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उम्र 61 साल, अब तक 106 बार डोनेट कर चुके हैं ब्लड, वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाकर दिल्ली के जितेंद्र सिंह शंटी ने पेश की मिसाल - World Blood Donor Day 2024

World Blood Donor Day: हर साल दुनिया भर में 14 जून को विश्व रक्तदाता दिवस (WORLD BLOOD DONOR DAY) मनाया जाता है. इस दिन को मनाने का उद्देश्य लोगों को रक्तदान के प्रति जागरूक करना है. इस मौके पर ETV Bharat की टीम ने एक शख्सियत से बातचीत की है जो 61 साल की उम्र में अब तक 106 बार ब्लड डोनेट कर चुके हैं.

14 जून विश्व रक्तदाता दिवस
14 जून विश्व रक्तदाता दिवस (SOURCE: ETV BHARAT)

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jun 14, 2024, 9:23 AM IST

Updated : Jun 15, 2024, 3:02 PM IST

नई दिल्ली:14 जून को प्रति साल विश्व रक्तदाता दिवस मनाया जाता है. लोगों को रक्तदान के प्रति जागरूक करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से साल 2004 में इसकी शुरूआत की गई. रक्तदान कर ना जाने कितनी जिंदगियों की मदद की जा सकती है. इसलिए रक्तदान को महादान भी कहा गया है.

विश्व रक्तदाता दिवस आज (ETV Bharat)

हम अक्सर देखते हैं कि राजधानी दिल्ली में आए दिन रक्तदान शिविर का आयोजन किया जाता है और लोगों को रक्तदान करने के लिए प्रेरित किया जाता है. लेकिन, कुछ लोग दिल्ली में ऐसे भी हैं जो रक्तदान करने के लिए विश्व रक्तदान दिवस का इंतजार नहीं करते. उन्होंने रक्तदान को अपने जीवन का हिस्सा ही बना लिया है. वह खुद तो नियमित रूप से रक्तदान करते ही हैं बल्कि दूसरों को भी रक्तदान करने के लिए साल के 365 दिन प्रेरित करते रहते हैं.

'रक्तदाता है जीवन दाता उससे बढ़कर सिर्फ विधाता'-पद्मश्री जितेंद्र सिंह शंटी (SSOURCE: ETV BHARAT)

आज हम आपको दिल्ली में लगातार रक्तदान के प्रति मुहिम चला रहे और खुद भी रक्तदान करके वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज कराने वाले वाली एक शख्सियत से रूबरू कराने जा रहे हैं, जिन्होंने 18 साल की उम्र में पहली बार रक्तदान किया और उसके बाद रक्तदान से वो इतने प्रेरित हुए कि उन्होंने इसे अपने जीवन का हिस्सा बना लिया, 61 साल की उम्र में वो अब तक कुल 106 बार रक्तदान कर चुके हैं

'रक्तदाता है जीवन दाता उससे बढ़कर सिर्फ विधाता'-पद्मश्री जितेंद्र सिंह शंटी

ऐसी ही शख्सियत का नाम है पद्मश्री जितेंद्र सिंह शंटी. जितेंद्र सिंह शंटी ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि जब वह 18 वर्ष के थे तो उनके पड़ोस में रहने वाले एक अंकल की हार्ट की सर्जरी होनी थी और उन्हें ब्लड की जरूरत थी. उनकी पत्नी मेरी मां के पास आईं और उन्होंने कहा कि मेरे पति की हार्ट की सर्जरी होनी है. उन्हें ब्लड की जरूरत है. कोई ब्लड देने वाला नहीं मिल रहा है. मेरी मां ने उनसे कहा कि आप मेरे बेटे को ले जाओ. यह ब्लड दे देगा. शंटी ने बताया कि मेरी उम्र 18 साल थी. लेकिन, ब्लड देने की बात मैंने पहली बार सुनी थी तो पहले डर लगा. लेकिन, मैं आंटी के साथ चला गया. मैंने वहां ब्लड दिया और उसके बाद घर आ गया. फिर जब ऑपरेशन के बाद अंकल ठीक हो गए तो वह जब भी कहीं गली में टहलते हुए दिखते थे और किसी से बात करते थे तो यही कहते थे कि मैं तो शंटी के खून से जिंदा हूं. यह ब्लड ना देता तो शायद में जिंदा नहीं होता. उनकी यह बात सुनकर काफी प्रेरणा मिली और इसके बाद मुझे लगा कि वाकई रक्तदान करना बहुत जरूरी है और फिर रक्तदान मेरे जीवन का हिस्सा बन गया. मैं नियमित रूप से रक्तदान करने लगा और साल 2023 तक आते आते मैं सेंचुरियन ब्लड डोनर बन गया. मुझे स्टेट ब्लड ट्रांसफ्यूजन काउंसिल ने भी सम्मानित किया और उसके बाद वर्ल्ड वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भी मेरा 100 बार रक्तदान करने के लिए नाम दर्ज हुआ इस तरह की छोटे-छोटे सम्मानों से उत्साह बढ़ता गया और मैं इस मुहिम को और जोश से शुरू किया.

