रांची: हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद सत्तारुढ़ जेएमएम का पावर पिक्चर हर गुजरते दिन के साथ बदल रहा है. ऐसा हम नहीं कह रहे बल्कि जेएमएम के अंदरखाने से बाहर आती तस्वीरें खुद बयां कर रही हैं. आपके सामने जो तस्वीर है, उसमें सत्ताधारी गठबंधन के तमाम बड़े चेहरे हैं.
हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन, कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी जीए मीर, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर, जेएमएम के महासचिव बिनोद पांडे, भाकपा माले के कोडरमा उम्मीदवार बिनोद कुमार सिंह, प्रदेश राजद के महसचिव कैलाश यादव और राजद कोटे के मंत्री सत्यानंद भोक्ता के बीच चाय पर चर्चा के बीच एक चेहरा ऐसा है जो अचानक से सुर्खियों में आ गया है. महाशय का नाम है सुनील श्रीवास्तव. ये तत्कालीन सीएम हेमंत सोरेन के वरीय आप्त सचिव रहे हैं. सत्ता में इनका रसूख जगजाहिर है. अब चर्चा हो रही है कि हेमंत के जेल जाने और पिंटू के तथाकथित रुप से आउट होते ही सुनील श्रीवास्तव जेएमएम के सिस्टम में 'इन' हो गये हैं.
सुनील श्रीवास्तव का कद कितना बढ़ गया है, उसे उनके बैठने के हाव भाव से समझा जा सकता है. महाशय का कॉन्फिडेंस देखिए. सत्ताधारी दलों के तमाम वरीय नेताओं के सामने पैर पर पैर चढ़ाकर चाय की चुस्की ले रहे हैं. जबतक हेमंत सोरेन सीएम रहे, तबतक सुनील श्रीवास्तव किसी भी बैठक में इस मुद्रा में नजर नहीं आए. चर्चा भी ऐसी वैसी नहीं बल्कि 21 अप्रैल को जेएमएम की ओर से रांची में बुलाई गयी उलगुलान न्याय महारैली की सफलता को लेकर थी. क्योंकि इसी मंच से कल्पना सोरेन के राजनीतिक कद की अग्नि परीक्षा होनी है.
अब सवाल है कि जिस सुनील श्रीवास्तव का कोई राजनीतिक आधार ही नहीं है, जो जेएमएम में सिर्फ केंद्रीय समिति के सदस्य हैं, वो इतने डिसाइसिव पोज में कैसे बैठ सकते हैं. वो भी पावर सेंटर बनीं कल्पना सोरेन के सामने. दिल्ली में केजरीवाल के समर्थन में हुई इंडी की रैली में भी सुनील श्रीवास्तव ही नजर आए थे. आपको बता दें कि जेएमएम में 300 से ज्यादा केंद्रीय सदस्य हैं. जबकि अभिषेक उर्फ पिंटू पार्टी में केंद्रीय सचिव हैं. आमतौर पर इस लेबल की बैठक में वरीयता मायने रखती है.
पार्टी नेताओं को खलेगी सुनील की मौजूदगी- शंभूनाथ
वरिष्ठ पत्रकार शंभूनाथ चौधरी ने कहा कि इसके दो पहलू हैं. पहली बात तो ये कि कल्पना सोरेन के नेतृत्व में गंभीर मसले पर सर्वदलीय बैठक बुलाई गई थी. उसमें सुनील श्रीवास्तव की मौजूदगी पार्टी के दूसरे वरिष्ठ नेताओं को जरुर खलेगी. क्योंकि पार्टी में सुनील श्रीवास्तव का कोई कद नहीं है. इन्हीं वजहों से पार्टी के भीतर पिंटू का भी विरोध होता रहा है.
दूसरी बात, अब साफ हो गया है कि हेमंत सोरेन के सलाहकार ही एक्टिव हैं. चूकि सुनील श्रीवास्तव उनके वरीय आप्त सचिव रहे हैं. जहां तक पिंटू की बात है तो उनकी अहमियत कम नहीं हुई है. शनिवार को भाजपा प्रवक्ता अजय आलोक ने प्रेस कॉन्फ्रेस में पिंटू का मसला उठाया था. उन्होंने कहा कि लैंड स्कैम मामले में ईडी को दिए बयान से पिंटू की जान को खतरा हो सकता है. उन्हें सुरक्षा दी जानी चाहिए. इसपर झामुमो ने फौरन जवाब दिया कि पिंटू की चिंता भाजपा को क्यों हो रही है. पिंटू की बातों को तोड़ मरोड़ कर रखा जा रहा है.
बैठक में शामिल राजद के महासचिव क्या बोले ?