अश्विनी पोनप्पा ने अपने ओलंपिक करियर से लिया संन्यास, ऐलान करते हुए हुई भावुक - Paris Olympics 2024
पांच बार की राष्ट्रमंडल खेलों की पदक विजेता अश्विनी पोनप्पा ने मंगलवार को घोषणा की कि उन्होंने और उनकी जोड़ीदार तनिषा क्रैस्टो के चल रहे पेरिस खेलों 2024 में निराशाजनक परिणामों के बाद अपना अंतिम ओलंपिक खेल लिया है..
नई दिल्ली : भारतीय बैडमिंटन की दिग्गज खिलाड़ी अश्विनी पोनप्पा मंगलवार को यह कहते हुए रो पड़ीं कि उन्होंने अपना आखिरी ओलंपिक खेल लिया है. पेरिस खेलों की महिला युगल स्पर्धा में उन्हें और उनकी जोड़ीदार तनीषा क्रैस्टो को लगातार तीसरी बार हार का सामना करना पड़ा. अश्विनी और तनीषा मंगलवार को अपने अंतिम ग्रुप सी मैच में ऑस्ट्रेलिया की सेतियाना मापासा और एंजेला यू से 15-21, 10-21 से हार गईं.
उन्होंने अपने तीनों ग्रुप मैच हारकर अपना अभियान समाप्त कर दिया. अपने तीसरे ओलंपिक में खेल रहीं 34 वर्षीय अश्विनी से जब पूछा गया कि क्या वह 2028 लॉस एंजिल्स खेलों में खेलना चाहती हैं, तो उन्होंने कहा, 'यह मेरा आखिरी ओलंपिक होगा, लेकिन तनीषा को अभी लंबा सफर तय करना है.
उन्होंने आंसू रोकने की कोशिश करते हुए कहा, यह भावनात्मक और मानसिक रूप से बहुत भारी पड़ता है, मैं इससे दोबारा नहीं गुजर सकती. यह आसान नहीं है, अगर आप थोड़े छोटे हैं तो आप यह सब झेल सकते हैं. इतने लंबे समय तक खेलने के बाद, मैं अब और नहीं खेल सकती.
अश्विनी, जिन्होंने 2001 में अपना पहला राष्ट्रीय खिताब जीता था, ने ज्वाला गुट्टा के साथ एक शानदार और इतिहास रचने वाली महिला जोड़ी बनाई थी, जो 2017 तक खेली. उन्होंने कई अंतरराष्ट्रीय पदक जीते थे, जिसमें 2010 दिल्ली राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक और उबेर कप (2014 और 2016) और एशियाई चैंपियनशिप (2014) में कांस्य पदक शामिल हैं.
2011 में, उन्होंने विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतने वाली पहली भारतीय जोड़ी बनकर इतिहास रच दिया. यह उनके करियर का सबसे बड़ा पुरस्कार था. ज्वाला-अश्विनी की जोड़ी लगातार दुनिया में शीर्ष 20 में शुमार रही और एक समय में 10वें स्थान पर पहुंच गई.
अश्विनी और ज्वाला ने दो ओलंपिक (2012 और 2016 में) में एक साथ खेला, लेकिन शुरुआती चरण से आगे नहीं बढ़ सकीं. 'हम शीर्ष पर पहुंचना चाहते थे हम जितना चाहते थे कि परिणाम अलग और बेहतर हो, लेकिन सबसे बड़ी बात जो मैंने और तनिषा ने कही वह यह है कि ओलंपिक में पहुंचने के लिए हमें काफी लंबा सफर तय करना पड़ा. यह आसान नहीं था
तनिषा भी अपनी भावनाओं को नियंत्रित नहीं कर पाई और वह बेसुध होकर रोने लगी 'वह (अश्विनी) यहां मेरा सबसे बड़ा सहारा रही है. हम बेहतर परिणाम चाहते थे और हमने अपना सिर ऊंचा रखा. उसने हर बार मुझे प्रेरित किया.