लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने चकबंदी लेखपालों को दीपावली का बड़ा तोहफा दिया है. 8 साल बाद प्रदेश के प्रतीक्षारत चकबंदी लेखपालों को प्रमोट कर दिया गया है. अह प्रदेश के 68 जिलों के 728 चकबंदी लेखपालों को चकबंदीकर्ता (कानूनगो) बन गए हैं.
यूपी में चकबंदी लेखपालों को 8 साल बाद मिला प्रमोशन; 68 जिलों के 728 लेखपाल कानूनगो बने - LEKHPAL PROMOTED
DIWALI GIFT TO UP GOVERNMENT EMPLOYEES: सीएम योगी के निर्देश पर पदोन्नति, जिलों में खाली कानूनगो के पद भरेंगे
By ETV Bharat Uttar Pradesh Team
Published : Oct 9, 2024, 3:36 PM IST
|Updated : Oct 10, 2024, 12:10 PM IST
चकबंदी आयुक्त भानु चन्द्र गोस्वामी ने बताया कि प्रदेश में भूमि विवाद और चकबंदी की समस्या के त्वरित निपटारे के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गंभीर प्रयास कर रहे हैं. 2016 से प्रदेश के विभिन्न जिलों में कानूनगो के कई पद रिक्त चल रहे थे. जिसके कारण चकबंदी प्रक्रिया में बाधाएं उत्पन्न हो रही थीं. इसके साथ ही किसानों की भूमि से जुड़े विवादों के समाधान में देरी हो रही थी और भूमि सुधार के प्रयासों को भी नुकसान पहुंच रहा था. इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए रिक्त पदों को भरने के निर्देश सीएम योगी ने दिए थे. इसके बाद विभागीय पदोन्नति समिति का गठन किया गया, जिसके माध्यम से 728 योग्य चकबंदी लेखपालों को पदोन्नति दी गई है.
बरेली, गोरखपुर में सर्वाधिक पदोन्नति
इस पदोन्नति प्रक्रिया में बरेली जिले के 60 चकबंदी लेखपालों को कानूनगो बनाया गया है, जो प्रदेश में सबसे अधिक संख्या है. इसके बाद कन्नौज में 41, मुरादाबाद में 35, गोरखपुर में 32 और ललितपुर में 25 चकबंदी लेखपालों को पदोन्नति मिली है. यह निर्णय इन जिलों में चकबंदी प्रक्रिया को नई ऊर्जा देगा और किसानों की भूमि संबंधी समस्याओं का तेजी से निपटारा किया जा सकेगा.
कृषि भूमि सुधार प्रक्रिया को मिलेगी गति
चकबंदी आयुक्त ने बताया कि चकबंदीकर्ता के पदों पर नियुक्ति से प्रदेश में भूमि सुधार और चकबंदी की प्रक्रिया को सुचारू रूप से लागू करने में सहायता मिलेगी. चकबंदी, किसानों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है. क्योंकि यह उनके खेतों को एकत्रित कर उन्हें बेहतर तरीके से उपयोग करने की सुविधा प्रदान करती है. भूमि का सही ढंग से पुनर्संयोजन होने से किसानों की उत्पादकता में वृद्धि होगी और कृषि की दिशा में राज्य का विकास होगा. मुख्यमंत्री योगी का यह कदम न केवल किसानों के हित में है बल्कि प्रदेश में राजस्व प्रशासन और भूमि सुधार की दिशा में भी एक बड़ी सफलता के रूप में देखा जा रहा है. इससे भूमि विवादों के निपटारे में तेजी आएगी और राज्य के कृषि क्षेत्र में समृद्धि आएगी.