दिल्ली

delhi

ETV Bharat / state

"उम्र 80 के ऊपर, इसलिए मौत की सजा नहीं", जानिए- सज्जन कुमार को उम्रकैद पर किसने क्या कहा? - LIFE IMPRISONMENT TO SAJJAN KUMAR

1984 के सिख विरोधी दंगे के दौरान सरस्वती विहार के मामले में कोर्ट ने सज्जन कुमार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है.

सज्जन कुमार को आजीवन कारावास
सज्जन कुमार को आजीवन कारावास (ETV Bharat)

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Feb 25, 2025, 4:03 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली का राऊज एवेन्यू कोर्ट ने मंगलवार को 1984 के सिख विरोधी दंगे के दौरान सरस्वती विहार के मामले में दोषी करार दिए गए पूर्व कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई. स्पेशल जज कावेरी बावेजा ने यह फैसला सुनाया. कोर्ट सज्जन कुमार को 12 फरवरी को ही दोषी करार दिया था. सज्जन कुमार को उम्रकैद की सजा सुनाए जाने पर अलग अलग प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं.

2 आजीवन कारावास भी बहुत बड़ी बात है:एडवोकेट एच.एस. फूल्का ने 1984 के सिख विरोधी दंगों के मामले में सज्जन कुमार को उम्रकैद की सजा सुनाए जाने पर कहा, "... 2 आजीवन कारावास भी बहुत बड़ी बात है. जज ने अपने फैसले में लिखा है कि हमारी और सरकार की मांग थी कि सज्जन कुमार को फांसी की सजा सुनाई जाए मगर वह नहीं दी गई क्योंकि उनकी उम्र 80 साल है. वे बीमार हैं, और खुद को संभाल भी नहीं सकते हैं... यह कानून है कि 80 साल के ऊपर और बीमार व्यक्ति को फांसी की सजा नहीं सुनाई जाती".

दिल्ली के मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा, "सज्जन कुमार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है... मैं SIT गठित करने और मामले को फिर से खोलने के लिए प्रधानमंत्री मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को धन्यवाद देता हूं. ये मामले 35 साल से बंद थे और सज्जन कुमार, जगदीश टाइटलर, कमल नाथ जैसे लोग मुख्यमंत्री और सांसद के रूप में खुलेआम घूमते थे... हम मृत्युदंड की उम्मीद कर रहे थे... अब जगदीश टाइटलर और कमल नाथ की बारी है".

सिख नेता गुरलाद सिंह ने कहा, "... हमें मौत की सज़ा से कम कुछ भी मंजूर नहीं है... हम अदालत के फैसले से खुश नहीं हैं. हम सरकार से अपील करेंगे कि वे उच्च न्यायालय जाएं और सज्जन कुमार के लिए मौत की सज़ा की घोषणा करें".

दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (DSGMC) के महासचिव जगदीप सिंह कहलों ने कहा कि "हम इस बात से दुखी हैं कि सज्जन कुमार जैसे व्यक्ति को मौत की सज़ा नहीं दी गई. मेरा मानना ​​है कि अगर उसे मौत की सज़ा दी जाती तो यह बेहतर होता और हमें संतुष्टि मिलती... 41 साल बाद, भले ही उसे आजीवन कारावास की सज़ा मिली हो, लेकिन न्याय की जीत हुई है, मैं अदालत के फ़ैसले का सम्मान करता हूँ".

क्या था मामला: मामला 1 नवंबर, 1984 का है, जिसमें पश्चिमी दिल्ली के राज नगर में सरदार जसवंत सिंह और सरदार तरुण दीप सिंह की हत्या कर दी गई थी. शाम को करीब चार-साढ़े चार बजे दंगाइयों की भीड़ ने पीड़ितों के राज नगर इलाके स्थित घर पर लोहे के सरियों और लाठियों से हमला कर दिया था. शिकायतकर्ताओं के मुताबिक, इस भीड़ का नेतृत्व सज्जन कुमार कर रहे थे जो उस समय बाहरी दिल्ली लोकसभा सीट से कांग्रेस के सांसद थे.

यह भी पढ़ें-

ABOUT THE AUTHOR

...view details