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बैतूल में 23 आदिवासी परिवारों ने राष्ट्रपति से मांगी इच्छामृत्यु, वजह जानकर रह जाएंगे हैरान - 23 FAMILIES DEMAND EUTHANASIA BETUL

बैतूल जिले के कढ़ाई गांव का मामला, ग्रामीणों ने कहा- उनके पास ज़मीन के अलावा रोजगार का कोई साधन नहीं बचा, प्रशासन का कहना है- ग्रामीणों के पास ज़मीनों पर अधिकार के कोई दस्तावेज नहीं.

23 families demand euthanasia betul
बैतूल में 23 आदिवासी परिवारों ने राष्ट्रपति से की इच्छा मृत्यु की मांग (Etv Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Nov 7, 2024, 9:36 PM IST

बैतूल: बैतूल जिले के कढ़ाई गांव के 23 आदिवासी परिवारों ने राष्ट्रपति के नाम पत्र लिख कर में इच्छामृत्यु मांगी है. दरअसल इस गांव के नज़दीक उद्योग विभाग 20 हेक्टेयर ज़मीन पर वुड क्लस्टर बना रहा है. जिसके लिए प्रशासन ने 23 परिवारों से उनकी वे ज़मीनें वापस ले ली हैं जो 21 साल पहले एक योजना के तहत उन्हें दी गई थीं. पीड़ित परिवारों के मुताबिक उनके पास ज़मीन के अलावा रोजगार का कोई साधन नहीं बचा है, इसलिए उन्होंने इच्छामृत्यु की मांग की है. जबकि प्रशासन का कहना है कि ग्रामीणों की मांग गैर-वाजिब है. उनके पास ज़मीनों पर अधिकार के कोई दस्तावेज नहीं हैं. साथ ही वे कोर्ट से केस हार चुके हैं.

2003 में हरियाली खुशहाली योजना के तहत इन परिवारों को दी गई थी दो-दो हेक्टेयर जमीन

दरअसल बैतूल ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले ग्राम कढ़ाई के नज़दीक 20 हेक्टेयर भूमि पर एक वुड क्लस्टर बनाया जा रहा है, जिसमें फर्नीचर उद्योग की कई छोटी बड़ी इकाइयां स्थापित की जाएंगी. लेकिन इसकी बड़ी कीमत 23 परिवारों को चुकानी पड़ी है. साल 2003 में हरियाली खुशहाली योजना के तहत इन परिवारों को दो-दो हेक्टेयर भूमि दी गई थी. लेकिन अब यही ज़मीन इनसे वापस छीन ली गई है.

बैतूल में 23 आदिवासी परिवारों ने राष्ट्रपति से की इच्छा मृत्यु की मांग (Etv Bharat)

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साल 2003 में ग्राम पंचायत के एक प्रस्ताव के तहत 23 भूमिहीन आदिवासी परिवारों को जीवनयापन के लिए दो दो हेक्टेयर भूमि दी गई थी. जिस पर उन्होंने हज़ारों फलदार पेड़ पौधे लगाए. 21 साल में ये पेड़ पौधे इनकी आय का मुख्य स्रोत बन चुके थे लेकिन अचानक सब कुछ खत्म हो गया. प्रशासन ने वुडन क्लस्टर के लिए 23 परिवारों को दी गई जमीने वापस ले ली. लेकिन बदले में इन परिवारों को ना ज़मीन मिली ना रोजगार और ना भविष्य की गारंटी.

पीड़ित परिवारों के मुताबिक उनके पास केवल 2003 में हुई ग्राम सभा का प्रस्ताव

23 आदिवासी परिवारों ने राष्ट्रपति के नाम लिखे एक पत्र में इच्छामृत्यु मांगी है. ज़मीनों पर अपना अधिकार बताने के लिए इनके पास केवल साल 2003 में हुई ग्राम सभा का प्रस्ताव है जबकि प्रशासन इनसे कागज़ात मांग रहा है. पीड़ित परिवारों के मुताबिक अगर ग्राम सभा के प्रस्ताव का कोई वजूद नहीं तो फिर ग्राम सभा का मतलब ही क्या हुआ? और जब आज तक शासन रोजगार नहीं दे सका तो अब उनसे क्यों उम्मीद की जाए.

प्रशासन का दावा प्रभावित परिवारों को रोजगार से जोड़ा जाएगा

इधर प्रशासन का अपना तर्क है. कलेक्टर के मुताबिक वुडन क्लस्टर बनने से बैतूल जिले का नाम देश दुनिया में चमकेगा. जहां तक 23 आदिवासी परिवारों की बात है तो उन्हें कुछ संगठन बरगला कर विरोध करवा रहे हैं. बरगलाने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी. वहीं अगर रोजगार की बात है तो प्रशासन का दावा है कि प्रभावित परिवारों को रोजगार से जोड़ा जाएगा.

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