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राजस्थान में 'मौत' के 600 ब्लैक स्पॉट, समझें क्या है रोड इंजीनियरिंग की खामियां, जिन्हें सुधारना होगा - BLACK SPOTS IN RAJASTHAN

जयपुर के भांकरोटा अग्निकांड के बाद राजस्थान सरकार सड़कों पर मौजूद हादसों वाली जगह यानी ब्लैक स्पॉट को लेकर गंभीर दिख रही है.

ब्लैक स्पॉट सुधारने पर सरकार की बैठक
ब्लैक स्पॉट सुधारने पर सरकार की बैठक (ETV Bharat)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Dec 28, 2024, 7:32 AM IST

Updated : Dec 28, 2024, 1:56 PM IST

जयपुर :कोरोना काल को छोड़ दिया जाए तो राजस्थान में बीते एक दशक में लगातार सड़क हादसों की संख्या बढ़ रही है. बीते दिनों संसद में केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने भी इस बात को स्वीकार किया था कि देश में हाईवे पर होने वाले हादसों को लेकर सरकार की मंशा के मुताबिक काम नहीं हो रहा है. उन्होंने यह भी स्वीकार किया था कि सड़क परिवहन मंत्रालय लक्ष्य के हिसाब से सड़क दुर्घटनाओं को नहीं रोक पा रहा है. केंद्र सरकार की तरफ से हर साल सड़क सुरक्षा पर 41 से 45 करोड़ रुपए खर्च किए जाते हैं, लेकिन ये हादसे रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं.

केंद्रीय राजमार्ग मंत्रालय ने आने वाले साल में देश में होने वाले सड़क हादसों में 50 फीसदी कमी लाने का लक्ष्य रखा है. जाहिर है कि 20 दिसंबर को जयपुर के भांकरोटा में एक गलत यू-टर्न के कारण 20 लोग सड़क हादसे में अब तक जान गंवा चुके हैं, एलपीजी गैस टैंकर में विस्फोट के बाद हुए भीषण अग्निकांड में जख्मी एक दर्जन से ज्यादा लोग अब भी जिंदगी की जंग लड़ रहे हैं.

राजस्थान में 'मौत' के 600 ब्लैक स्पॉट. (ETV Bharat)

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हर साल सड़क हादसों में इजाफा :भू-भाग के हिसाब से देश के सबसे बड़े राज्य राजस्थान में हर साल रोड एक्सीडेंट की संख्या और इसका शिकार लोगों की तादाद बढ़ रही है. इसके पीछे रोड इंजीनियरिंग और उसकी खामी से उभरे ब्लैक स्पॉट को बड़ा कारण माना जा रहा है. सरकारी आंकड़े मानते हैं कि बीते एक दशक यानी साल 2014 से 2024 के दरमियान अकेले राजस्थान में 1 लाख 11 हजार से ज्यादा लोग अकाल मौत का शिकार हो चुके हैं. हर साल औसतन 2000 लोग बीते साल की तुलना में ज्यादा सड़क हादसों में मारे जाते हैं. राजस्थान में प्रतिदिन रोड एक्सीडेंट में मरने वालों की औसत संख्या 33 के करीब है. साल 2022 में 23 हजार 615 और 2023 में 24 हजार 707 सड़क हादसे प्रदेश की रोड पर पेश आए. पिछले साल इन हादसों में 11 हजार 762 लोगों ने अपनी जान गंवाई थी.

देखें आंकड़े (ETV Bharat GFX)

राजस्थान की सड़कों पर 600 से ज्यादा ब्लैक स्पॉट :रोड सेफ्टी के लिए काम करने वाली नेहा कुल्हर के मुताबिक आज भी राजस्थान की सड़कों पर 600 से ज्यादा ब्लैक स्पॉट हैं. हालांकि, यह परमानेंट नहीं होते हैं. लगातार सड़के बनती हैं, उसी के साथ यह ब्लैक स्पॉट भी बन जाते हैं. कई बार सड़कों पर होने वाले सुधार कार्यों के साथ ही ब्लैक स्पॉट की लोकेशन भी बदल जाती है, इसलिए इस दिशा में लगातार काम किया जाना काफी जरूरी होता है. सार्वजनिक निर्माण विभाग की एक रिपोर्ट के मुताबिक राजस्थान में साल 2021 में 584 ब्लैक स्पॉट थे, 2022 में इनकी संख्या घटकर 546 थी. इन ब्लैक स्पॉट पर ही सबसे अधिक मौतें होती हैं. इनमें से 382 नेशनल हाईवे पर, 118 स्टेट हाईवे पर और 46 छोटी सड़कों पर बने हुए हैं. हालत यह है कि राजधानी से शेखावाटी को जोड़ने वाले सीकर हाईवे पर जयपुर के चौमूं पुलिया से सीकर के रींगस तक हर दो किलोमीटर में एक ब्लैक स्पॉट है. 58 किलोमीटर के इस रास्ते में 25 ऐसी जगह हैं, जहां 3 साल में 126 लोगों की मौत हो चुकी है. खुद सरकार मानती है कि इस रास्ते में 17 ब्लैक स्पॉट्स हैं.

