पिंपरी चिंचवड़ : छोटी सी उम्र में अनजाने में हुई गलतियां, चार दीवारों के भीतर कैद हंसी के दिन, नतीजतन निराशा के गर्त में फंसा बचपन. पिंपरी चिंचवड़ शहर में संदेश बोर्डे नाम के व्यक्ति नशे की लत और ऐसे बचपन को खो चुके विचाराधीन किशोर बच्चों के लिए उम्मीद की किरण बन रहे हैं. संदेश बोर्डे इन बच्चों के जीवन में बड़ा बदलाव लाने का काम कर रहे हैं.
शहर भर के बाल अपराधी बच्चों में खेलों के प्रति रुचि पैदा कर वे बेहतरीन फुटबॉलर बन गए हैं और आज भारत की ओर से विदेश में खेलने जा रहे हैं. यह कहानी हमने फिल्म 'झुंड' के माध्यम से देखी है. लेकिन ठीक इसलिए कि ऐसी घटना घटी है, इस विषय पर पूरे शहर में चर्चा हो रही है.
कौन है संदेश बोर्ड
संदेश बोर्डे जब 10वीं कक्षा में पढ़ते थे, तब उनके पिता का निधन हो गया था. उसके बाद जब वे कॉलेज के प्रथम वर्ष में पढ़ रहे थे, तब उनकी मां का भी निधन हो गया. फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी. उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी की. आज वे एक आईटी कंपनी में अच्छे पद पर कार्यरत हैं. उनकी मां पिंपरी चिंचवड़ शहर के वाकड में कालाखड़क झुग्गी बस्ती के बच्चों की देखभाल करती थीं.
झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले बच्चों में बढ़ती नशे की लत और अपराध पर लगाम लगाने का काम उन्होंने ही किया था. वे इन बच्चों को इकट्ठा करके उन्हें उचित प्रशिक्षण देते थे. अपनी मां के सपने को पूरा करने के लिए बोर्डे ने उनकी शिक्षाओं का पालन करते हुए कालाखड़क झुग्गी के बच्चों की देखभाल की.
हालांकि, ये बच्चे गिरोह बनाकर और आपराधिक गतिविधियों में शामिल होकर छोटी-छोटी बातों पर हमेशा झगड़ते रहते थे. इसलिए उन्होंने इन बच्चों को घुमाने ले जाने और कबूतर पालने का शौक लगाने की कोशिश की. हालांकि, इसमें काफी खर्चा आता. इसलिए बोर्डे ने इन बच्चों को खेलों की ओर मोड़ने की कोशिश की.