इंदौर। सोमवार से देश भर में लागू हुई भारतीय विधि और न्याय संहिता समेत साक्ष्य अधिनियम लागू हो गए हैं. वहीं नए अधिनियम को लेकर कानून के जानकार और वकीलों के बीच भी कंफ्यूजन की स्थिति है. लिहाजा वकीलों का कंफ्यूजन दूर करने के लिए इंदौर जिला न्यायालय की लाइब्रेरी में भी कानून की नई किताबें उपलब्ध कराई गई हैं. वहीं बाजार में भी नई धाराओं के हिसाब से अब कई पब्लिकेशन की किताबें पुलिस और कानून के जानकारों को उपलब्ध कराई जा रही हैं. जिससे आज से लागू हुई विधिक सिस्टम को लेकर विधि विशेषज्ञ पुलिस अधिकारी कर्मचारी और जुडिशरी से जुड़े सभी लोग अपडेट रह सके.
लिहाजा आज बड़ी संख्या में कोर्ट की कार्यवाही के पहले वकील इन किताबों की खरीदारी और पड़ताल करने पहुंचे. जिनका कहना था कि नए कानून में कई तरह के कंफ्यूजन हैं. जिन्हें अब पुस्तकों में देखकर ही दूर करना होगा. वहीं पुराने केस पुरानी धाराओं में ही चलेंगे. उनकी पैरवी पुराने अधिनियम से ही की जाएगी.
1 जुलाई से बदले कानून
दरअसल 1 जुलाई से लागू नए कानून के तहत भारतीय दंड संहिता को अब भारतीय न्याय संहिता के नाम से जाना जाएगा. वहीं दंड प्रक्रिया संहिता सीआरपीसी को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता लिखना होगा, क्योंकि विधि विशेषज्ञ और वकीलों द्वारा हर दिन ही आपराधिक से लेकर अन्य प्रकरणों में कई धाराओं का उल्लेख करना होता है. जिसे साधारण तौर पर याद रखा जाता है, लेकिन अब क्योंकि कानून बदलने से नए सिरे से नई धाराएं याद करनी होगी. इसलिए वकील भी अब नए अधिनियम की किताबों के भरोसे है.
बदली गईं कई धाराएं
नई विधि संहिता में जो परिवर्तन हुए हैं, उसमें विशेष तौर पर हाजिरी माफी वाली धाराओं के अलावा जमानत वाली धाराएं भरण पोषण वाली धाराएं और राजीनामा करने वाली धाराएं बदल गई हैं. इसके अलावा एसडीएम कोर्ट में प्रयुक्त होने वाली धाराओं के अलावा सुपुर्दगी की धाराएं भी बदल गई हैं. वहीं आईपीसी की धाराओं को बदला गया है. इसके अलावा चेन स्नेचिंग जैसे मामलों के लिए धारा 304 झपटमारी जोड़ी गई है. लिहाजा इन तमाम मामलों में नए सिरे से पैरवी के साथ दस्तावेजी कारण और सजा के नए प्रावधानों को लेकर विधि विशेषज्ञ और वकील भी काफी कंफ्यूज नजर आए.