नई दिल्ली:हिंदू धर्म में श्रावण यानी सावन माह को बहुत पवित्र महीना माना जाता है. मान्यताओं के अनुसार, यह महीना भगवान भोलेनाथ को बहुत प्रिय है और इस दौरान जलाभिषेक एवं पूजन-अर्चन करने से व्यक्ति की सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. वहीं, विभिन्न प्रकार के शिवलिंग के जलाभिषेक करने का महत्व भी अलग अलग होता है. इसमें पारद शिवलिंग का विशेष महत्व है. मान्यता है कि पारद शिवलिंग का पूजन करने से भक्त को आरोग्य (स्वास्थ्य) एवं सफलता की प्राप्ति होती है.
पश्चिमी दिल्ली के तिलक नगर में 120 वर्ष पुराने सात मंजिला मंदिर में एशिया का दूसरा सबसे विशालकाय पारद शिवलिंग स्थापित है. इस शिवलिंग वजन 551 किलो है. मंदिर के पुजारी सुनील शास्त्री ने 'ETV Bharat' को बताया कि पारद शिवलिंग पर जलाभिषेक करने से ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीन देवताओं का पूजन के पूजन का फल मिलता है. साथ ही माता पिता और गुरु की पूजा का फी पुण्य प्राप्त होता है. पारद की उत्पत्ति भगवान शिव के अंश से हुई थी. पारद शिवलिंग को घर में रखने से भगवान शिव, माता लक्ष्मी और कुबेर का स्थायी वास होता है.
पारद शिवलिंग का महत्व: यह सभी पापों का नाश करने तथा रोगों से मुक्ति प्रदान करने वाला शिवलिंग है. सुनील शास्त्री ने ने बताया की पारद शिवलिंग के स्पर्श मात्र से ही महादेव प्रसन्न हो जाते हैं और सभी सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है. पारद शिवलिंग को पारा, चांदी और जड़ी बूटियों के मिश्रण से तैयार किया जाता है. पारद शिवलिंग की पूजा से भक्तों को 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन का पुण्य मिलता है.