हैदराबाद: शतरंज दू खिलाड़ियौ के बीच खेला जाने वाला एक बौद्धिक और रणनीति से भरा एक खेल है, जिसमें खिलाड़ी अपने मोहरों का चतुराई से इस्तेमाल करके 64 खानों वाले चेस बोर्ड पर विजय प्राप्त करने का प्रयास करते हैं.
क्या होता है चेस बोर्ड?
चेस बोर्ड के ऊपर कुल 64 खाने या वर्ग होते है, जिसमें 32 काले रंग ओर 32 सफेद रंग के होते है. प्रत्येक खिलाड़ी के पास एक राजा, वजीर, दो ऊंट, दो घोडे, दो हाथी और आठ प्यादे होते है. बीच में राजा व वजीर रहता है. बाजू में ऊंट, उसके बाजू में घोड़े ओर अंतिम कतार में दो दो हाथी रहते है. उनकी अगली रेखा में आठ प्यादा रहते हैं.
डी गुकेश सबसे कम उम्र के शतरंज विश्व चैंपियन बने
कभी कभी मैच जल्दी खत्म हो जाते हैं और कभी कभी अन्य गेम लंबे समय तक चल रहते हैं. हाल ही में शतरंज की दुनिया ने एक ऐतिहासिक क्षण देखा जब भारत के डी गुकेश ग्रैंडमास्टर और चीन के मौजूदा चैंपियन डिंग लिरेन को हराकर सबसे कम उम्र के शतरंज विश्व चैंपियन बन गए.
लिरेन और गुकेश के बीच 14 गेम की प्रतियोगिता हुई, जिसमें लिरेन ने आखिरी गेम के आखिरी क्षणों में एक बड़ी गलती की जिससे उनके प्रतिद्वंद्वी गुकेश को जीत मिल गई. खास बात यह है कि विश्व चैंपियनशिप 2024 में 138 वर्षों में पहली बार एशिया से दो प्रतियोगी शामिल हुए थे.
18 साल का उम्र में विश्व चैंपियन बनने के बाद गुकेश को 21.21 करोड़ रुपये की राशि बतौर पुरस्कार दिया गया. गुकेश से पहले रूस के गैरी कास्पारोव ने 1985 में 22 साल की उम्र में यह खिताब जीता था.
शतरंज का सबसे लम्बा गेम
हालांकि, शतरंज के प्रशंसक कभी-कभी अपनी आंखों के सामने लंबे समय तक चलने वाले खेल को भी देखा है. आम तौर पर चेस के मैच एक दिन के भीतर समाप्त हो जाते हैं, लेकिन ऐसा बहुत कम हेता है जब शतरंज का खेल चार दिनों तक चला हो.
इस लेख में हम चेस के इतिहास में खेले गए सबसे लंबे खेल के बारे में जनेंगे. चेस के रिकॉर्ड पर सबसे लंबा शतरंज का खेल 1989 में फिलीपींस में विश्व जूनियर शतरंज चैंपियनशिप के दौरान खेला गया था. यह मैच यूगोस्लाविया के इवान निकोलिक और सर्बिया के गोरान आर्सोविक के बीच खेला गया था. यह खेल चार दिनों में 269 चालों तक चला जिसने प्रशंसकों को हैरान कर दिया. जबकी इस खेल में कुल 20 घन्टे लगे थे लेकिन मैच के दौरान कई बार ब्रेक्स लिए गए जिससे यह गेम चार दिनों तक चला.
खेल की शुरुआत क्वीन्स पॉन ओपनिंग से हुई और खिलाड़ी रक्षात्मक मोड में आ गए, जिसमें कोई भी पक्ष महत्वपूर्ण जोखिम नहीं उठा रहा था. दोनों खिलाड़ियों ने थोड़ी देर बाद सावधानी से अपनी चालों की गणना शुरू की और आखिरकार बोर्ड मोहरों से भर गया. यह खेल कई घंटों तक चला जिसमें किसी भी खिलाड़ी को कोई फायदा नहीं हुआ. रक्षात्मक दृष्टिकोण 269 चालों और चार दिनों के खेल तक चला. पचास चालों के नियम के कारण यह मैच ड्रॉ के साथ समाप्त हुआ.
पचास चालों का नियम क्या होता है?
पचास चालों के नियम के अनुसार, यदि पिछले पचास चालों में कोई भी मोहरा नहीं मरती है, तो खेल को ड्रा घोषित कर दिया जाता है. इवान निकोलिक और गोरान आर्सोविक के बीच मुकाबले में उल्लेखनीय धैर्य और रणनीति का प्रदर्शन हुआ, क्योंकि दोनों खिलाड़ियों ने हार मानने से इनकार कर दिया और अपने अपने खानों की रक्षा करते रहे.