रायपुर:रायपुर के जग्गी हत्याकांड मामले में अभय गोयल ने रायपुर के कोर्ट में गुरुवार को सरेंडर किया है. रामअवतार जग्गी हत्याकांड मामले में 30 अभियुक्त बनाए गए थे. इनमें जग्गी हत्याकांड में शामिल 2 आरोपी बुलठू पाठक और विक्रम शर्मा की मौत हो चुकी है. 1 अभियुक्त सुरेंद्र सिंह सरकारी गवाह बन गए. बचे 27 अभियुक्तों में से 16 अभियुक्तों ने अलग-अलग तारीखों में रायपुर के कोर्ट में सरेंडर कर दिया.
2003 में हुई थी हत्या:छत्तीसगढ़ के सियासी इतिहास में बहुचर्चित राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता रामअवतार जग्गी की 4 जून 2003 को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. अब जग्गी हत्याकांड मामले में 11 आरोपी अभी भी सरेंडर करने के लिए बचे हैं. अभय गोयल से पहले संजय सिंह खुशवाह, नरेश प्रसाद शर्मा, अनिल उर्फ प्रमोद पचौरी, सत्येंद्र सिंह तोमर, राजू भदोरिया, धर्मेंद्र उर्फ लल्लन, रवि सिंह, शूटर चिमन सिंह और विनोद राठौड़ सहित अब तक 16 अभियुक्तों ने कोर्ट में सरेंडर किया है.
4 जून 2003 को मेरे पिता राम अवतार जग्गी की हत्या हुई थी. 4 अप्रैल 2024 को हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद हमने फैसले का स्वागत किया है. पिता की हत्या के तुरंत बाद मौदहा पारा थाने में हमने एफआईआर भी दर्ज करवाई थी, जिसमें मृतक अजीत जोगी और उनके पुत्र अमित जोगी का भी इस हत्याकांड में नाम दर्ज कराया था. उसके बाद इस पूरे मामले को पुलिस ने हैंडल किया था. इसके बाद हमने मामले में सीबीआई जांच की मांग की थी. पुलिस ने हत्याकांड में शामिल फर्जी आरोपियों को कोर्ट में पेश किया था. कई सालों तक सीबीआई ने इस मामले की जांच की. इस पूरे मामले में सीबीआई ने 30 लोगों को अभियुक्त बनाया और चार्जशीट भी दाखिल किया. इस पूरे हत्याकांड में मुख्य आरोपी अमित जोगी को बनाया गया था. 30 लोगों को इस हत्याकांड में सहयोगी के रूप में अभियुक्त बनाया था. -सतीश जग्गी, मृतक राम अवतार जग्गी के बेटे
आरोपियों ने हाईकोर्ट में की थी अपील: जानकारी के मुताबिक आजीवन कारावास के फैसले के खिलाफ सभी आरोपियों ने निचली अदालत को चुनौती देने के लिए हाईकोर्ट में अपील की थी, लेकिन 21 साल बाद 4 अप्रैल 2024 को हाईकोर्ट बिलासपुर के दिए गए फैसले में निचली अदालत के फैसले को यथावत रखते हुए सभी आरोपियों को कोर्ट ने सरेंडर करने के निर्देश दिए थे. इसके साथ ही अमित जोगी ने सुप्रीम कोर्ट से स्टे लिया हुआ है.