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भीम-सुरेश की मौत से फैक्ट्री संचालक की संवेदनशीलता पर उठे सवाल, मुआवजे के लिए घंटों दिया धरना - Workers died in accident

After death workers family had to sit on dharna. गिरिडीह के औद्योगिक इलाके में अवस्थित फैक्ट्री में मौत के बाद मुआवजा देने की प्रक्रिया को लेकर सवाल उठता रहता है. यहां मरने के बाद मृतक के परिजनों को घंटों बैठाया जाता है. ज्यादातर मामले में जब तक घरवाले फैक्ट्री के बाहर धरना देते नहीं हैं, हो हंगामा, नारेबाजी नहीं करते हैं, जब तक बड़े नेता-अधिकारी दबाव नहीं बनाते है तब तक मुआवजा मिलता नहीं है.

After death workers family had to sit on dharna
धरने पर बैठे मजदूर के परिजन (ईटीवी भारत)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Sep 14, 2024, 9:32 AM IST

Updated : Sep 14, 2024, 12:13 PM IST

गिरिडीह: शुक्रवार को गिरिडीह के औद्योगिक इलाके में दो अलग-अलग घटना घटी. एक घटना सलूजा स्टील एवं प्राइवेट लिमिटेड के अंदर की है. यहां पर एक मजदूर की मौत काम के दौरान हो गई. जबकि दूसरी घटना मोहनपुर की है यहां पर भी भीम भुईयां नाम के एक मजदूर का शव नाले में मिला. वह स्वाती नाम की फैक्ट्री में काम करता था. दोनों की मौत के बाद परिजनों को मुआवजे के लिए फैक्ट्री के गेट को जाम करना पड़ा, लाश को लेकर घरवालों के साथ ग्रामीण और यूनियन लीडर गेट के पास जमे रहें.

मौके पर मौजूद मृतक के परिजन और अन्य लोगों का बयान (ईटीवी भारत)



कैसे मरा भीम, वह तो फैक्ट्री में करता था काम

भीम भुईयां मुफ्फसिल थाना इलाके के कोपा का रहनेवाला था और स्वाती नाम की फैक्ट्री का मजदूर था. वह काम करने फैक्ट्री आता था. इस बार भी काम के लिए वह फैक्ट्री आया था, लेकिन जिन्दा घर नहीं लौटा. शुक्रवार को उसकी लाश फैक्ट्री के ठीक पीछे नाले में मिली. नाले के अंदर भीम की लाश मछलियों का चारा भी बनी थी, उसके चेहरे का कुछ हिस्सा मछलियों ने नोच खाया था. शव को पुलिस ने जब्त किया और पोस्टमार्टम करवाने के बाद परिजनों को सौंप दिया.

फैक्ट्री प्रबंधन के साथ समझाता पत्र (ईटीवी भारत)

परिजन फिर शुक्रवार की शाम को लाश को लेकर फैक्ट्री पहुंचे. गांव के मुखिया मेघलाल, राजू दास समेत कई मानिंद लोग भी फैक्ट्री पहुंचे. भाकपा माले नेता राजेश सिन्हा, झामुमो नेता कोलेश्वर सोरेन, प्रधान के अलावा कई मजदूर नेता का भी जमावड़ा लगा. लोगों ने भीम की मौत को लेकर फैक्ट्री प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाया. मृतक की पत्नी नंदनी देवी ने यहां तक कह दिया कि मौत फैक्ट्री के अंदर हुई और लाश नाले में फेंक दिया गया. पुलिस पहुंची प्रबंधन से बात की गई. प्रबंधन ने कहा कि मुआवजा हम दे नहीं सकते, भीम की मौत फैक्ट्री के बाहर हुई है. इस बातचीत में घंटा दो घंटा 8 घंटा बीत गया और मरनेवाली की पत्नी, बच्चों के साथ गांव-घरवाले बैठे रहे, इंसाफ की गुहार लगाते रहे.

फैक्ट्री प्रबंधन के साथ बात करते लोग (ईटीवी भारत)
फैक्ट्री में नहीं मरा भीम: अभिषेक

इस मामले को लेकर फैक्ट्री के प्रबंधक अभिषेक से बात हुई. उनका कहना है कि भीम भुईयां फैक्ट्री में काम करने आया ही नहीं था. जब आया ही नहीं तो प्रबंधन क्या कर सकता है. अगर कोई मजदूर बाहर में मर जाए तो उसमें फैक्ट्री प्रबंधन का क्या दोष.

