बरेली में आए दिन सांड के हमले में लोगों की जान जा रही है. बरेली :जिले में खूंखार सांड आए दिन लोगों की जान ले रहे हैं. ऐसे मामलों में ठोस कार्रवाई के बजाय मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी लोगों को सचेत रहने की सलाह दे रहे हैं. हालांकि उन्होंने समस्या के स्थायी समाधान के लिए ठोस रणनीति बनाने की बात कही है. जिले में एक महीने में ही सांड के हमले में छह लोगों की जान जा चुकी है.
अलग-अलग थाना क्षेत्रों में सांडों ने छह लोगों को पटक-पटक कर मार डाला था. 65 वर्षीय करुणा शंकर सुबह के समय टहलने निकले थे. इस दौरान सांड ने हमला कर उन्हें मार डाला था. इसी तरह अन्य भी घटनाएं हुईं हैं. कई घटनाओं के तो सीसीटीवी फुटेज भी सामने आए थे.
सांडों के आतंक पर मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. मेघ श्याम ने मीडिया से बातचीत में कहा कि नंदी बैल सड़कों पर घूम रहे हैं. बरेली में नंदी बैलों की संख्या काफी ज्यादा है. पहले नंदी बैलों का बधियाकरण करके और उनकी नाथ डाल करके खेती में उनका इस्तेमाल करते थे.
अब खेती में इनका इस्तेमाल नहीं हो पा रहा. इनकी संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. लोग अपने बछड़े को 6 महीने के अंदर ही लावारिस छोड़ देते हैं. सांडों की बढ़ती संख्या के कारण हमले की घटनाएं हो रही हैं. हम प्रयास कर रहे हैं की नंदी बैल को पकड़कर गौशालाओं में छोड़ जाए. इसे लेकर रणनीति बनाई जा रही है. नंदी बैल को भी पकड़ करके गौशालाओं में छोड़ने के लिए ग्राम स्तर पर भी एक टीम बनाई गई है.
मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी ने कहा कि हम गाड़ी चलाते हैं, ट्रैफिक में जाते हैं तो वीआईपी गाड़ी से चार-पांच की मौत हो जाती है तो हम किसको जिम्मेदार ठहराएं. पीडब्ल्यूडी को या परिवहन निगम को जिम्मेदार ठहराए, या गाड़ी मालिक को दोष दें. ऐसा ही सांडों के हमले में भी है. अगर कोई जागरूक नहीं है सांड कहीं खड़े हैं, उनसे कोई टकरा गया तो वे खतरनाक साबित हो जाते हैं.
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