शिमला: देशभर के साथ-साथ हिमाचल में इन दिनों भारी बारिश ना होने के कारण तेज धूप से लोग परेशान हैं. गर्मियों के मौसम में तेज धूप के कारण तापमान बढ़ने लगता है. तेज धूप में हीट, स्किन संबंधी और अन्य बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. ये बीमारियां शरीर और उसके अंगों की प्रणाली को प्रभावित करती हैं. तेज धूप के कारण होने वाले शारीरिक नुकसान को लेकर ईटीवी भारत हिमाचल ने आईजीएमसी स्किन डिपार्टमेंट के विभागाध्यक्ष डॉ. जीके वर्मा से बातचीत की है.
डॉ. जीके ने कहा कि तेज धूप के नुकसान और फायदे दोनों होते हैं. सनलाइट से विटामिन डी का निर्माण होता है. धूप के कारण डिप्रेशन के मरीजों का मूड़ अच्छा रहता है. वहीं, तेज धूप में हमारे शरीर को सन एलर्जी और सनबर्न हो सकता है. एकदम से तेज सनलाइट में निकलने के कारण सनबर्न की संभावना अधिक होती है.
सन बर्न के लक्षण
- शरीर पर लाली आना
- शरीर पर छाले पड़ना
- छालों से पानी निकलना
- शरीर में जलन होना
- शरीर पर रेडनेस आना
डॉ. जीके वर्मा ने कहा कि धूप से दो प्रकार की एलर्जी हो सकती है. इसमें फोटो टॉक्सिक रिएक्शन और फोटो एलर्जिक रिएक्शन एलर्जी शामिल है. जब कोई मरीज एमलोडीपीन या सफेद दाग की दवाई खाने के बाद धूप में जाता है तो उसे सनबर्न की तरह ही लक्ष्ण आते हैं. इसे फोटोटॉक्सिक रिएक्शन कहते हैं. एंटीबायटिक दवाइयों की इसमें बड़ी भूमिका होती है. त्वचा में कुछ फोटोसेंसटाइजर यूवी-रे के साथ प्रतिक्रिया करते हैं. ये रसायन आमतौर पर दवाओं में होते हैं. जब कोई डॉक्सीसाइक्लिन, टेट्रासाइक्लिन, सिप्रोफ्लाक्सासिन का सेवन करने के बाद धूप में जाता है तो उसे फोटोटॉक्सिक रिएक्शन हो सकता है. यदि कोई यह दवाई खाता है तो उसे धूप में अपना बचाव रखना चाहिए, क्योंकि बाकी लोगों की अपेक्षा इन्हें सनबर्न अधिक होता है. इसमें व्यक्ति के शरीर पर सनबर्न की तरह ही लक्ष्ण देखने को मिलते हैं.
- बड़े-बड़े छाले आना
- लाली आना
- जलन होना आना शामिल है.
फोटो एलर्जिक रिएक्शन में नॉन स्पेसिफिक रिएक्शन आते हैं. ब्लड प्रेशर की दवाइयां खाने वाले मरीजों में इसका खतरा ज्यादा होता है. इसे पॉलीमार्फिक लाइट रिएक्शन कहते हैं, ये धूप में जाने के छह से या बारह घंटे बाद शुरू होता है, जबकि फोटोटॉक्सिक या सनबर्न एकदम शुरू होता है. इसमें भी दवाइयों का रोल ज्यादा होता है. बीपी, थायरॉयड, डायोटिक्स से भी फोटो एलर्जिक बढ़ सकती है.