करंट के झटके से मरा सुरेश, क्या नहीं थी सुरक्षा की मुकम्मल व्यवस्था

इधर, गांडेय प्रखंड के फूलची के रहने वाले सुरेश कुमार टुडू की मौत सलूजा स्टील एवं प्राइवेट लिमिटेड नाम के फैक्ट्री के अंदर हो गई. सुरेश यहां काम कर रहा था और तभी उसे बिजली का झटका लगा, प्रबंधन ने उसे अस्पताल भिजवाया लेकिन उसकी जान जा चुकी थी. जान जाने के बाद शव को लेकर परिजन फैक्ट्री गेट पर आ पहुंचे. यहां गेट के पास लोग बैठ गए और मुआवजा की मांग की जाने लगी. इस दौरान परिजनों ने कहा कि एक साल से सुरेश काम कर रहा था. अंदर में उसकी मौत हुई है, यह भी कहा कि सुरेश जनरल मजदूर था, लेकिन उसे इलेक्ट्रिशियन का काम लिया जा रहा था.

हालांकि जब इस मामले को लेकर फैक्ट्री के प्रबंधक उपेंद्र कुमार सिन्हा से बात की गई. तो उन्होंने कहा कि सुबह में सुरेश मेन्टनेस का काम कर रहा था और अचानक गिरकर बेहोश हो गया. अस्पताल ले जाया गया लेकिन उसे बचा नहीं सके. उपेंद्र ने बताया कि ऐसा लगता है काम के दौरान सुरेश ने संभवतः बिजली का तार छू लिया होगा और घटना घट गई. उपेंद्र ने सुरेश से इलेक्ट्रिशियन का काम करवाने की बात को गलत बतलाया. अब प्रबंधन के बयान के बाद यह सवाल उठता है कि क्या फैक्ट्री के अंदर सुरक्षा की व्यवस्था पर्याप्त नहीं रखी जाती है और सुरेश की मौत इसी लापरवाही का परिणाम है. मजदूर नेता हसनैन अंसारी का कहना है कि सुरेश की मौत के पीछे लापरवाही तो कारण है ही.

11 घंटे बैठने के बाद मिला 15 लाख

इधर, शुक्रवार की दोपहर लगभग 12 बजे से फैक्ट्री के बाहर बैठे मृतक सुरेश के परिजनों 11 घंटे के बाद मुआवजा देने की घोषणा की गई. रात लगभग 11 बजे मुआवजा को लेकर सहमती पत्र दिया गया. परिजनों को 15 लाख 50 हजार रुपया दिया गया. इस दौरान फैक्ट्री प्रबंधक, जिला परिषद सदस्य हिंगामुनी मुर्मू, मो हसनैन अली, माले नेता राजेश सिन्हा के अलावा मृतक के घरवाले, पंचायत के मुखिया भी मौजूद थे. बहरहाल भले ही सुरेश के परिजनों को मुआवजा मिल गया लेकिन इस मुआवजा के लिए जिस तरह 11 - 12 घंटे तक मृतक के पिता समेत उनके गांव के लोगों को फैक्ट्री के बाहर धरना देना पड़ा. वह व्यवस्था पर सवाल उठाता है. सवाल के घेरे में फैक्ट्री संचालक से लेकर प्रशासन, जनप्रतिनिधि सभी हैं.

रात एक बजे उठा दिया गया घरवालों को

दूसरी तरफ स्वाती फैक्ट्री के बाहर लाश के साथ धरना प्रदर्शन कर रहे मृतक भीम भुईयां के परिजनों को मात्र 3 लाख 30 हजार का मुआवजा देकर घर भेज दिया गया. यहां मृतक के घरवाले छोटे बच्चों की दुहाई देते रहे लेकिन बहुत मदद नहीं की जा सकी. प्रशासन के समक्ष भी फैक्ट्री प्रबंधक यही कहता रहा कि मौत फैक्ट्री के बाहर हुई तो मुआवजा नहीं बनता है, फिर भी मदद स्वरूप राशि दे रहे हैं. अब यहां एक बात तो जांच की बन रही है कि आखिर भीम मरा कैसे, क्या परिजनों का आरोप सही है या सच्चाई कुछ और भी है. इस मामले पर भाकपा माले के नेता राजेश सिन्हा कहते हैं कि मजदूर के बीमा, ईपीएफ समेत महत्वपूर्ण कागजात की मांग प्रशासन को करनी चाहिए. ताकि साफ हो सके मजदूर मरें तो उसे मिले क्या.

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Last Updated : Sep 14, 2024, 12:13 PM IST

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