देखें आंकड़े (ETV Bharat GFX)

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देसूरी की नाल भी चिंता का सबब :राजसमंद और पाली जिले को जोड़ने वाली देसूरी की नाल भी राजस्थान में हादसों का सबब बनती रही है. राजसमंद सांसद महिमा कुमारी ने हाल में केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव को पत्र लिखकर देसूरी की नाल सड़क के सुधार के लिए NOC देने की मांग की थी. उन्होंने अपने पत्र में लिखा था कि पिछले कुछ सालों में करीब 155 लोगों की हादसे में हो मौत हो चुकी है. राजस्थान की उपमुख्यमंत्री और सार्वजनिक निर्माण मंत्री दीया कुमारी ने भी बीते दिनों एक स्कूली बस के हादसे के बाद मौके पर जाकर देसूरी की नाल के हालात को टटोला था. इसके पहले हनुमान बेनीवाल भी जयपुर में हुए हादसे के दौरान मारे गए लोगों के परिजनों से और घायलों के हलचल जानने के लिए सवाई मानसिंह अस्पताल पहुंचे थे. यहां उन्होंने सरकार से ऐसे हादसों की पुनरावृत्ति को रोकने की मांग की थी.

राजधानी जयपुर में हर दिन 10 हादसे, 4 मौत :सड़क हादसों के लिहाज से राजधानी जयपुर की तस्वीर भी धुली हुई नहीं है. बीते दिनों गोविंदपुरा इलाके में एक डंपर चालक ने दो स्कूली छात्राओं को कुचल दिया था. हालात यह हैं कि मुख्यमंत्री के काफिले में शामिल कार भी दुर्घटनाग्रस्त हो जाती है, जिसमें एक पुलिस अधिकारी को जान गंवानी पड़ती है. जहां मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के काफिले का एक्सीडेंट हुआ था, उस चौराहे पर बीते 3 साल में 36 दुर्घटनाएं हुई हैं, जिनमें 8 लोगों की जान चली गई. आंकड़े बताते हैं कि जयपुर में रोजाना हो रहे औसत 10 एक्सीडेंट में 4 लोगों की जान चली जाती है. अकेले जयपुर में ही 78 जगह को ब्लैक स्पॉट के रूप में चिन्हित किया गया है. जयपुर के पूर्वी हिस्से में सड़क हादसे सबसे ज्यादा होते हैं. यहां जेएलएन मार्ग, सीकर रोड, टोक रोड और अजमेर रोड पर सबसे ब्लैक स्पॉट हैं. जयपुर पूर्व जिला में साल 2023 में 1027 हादसों में 259 लोगों की मौत हो गई. वहीं, जयपुर पश्चिम में 912 हादसों के दौरान 295 लोगों ने अपनी जान गंवा दी. इसी तरह जयपुर उत्तर में 252 रोड एक्सीडेंट हुए, जिससे 67 लोग अकाल मृत्यु का शिकार हो गए.

भांकरोटा हादसे के बाद की तस्वीर (ETV Bharat (File Photo))

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ब्लैक स्पॉट क्लीयरेंस प्लान :सड़क हादसों को लेकर चिन्हित ब्लैक स्पॉट को लेकर रोड सेफ्टी के लिए कार्य करने वाली सामाजिक कार्यकर्ता नेहा कुल्हर बताती हैं कि आमतौर पर इन्हें दो तरह से चयनित किया जाता है. इस दिशा में रोड इंजीनियरिंग काफी महत्वपूर्ण होती है. सड़कों से आमतौर पर ब्लैक स्पॉट हटाने के लिए शॉर्ट टर्म या लॉन्ग टर्म मेजर के आधार पर काम किया जाता है. शॉर्ट टर्म में खासतौर पर उसे जगह की विजिबिलिटी को बढ़ाना, वाहन चालक के साथ सड़क पर लगने वाले संकेतक के जरिए संवाद को बढ़ाना और सड़क का एलाइनमेंट खराब होने पर वहां मैन्युअल ट्रैफिक को कंट्रोल करने से रोड इंजीनियरिंग को बेहतर बनाकर ब्लैक स्पॉट हटाए जा सकते हैं.

देसूरी की नाल पर हुए हादसे के बाद मौका मुआयना करने पहुंचीं दीया कुमारी की तस्वीर (ETV Bharat (File Photo))

भांकरोटा अग्निकांड पर भी सुझाव :जयपुर में भांकरोटा अग्निकांड को लेकर नेहा कुल्हर का कहना है कि चालक की गलती को अगर एक बार साइड कर दिया जाए, तो फिर इस ब्लैक स्पॉट पर कुछ ऐतिहात बरतने के बाद हादसों को काम किया जा सकता था. जिस जगह पर यू टर्न किया जाता है, उसे जगह पर अगर विजिबिलिटी को संकेतकों के जरिए बढ़ाया जाता और वाहनों की गति को कम करने के लिए कोई प्रबंध किया जाता, तो हादसा रोका जा सकता था या इससे होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता था.

Last Updated : Dec 28, 2024, 1:56 PM IST

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