवाब के लिए कोर्ट से मांगा समय, अब 28 अक्तूबर को सुनवाई

Last Updated : Oct 10, 2024, 3:03 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details