मेरठः बागपत की शूटर दादी के बाद अब यहां के एक और युवक की कहानी को मायानगरी के निर्देशकों ने बड़े पर्दे पर दिखाने का निर्णय लिया है. यह शख्स है अमित चौधरी, जिस पर दो पुलिस वालों की हत्या का आरोप कभी लगा था. इसके बाद अमित ने ने खुद ही न सिर्फ पढ़ाई करके वकालत की डिग्री ली बल्कि अपनी लड़ाई खुद लड़ी और बाइज्जत बरी भी हुए.
30 लाख रुपये में खरीदी कहानीःअमित चौधरी के संघर्ष की कहानी कहानी पर वध, सतरंगी पैराशूट, मंगल पाण्डेय द राईजिंग, ग्वालियर,बेशरम और जहानाबाद एंड लव एंड वॉर फेम निर्माता निर्देशक राजीव बरनवाल फिल्म बनाएंगे. जिसके लिए अमित चौधरी को साइनिंग अमाउन्ट के तौर पर 5 लाख रुपये भी मिल चुके हैं. इस फिल्म की कहानी के बदले में 30 लाख रुपये निर्माता निर्देशक ने अमित को देने का कॉन्ट्रेक्ट किया है.
13 साल पहले एक झटके में बदल गई थी जिंदगीःमेरठ में रहकर वकालत करने वाले अमित चौधरी बागपत के किरठल गांव के रहने वाले हैं. लगभग 13 साल पहले 12 अक्टूबर 2011 को थानाभवन की मस्तगढ़ गांव की पुलिया पर एक लाख के इनामी सुमित कैल नाम के बदमाश ने पुलिसकर्मियों पर जानलेवा हमला कर दिया था. पुलिस कर्मियों की राइफलें भी लूट ली गई थीं. जिसमें एक सिपाही की मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई थी, जबकि एक पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हुआ था. इस समय अमित चौधरी मस्तगढ़ गांव में अपनी बहन के घर गए थे.
बहन के घर गया था और पुलिस ने बना दिया मुजरिमःअमित चौधरी बताते हैं कि इस घटना को अंजाम देने के बाद बदमाश तो मौके से फरार हो गए और पुलिस ने पूरे इलाके को सील कर दिया था. वहीं, 17 लोगों पर हत्या और सरकारी असलहे लूटने का मुकदमा दर्ज किया गया था. उनका जुर्म सिर्फ इतना ही था कि जहां घटना हुई, वहीं पास में उनकी बहन की ससुराल थी और वह बहन के घर पर ही उस दिन आए हुए थे. पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया और खुद को बेकसूर बताते रहे लेकिन उनकी किसी ने नहीं सुनी और हत्या का आरोप लगाकर जेल भेज दिया. उस वक्त उम्र महज 18 साल 6 माह थी और बीए के छात्र थे. अमित कहते हैं कि बचपन से ही सिर्फ सेना में जाने का सपना देखा था. जिसके लिए प्रैक्टिस भी करते थे साथ ही एनसीसी में सी प्रमाणपत्र प्राप्त भी पाया था. लेकिन इस घटना ने जीवन बदल दिया.