जयपुर : राजस्थान के करौली जिले के सुंदर गुर्जर ने पेरिस में आयोजित पैरालंपिक खेलों में एक बार फिर मेडल जीता है. एक हादसे के दौरान सुंदर ने अपने हाथ की कलाई गंवा दी थी. बताया जाता है कि लोहे की शीट उतारते समय यह हादसा हुआ था और लंबे समय तक वो अवसाद में रहे. उन्हें लगा कि जैसे उनकी दुनिया ही खत्म हो गई है, लेकिन उनके परिजनों, दोस्तों और कोच ने उनका हौसला बढ़ाया. उसके बाद सुंदर ने एक के बाद एक कई सफलता की नजीर पेश की और अपनी शारीरिक असमक्षता को ही ताकत बना लिया.
सुंदर गुर्जर इंडियन पैरालंपिक के जेवलिन थ्रोअर खिलाड़ी हैं, जिन्होंने अपने कोच महावीर प्रसाद सैनी के सानिध्य में एक अलग मुकाम बनाया है. इससे पहले सुंदर ने लंदन में आयोजित हुई वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में देश के लिए स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचा था. साथ ही सुंदर ने एक नया वर्ल्ड रिकॉर्ड भी बनाया था. इसके अलावा सुंदर ने साल 2023 में आयोजित एशियाई पैरा गेम्स में भी इतिहास रचा था. उन्होंने 68.60 मीटर थ्रो कर गोल्ड मेडल अपने नाम किया था.
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एक नजर सुंदर की उपलब्धियों पर :सुंदर गुर्जर अर्जुन अवार्ड से भी सम्मानित हो चुके हैं. इसके अलावा 2017 में वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 60.36 मीटर भाला फेंककर उन्होंने पहला गोल्ड मेडल जीता था. वहीं, 2018 में एशियन गेम्स में एक सिल्वर और एक कांस्य पदक अपने नाम किया था. इसके बाद 2019 में वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता और 2020 में टोक्यो पैरालंपिक में 64.01 मीटर भाला फेंककर कांस्य पदक जीता था. इतना ही नहीं साल 2021 में चीन पैरा एशियन गेम्स में उन्होंने कांस्य पदक जीता था. फिर 2023 में एशियाई पैरा गेम्स में 68.60 मीटर भाला फेंककर गोल्ड मेडल जीता और अब 2024 में पेरिस पैरालंपिक में 64.96 मीटर भाला फेंककर कांस्य पदक जीता है.
ऐसे हुआ खेलों के प्रति झुकाव : सुंदर गुर्जर का लगाव शुरू से ही खेलों के प्रति रहा है, लेकिन साल 2016 में एक हादसे में उन्होंने अपनी कलाई गंवा दी. सुंदर ने बताया कि इस हादसे के बाद वो पूरी तरीके से टूट चुके थे, लेकिन आगे परिवार, दोस्तों और कोच ने उनका हौसला बढ़ाया और उन्होंने अपनी कमजोरी को ही अपनी ताकत बना लिया. वहीं, आज उन्होंने खेल के क्षेत्र में अपना एक खास मुकाम बनाया है.