दिल्ली के जितेंद्र सिंह शंटी ने पेश की मिसाल (SOURCE: ETV BHARAT)

जितेंद्र सिंह शंटी ने बताया कि

कारगिल युद्ध के समय भी हमने ब्लड डोनेशन कैंप लगाकर 500 यूनिट ब्लड इकट्ठा करके दिया. गुजरात में भुज में जब भूकंप आया तो भी हमने ब्लड इकट्ठा करके दिया इसके अलावा उत्तर पूर्वी दिल्ली में साल 2020 में जब दंगा हुआ तो 100 यूनिटरी इकट्ठा करके दिया. उन्होंने बताया कि अभी तक में कुल 189 ब्लड डोनेशन कैंप लगा चुका हूं और तकरीबन 18000 यूनिट ब्लड इकट्ठा करके अस्पतालों व समाज सेवी संस्थाओ को दे चुका हूं. शंटी ने बताया कि मेरी उम्र 62 साल हो गई है. जब तक मैं फिट हूं तब तक रक्तदान करता रहूंगा. उन्होंने बताया कि मैं अपने जन्मदिन के अवसर पर हर साल अगस्त महीने में रक्तदान करता हूं. इसके अलावा साल में दो-तीन बार और रक्तदान कर देता हूं.

वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भी नाम दर्ज (SOURCE: ETV BHARAT)

'रक्तदाता है जीवन दाता उससे बढ़कर सिर्फ विधाता'

जितेंद्र सिंह शंटी ने कहा कि मैं अपने स्लोगन के सहारे लोगों को संदेश देना चाहता हूं. मैं खुद भी हूं. मानता हूं कि रक्त सिर्फ भगवान दे सकता है या कोई मनुष्य दे सकता है. बाकी किसी पशु पक्षी का रक्त किसी मनुष्य के काम नहीं आ सकता. इसलिए 'रक्तदाता है जीवन दाता उससे बढ़कर सिर्फ विधाता. इस ध्येय वाक्य के साथ ही मैं अपने स्वयं के ध्येय में लगा हूं और रक्तदान करके मुझे बड़ी खुशी मिलती है.

उम्र 61 साल, अब तक 106 बार डोनेट कर चुके हैं ब्लड (SOURCE: ETV BHARAT)

शंटी ने कहा कि 16 से 60-65 साल की उम्र तक का स्वस्थ व्यक्ति कोई भी रक्तदान कर सकता है. बस उसको इस स्तर की शुगर ना हो कि उसे इंसुलिन लेनी पड़ रही हो. हल्की-फुल्की शुगर वाला व्यक्ति भी रक्तदान कर सकता है. रक्तदान करने से शरीर स्वस्थ रहता है और कई तरह की बीमारियों से भी दूर रहता है रक्तदान करने से शरीर में नया खून बनता है जिससे शरीर को स्वस्थ रखने में मदद मिलती है.

'सरकारी अस्पताल का ब्लड नहीं लेते प्राइवेट हॉस्पिटल, इस व्यवस्था में सुधार की जरूरत'

जितेंद्र सिंह शंटी ने बताया कि अस्पतालों के बीच में एक चलन है कि सरकारी अस्पताल का ब्लड कभी निजी अस्पताल स्वीकार नहीं करते हैं, क्योंकि प्राइवेट अस्पतालों ने यह धंधा बना रखा है कि एक यूनिट ब्लड वह अपने अस्पताल में किसी व्यक्ति से लेते हैं तो उसका 10000 चार्ज करते हैं, जब भी किसी मरीज के ऑपरेशन के लिए प्राइवेट अस्पताल में ब्लड लिया जाता है तो उसके एक यूनिट का 10 हजार रूपये प्रति यूनिट तो अस्पताल ब्लड को प्रिजर्व करने का लगाते हैं. अगर तीन यूनिट की किसी को जरूरत पड़ी तो प्राइवेट अस्पताल उसके तीन लाख रूपये लगाते हैं. इसमें उनकी मनमानी चल रही है. मैंने कई बार स्टेट ट्रांसफ्यूजन काउंसिल का सदस्य रहने के दौरान इस मुद्दे को उठाया लेकिन इस पर कोई सुनवाई नहीं हुई.

'कई अस्पतालों में ब्लड बैंक की स्थिति दयनीय'जितेंद्र सिंह शंटी ने बताया कि दिल्ली के कई सरकारी अस्पतालों में ब्लड बैंक की स्थिति बहुत ही दयनीय है. ब्लड बैंक में अक्सर ब्लड की थैलियां खत्म हो जाती हैं. ब्लड बैंक के पास अपना वाहन नहीं है. कई बार जीटीबी अस्पताल के ब्लड बैंक के लोग ब्लड डोनेशन कैंप लगाते हैं तो ई रिक्शा में ब्लड को रख कर ले जाते हैं. यह स्थिति बहुत दयनीय है. लोगों की जान बचाने के लिए लोग रक्तदान करते हैं और उस रक्त को सुरक्षित तरीके से ले जाने की व्यवस्था तक नहीं है. यह स्थिति बहुत खराब है. इसमें सुधार होना चाहिए.

दिल्ली में रक्तदान करने वालों की संख्या बहुत कम, बढ़ानी होगी जागरूकता

जितेंद्र सिंह शंटी ने कहा कि गांव देहात के क्षेत्र में अभी रक्तदान के प्रति लोग बहुत ज्यादा जागरूक नहीं हैं. इसके साथ ही दिल्ली में राजधानी होने के बावजूद भी लोगों के बीच रक्तदान के बारे में जागरूकता की कमी है. दिल्ली में अभी रक्तदान का चलन बहुत ज्यादा नहीं है. लेकिन, दक्षिण भारत में रक्तदान के प्रति लोग जागरूक हैं. वहां, अच्छी संख्या में लोग रक्तदान करते हैं. लेकिन दिल्ली और एनसीआर में हमें भी जागरूकता बढ़ाने के लिए काम करना होगा. शंटी ने लोगों से रक्तदान की अपील करते हुए कहा कि साल में ज्यादा नहीं तो एक बार रक्तदान अवश्य करें और जरूरतमंदों के काम आने का प्रयास करें.

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Last Updated : Jun 15, 2024, 3:02 PM IST

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