अजमेर.प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को टैबलेट वितरित करने की राजस्थान सरकार की योजना फुटबॉल बन गई है. राजस्थान सरकार ने योजना के तहत प्रतिभावान विद्यार्थियों को दिए जाने वाले टैबलेट की राशि 102 करोड़ रुपए राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड को देने के लिए कहा है. जबकि बोर्ड के कर्मचारी इसका विरोध कर रहे हैं. ऐसे में विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी के दखल के बाद अब राज्य सरकार और माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के बीच टैबलेट राशि के पुनर्भरण मामले को सुलझाने की पहल की जा रही है.
प्रतिभावान विद्यार्थियों को टैबलेट वितरित करने का मामला उलझते देख विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने मामले में दखल देते हुए आवश्यक निर्देश दिए हैं. देवनानी के निर्देश के बाद वित्त विभाग ने बोर्ड प्रशासन को जयपुर बुलाया है. इस संबंध में देवनानी ने शिक्षा मंत्री, वित्त विभाग और शिक्षा विभाग से चर्चा कर सकारात्मक कार्यवाही के निर्देश दिए हैं. विधानसभा अध्यक्ष ने अपने जयपुर प्रवास के दौरान राज्य के शिक्षा मंत्री, शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारी और वित्त विभाग के आला अधिकारियों से चर्चा की.
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साथ ही उन्हें निर्देश दिए कि राज्य के प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को टैबलेट वितरित करने के लिए राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से 102 करोड़ रुपए राशि राज्य सरकार को दिए जाने के मामले में पुनर्विचार किया जाए. देवनानी ने कहा कि इस मामले में सभी पक्षों के हितों को ध्यान में रखते हुए कार्यवाही की जाए. शिक्षा मंत्री मदन दिलावर और वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अखिल अरोड़ा ने उन्हें इस विषय में सकारात्मक निर्णय लेने का विश्वास दिलाया है. वित्त विभाग ने राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के प्रशासक और सचिव को भी जयपुर बुलाया है. जल्द ही इस प्रकरण के समाधान को लेकर सकारात्मक निर्णय होने की उम्मीद जताई जा रही है.
आरबीएसई कर्मचारी संघ अध्यक्ष ने कही ये बात :राज्य के प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को टैबलेट दिए जाने के लिए करीब 102 करोड़ रुपए खर्च होने हैं. इस राशि को वहन करने के लिए सरकार और बोर्ड के बीच निर्णय होना है. राज्य सरकार ने टैबलेट पर आने वाला खर्च राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड को उठाने के लिए कहा है. बोर्ड टैबलेट की राशि वहन करने में अपनी असहमति दे चुका है. वहीं, बोर्ड के कर्मचारी भी टैबलेट की राशि बोर्ड के वहन करने के सरकार के निर्णय से नाराज है.
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आरबीएसई कर्मचारी संघ के अध्यक्ष मोहन सिंह रावत का कहना है कि बोर्ड वर्षो से घाटे में चल रहा है. बोर्ड की आय बढ़ी नहीं है. यदि बोर्ड टैबलेट का खर्च वहन करेगा तो आगामी दिनों में बोर्ड को कर्मचारियों को वेतन देने और 600 पेशनधारियों को पेंशन देने में अड़चन आएगी. बोर्ड के पास आय के अतिरिक्त संसाधन नहीं है. ऐसे में बोर्ड की हालत भी रोडवेज जैसी हो जाएगी.