नई दिल्ली: 26 नवंबर 2024 को आम आदमी पार्टी (आप) अपनी स्थापना के 12 साल पूरे कर चुकी है. यह पार्टी दिल्ली की सियासत में बागी स्वभाव के लिए जानी जाती है, जिसने पहली बार 28 दिसंबर 2013 को दिल्ली में सत्ता संभालकर एक नया अध्याय लिखा. इस दिन, पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल और उनके साथी नेताओं ने मुख्यमंत्री और मंत्री पद की शपथ ली. हालांकि, सत्ता में उनकी यह पहली पारी महज 49 दिनों तक चली, लेकिन इसके बाद आम आदमी पार्टी ने दिल्ली और पंजाब में सरकार बनाई है और भाजपा और कांग्रेस के साथ देश की तीसरी सबसे बड़ी राजनीतिक ताकत बनकर उभरी है.
अन्ना हजारे के आंदोलन से पार्टी का गठन:आम आदमी पार्टी का जन्म उस समय हुआ जब समाजसेवी अन्ना हजारे के नेतृत्व में एक बड़ा आंदोलन चल रहा था, जिसका उद्देश्य सशक्त लोकपाल, चुनाव सुधार और किसानों की मांगों को लेकर था. इस आंदोलन में अरविंद केजरीवाल एक सक्रिय भागीदार थे. 26 नवंबर 2012 को आम आदमी पार्टी का गठन हुआ, जिसका उद्देश्य इन मुद्दों पर काम करना था.
शुरुआत से लेकर अब तक का सफर:दिसंबर 2013 में, जब दिल्ली में विधानसभा चुनाव हुए, आम आदमी पार्टी ने 70 सीटों में से 28 सीटें जीतकर एक नई राजनीतिक लहर बनाई. भाजपा ने 34 सीटें जीतीं, जबकि कांग्रेस केवल 8 सीटों तक सीमित रही. कांग्रेस के समर्थन से आप ने दिल्ली में सरकार बनाई, लेकिन कांग्रेस के साथ गठबंधन के कारण यह सरकार महज 49 दिनों तक ही रह सकी.
इसके बाद 2015 में हुए विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी ने ऐतिहासिक जीत हासिल की और 70 में से 67 सीटें जीतीं. 2020 में भी आप ने अपनी स्थिति को मजबूत किया और 62 सीटों पर विजय प्राप्त की, जिससे यह स्पष्ट होता है कि पार्टी ने दिल्ली में अपनी सत्ता को बनाए रखा है.
उठापटक और चुनौतियां:हालांकि आम आदमी पार्टी ने 12 वर्ष की यात्रा में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं. पार्टी के गठन के बाद से कई प्रमुख नेताओं ने पार्टी से अलविदा ले लिया है. 2024 में पार्टी को बड़ा झटका तब लगा जब वरिष्ठ नेता और दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने पार्टी छोड़कर भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा) का दामन थाम लिया. गहलोत का यह कहकर इस्तीफा देना कि "हम लोगों के अधिकारों के लिए नहीं, बल्कि सिर्फ राजनीतिक एजेंडे के लिए लड़ रहे हैं," पार्टी के लिए एक गंभीर चुनौती है. इसके अलावा, कुमार विश्वास, योगेंद्र यादव, प्रशांत भूषण, आशुतोष और राजेंद्र पाल गौतम जैसे कई अन्य प्रमुख नेताओं ने भी पार्टी छोड़ दी है.
पार्टी में विवाद और नेताओं का इस्तीफा:हाल के वर्षों में आम आदमी पार्टी (AAP) ने भारतीय राजनीति में अपने स्थान को मजबूत किया है, बावजूद इसके कि पार्टी के भीतर विवाद और नेताओं का इस्तीफा इसकी राह में आए हैं. पार्टी के संस्थापक सदस्य कवि डा. कुमार विश्वास का इस्तीफा इसका एक प्रमुख उदाहरण है. उन्होंने पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल के साथ मतभेदों के कारण पार्टी को अलविदा कहा.