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कामेश्वर बैठा 2009 में जब सांसद बने तो दर्ज थे 46 आपराधिक मामले, 2024 में एक भी नहीं - Lok Sabha election 2024

Kameshwar Baitha. मंगलवार को पलामू लोकसभा सीट से बसपा के प्रत्याशी के रूप में पूर्व टॉप माओवादी कमांडर कामेश्वर बैठा ने नामांकन पत्र भरा है. नॉमिनेशन के दौरान दाखिल किए दस्तावेज के मुताबिक उनपर एक भी आपराधिक मामला दर्ज नहीं है. वहीं 2009 में जब उन्होंने नॉमिनेशन किया था, उस वक्त 46 आपराधिक मामले दर्ज थे.

Kameshwar Baitha
Kameshwar Baitha

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Apr 23, 2024, 8:16 PM IST

पलामू: देश की राजनीति में उस वक्त खलबली मची थी जब कोई माओवादी विचारधारा से जुड़ा रहा व्यक्ति सांसद बना था. 2009 में झारखंड मुक्ति मोर्चा के टिकट पर अपने जमाने के टॉप माओवादी नेता रहे कामेश्वर बैठा पलामू लोकसभा सीट से सांसद बने थे. 2009 में कामेश्वर बैठा ने जेल से ही चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी. इससे पहले कमेश्वर बैठा 2007 में बसपा की टिकट पर पलामू से लोकसभा का उपचुनाव लड़े थे और दूसरे स्थान पर रहे थे.

2014 में कामेश्वर बैठा तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े थे. 2024 में एक बार फिर कमेश्वर बैठा बसपा के टिकट पर पलामू लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. मंगलवार को उन्होंने निर्वाची पदाधिकारी के समक्ष अपना नामांकन पत्र दाखिल किया है. नामांकन पत्र के साथ उन्होंने एक एफिडेविट भी प्रस्तुत किया है. इस एफिडेविट में एक भी आपराधिक मामले का जिक्र नहीं किया है. कामेश्वर बैठा ने आदर्श आचार संहिता उल्लंघन से जुड़ा हुआ एक मामले का जिक्र किया है जो 2009 का है. 2009 में जब कामेश्वर बैठा सांसद बने थे उसे दौरान उनके एफिडेविट में 46 क्रिमिनल केस का जिक्र था.

धारा 302 (हत्या) के आधा दर्जन थे एफआईआर, झारखंड बिहार के कई जिलों में दर्ज था एफआईआर

2009 में कामेश्वर बैठा के चुनावी एफिडेविट के अनुसार कल 46 एफआईआर दर्ज थे. जिसमें आधा दर्जन मुकदमे हत्या की धाराओं में दर्ज किए गए थे. कामेश्वर बैठा पर मूल रूप से बिहार के भभुआ, सासाराम, झारखंड के गढ़वा, पलामू में एफआईआर दर्ज था. बिहार के भभुआ में 18, सासाराम में 18, झारखंड के गढ़वा में आठ और पलामू में दो एफआईआर दर्ज थे.

मंदिर रूपी कोर्ट से उन्हें न्याय मिला है- कमेश्वर बैठा

पूर्व सांसद कामेश्वर बैठा ने बताया कि मंदिर रूपी कोर्ट से उन्हें न्याय मिला है. सभी मुकदमा में बरी हो गए हैं. सुनवाई के दौरान उन्हें पूरा भरोसा था कि उन्हें न्याय मिलेगा.

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