देहरादून: प्रदेश में डॉक्टरों की कमी अक्सर चर्चा में रहती है, इस बार विधानसभा बजट के दौरान डॉक्टरों की कमी का मुद्दा फिर से सदन में उठाया गया, जिस पर कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत ने जवाब दिया. दरअसल, विधानसभा बजट सत्र के तीसरे दिन की कार्यवाही के दौरान स्वास्थ्य विभाग में चिकित्सकों की कमी को लेकर कांग्रेस विधायक हरीश धामी ने सवाल उठाए.
जिस पर स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत ने जवाब दिया कि प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में खासकर पिथौरागढ़ जिले में चिकित्सकों और टेक्नीशियन की काफी कमी है जिसकी वजह से जनता को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत ने डॉक्टर्स की कमी पर दिया जवाब (SOURCE: ETV BHARAT) इस सवाल पर स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखंड राज्य में कुल 2881 चिकित्सकों के पद हैं. जिसमें से 2531 डॉक्टर्स अपनी सेवाएं दे रहे हैं. जबकि 350 चिकित्सकों के पद खाली हैं. स्वास्थ्य विभाग में खाली पड़े 350 चिकित्सकों के पदों में से 276 पद बैकलॉग के हैं. जिसको भरने के लिए पहले ही दो बार विज्ञप्ति जारी की जा चुकी है ऐसे में स्वास्थ्य विभाग जल्द ही तीसरी बार विज्ञप्ति जारी करने जा रहा है ताकि खाली पड़े 276 बैकलॉग के पदों को भी भरा जा सके.
पर्वतीय जिलों में 1896 डॉक्टर्स के पद स्वीकृत:उत्तराखंड राज्य के पर्वतीय जिलों में कुल 1896 चिकित्सकों के पद स्वीकृत है. जिसके सापेक्ष 1182 स्थाई चिकित्सा और 716 बॉन्ड और संविदा के जरिए चिकित्सक अपनी सेवाएं दे रहे हैं.
उत्तराखंड में 50 फीसदी स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स की कमी: मंत्री धन सिंह रावत-हालांकि पिथौरागढ़ जिले में चिकित्सकों के कुल 174 पद स्वीकृत है जिसके सापेक्ष 84 स्थाई चिकित्सा और 45 बॉन्ड या संविदा के तहत अपनी सेवाएं दे रहे हैं. स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि उत्तराखंड राज्य में लगभग 48 से 50 फीसदी स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स की कमी है. जिन पदों को भरने के लिए सरकार की ओर से 400 डॉक्टर को पीजी करने के लिए भेजा गया है. नियमानुसार, पीजी करने वाले डॉक्टर्स का आधा खर्च राज्य सरकार वहन करती है. हालांकि, पीजी करने के लिए गए डॉक्टर्स की वजह से प्रदेश में डॉक्टर्स की कमी हुई है. लेकिन पीजी कंप्लीट करने के बाद डॉक्टर्स अपनी सेवाएं देना शुरू कर देंगे.
उत्तराखंड में खाली पड़े है 350 डॉक्टर्स के पद (SOURCE: ETV BHARAT) प्रदेश में एक भी ओटी टेक्नीशियन नहीं: उत्तराखंड राज्य में टेक्नीशियन के चार तरह के पद हैं जिसमें लैब टेक्नीशियन, एक्स-रे टेक्नीशियन, ईसीजी टेक्नीशियन और ओटी टेक्नीशियन शामिल है. प्रदेश में लैब टेक्नीशियन के कुल 343 स्वीकृत हैं जिसके सापेक्ष 156 पर अस्थाई तकनीशियन और 235 टेक्नीशियन आउटसोर्स और एनएचएम के तहत काम कर रहे हैं. यानी वर्तमान समय में लैब टेक्नीशियन के पद पर 391 कर्मचारी अपनी सेवाएं दे रहे हैं. प्रदेश में एक्स-रे टेक्नीशियन के कुल 165 पद स्वीकृत हैं जिसके सापेक्ष 68 स्थाई और 26 आउटसोर्स या एनएचएम के तहत काम कर रहे हैं. इसी तरह एक के कुल 19 पद स्वीकृत हैं जिसके सापेक्ष मात्र 10 कर्मचारी ही काम कर रहे हैं यानी 9 पद खाली पड़े हुए हैं. हैरानी की बात यह है की ओटी टेक्नीशियन के प्रदेश में कुल 10 पद स्वीकृत हैं लेकिन एक भी पद अभी तक भरा नहीं जा सका है.
सदन के भीतर स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत ने कहा कि टेक्नीशियन के पदों को भरने की कवायत चल रही है 34 टेक्नीशियन जल्द ही प्रदेश को मिल जाएंगे. टेक्नीशियन मिलने के बाद सबसे पहले मुनस्यारी और धारचूला क्षेत्र में टेक्नीशियन भेजे जाएंगे. इसके साथ ही इस साल पीजी कंप्लीट कर वापस आने वाले डॉक्टर में से एक- दो डॉक्टर को धारचूला और मुनस्यारी में भी तैनात किया जाएगा. प्रदेश में खाली पड़े ओटी टेक्नीशियन के एक भी पद भरे ना जाने के सवाल पर स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि सेवा नियमावली प्रख्यापित होने के बाद ओटी टेक्नीशियन के पदों को भरे जाने की कार्रवाई शुरू की जाएगी.
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