प्रो कबड्डी लीग के लिए बेंगलुरु बुल्स टीम में चुने गए चंद्रनाइका, जानें उनके संघर्ष का सफर - Kabaddi player Struggle
एक तरफ गरीबी और दूसरी तरफ माता-पिता की मौत से बेपरवाह चंद्रनाइका को छठी क्लास से ही कबड्डी से खास लगाव है. इस मुकाम तक पहुंचने के लिए उन्होंने करीब 10 साल तक कबड्डी कोर्ट पर पसीना बहाया है. पढ़ें पूरी खबर...
दावणगेरे : कर्नाटक में पहली बार दावणगेरे के किसी कबड्डी खिलाड़ी का प्रो कबड्डी लीग सीजन-11 के लिए बेंगलुरु बुल्स टीम में चयन हुआ है. जी हां, दावणगेरे में भारत कॉलोनी के पास कबूर बसप्पा नगर के निवासी और राष्ट्रीय स्तर के कबड्डी खिलाड़ी चंद्रनाइका इस बार बुल्स टीम का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.
एक तरफ गरीबी और दूसरी तरफ माता-पिता की मौत से बेपरवाह चंद्रनाइका को छठी क्लास से ही कबड्डी से खास लगाव है और इस मुकाम तक पहुंचने के लिए उन्होंने करीब 10 साल तक कबड्डी कोर्ट पर पसीना बहाया है. उन्हें 8 बार कर्नाटक स्टेट टीम का प्रतिनिधित्व करने का गौरव भी हासिल है. इतना ही नहीं, उन्होंने यूनिवर्सिटी लेवल, खेलो इंडिया नेशनल्स में भी हिस्सा लिया और अपनी प्रतिभा दिखाई.
हॉस्टल में रहकर 3 साल तक प्रशिक्षण लिया चंद्रनाइका ने धारवाड़ में भारतीय खेल प्राधिकरण के हॉस्टल में रहकर तीन साल तक प्रशिक्षण लिया. उन्होंने सृष्टि कबड्डी अकादमी, दावणगेरे के कोच श्रीशैल से भी प्रशिक्षण प्राप्त किया. उन्होंने अंडर 24 यूथ कबड्डी सीरीज में 'काजीरंगा राइनोज' के कप्तान के रूप में टीम का नेतृत्व किया. हाल ही में कन्याकुमारी में आयोजित कबड्डी चयन ट्रायल में बेहतर प्रदर्शन करने के बाद उनका चयन बुल्स टीम के लिए हुआ. वे 18 अगस्त को टीम से जुड़ेंगे.
दशहरा की छुट्टियां भी नहीं मनाई इस बारे में 'ईटीवी भारत' से बात करते हुए चंद्रनायका ने कहा, 'मैंने प्रो कबड्डी लीग के चयन के लिए लगातार अभ्यास किया. मैंने अथक अभ्यास किया और सभी कबड्डी चयनों में भाग लिया. अब मुझे इसका परिणाम मिला है. दशहरा की छुट्टी और परीक्षा के बाद मिली छुट्टियों में मैं अपने भाई के साथ टाइल्स पर काम करने जाता था. चाहे कितनी भी मुश्किल क्यों न हो, कबड्डी का अभ्यास नहीं छोड़ना चाहिए. इसके लिए सुबह और शाम का समय आरक्षित रखना चाहिए.
प्रो कबड्डी खेलना सपना था उन्होंने आगे कहा अगर आप रोजाना एक घंटा भी अभ्यास करते हैं, तो एक दिन सफलता जरूर मिलेगी. माँ की मृत्यु के बाद मैं एक कमरे में रहता था और अकेले ही अभ्यास करता था. दो-तीन महीने की कड़ी मेहनत के बाद, आखिरी मौके में मेरा चयन हो गया. मैं बहुत खुश हूं. मैं राइट कॉर्नर और लेफ्ट कॉर्नर दोनों पर सवारी करता हूं. प्रो कबड्डी खेलना मेरा सपना था. फिलहाल मैं बेंगलुरु बुल्स टीम में चुने जाने से बहुत खुश हूं बागलकोट के मुथु ने मेरी आर्थिक रूप से बहुत मदद की है. मैं रविवार को छोड़कर सभी दिन अभ्यास करता हूं.