नई दिल्ली :पेरिस ओलंपिक भारत के लिए किसी बड़े विवाद से कम नहीं रहा है. भारत का रेसलिंग में एक सिल्वर पदक तब पक्का हो गया था जब पहलवान विनेश फोगाट ने महिलाओं के 50 किग्रा वर्ग के फाइनल में एंट्री की. उसके बाद यह तो तय था कि अगर विनेश फोगाट फाइनल में हार भी जाती हैं तो सिल्वर मेडल पक्का है लेकिन अगली सुबह कुछ ऐसा हुआ कि पूरा देश स्तब्ध रह गया.
विनेश को फाइनल में पहुंचने के बाद अयोग्य घोषित कर दिया गया और उसके बाद वह किसी भी मेडल की हकदार नहीं रही. इसके बाद अब पैरालंपिक में ऐसा ही घटना सामने आई है लेकिन यह घटना विनेश फोगाट से कहीं ज्यादा दिल तोड़ने वाली हो सकती है इसके बाद तो विनेश फोगाट का दर्द कम लगने लगा.
सोचिए अगर आप अपनी सालों की मेहनत लगन के बूते स्वर्ण पदक जीत चुके हों और उसका जश्न मनाने के बाद आपको मालूम चले कि आप को डिस्क्वालीफाई कर दिया गया है और आप अब किसी भी पदक के हकदार नहीं है तो क्या होगा. ऐसा ही हुआ ईरान के एथलीट के साथ जो चर्चा का विषय बन गया.
8 सितंबर को खत्म हुए पेरिस पैरालिंपिक में उस समय हैरान कर देने वाला ड्रामा सामने आया जब ईरानी एथलीट को स्वर्ण पदक जीतने के बाद अयोग्य घोषित कर दिया गया और रजत पदक जीतने वाले भारतीय एथलीट को स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया. दरअसल, 2024 पैरालिंपिक में भाला फेंक स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने के बावजूद ईरान के एथलीट सादिक बैत सयाह को धार्मिक झंडा लहराने के कारण स्वर्ण पदक गंवाना पड़ा. उन्होंने जेवलिन थरूर ने F41 वर्ग में देश के लिए स्वर्ण पदक जीता.
लेकिन वह उत्साह में होश खो बैठे और पहले स्थान पर रहने के बाद एक धार्मिक झंडा लहराया, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें कोई पदक नहीं मिला और पहले स्थान पर रहने के बाद भी उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया. बता दें कि ईरानी पैरा-एथलीट ने 47.64 मीटर भाला फेंककर नया ओलंपिक रिकॉर्ड बनाया था, जबकि भारतीय पैरा-एथलीट नवदीप सिंह ने 47.32 मीटर भाला फेंका था.
अब सवाल यह है कि किस झंडे ने ईरानी एथलीट को अयोग्य ठहराया. दरअसल, गोल्ड मेडल जीतने के तुरंत बाद सादिक बैत ने काले कपड़े पर अरबी में लिखा झंडा निकाला और उसे दिखाना शुरू कर दिया. जबकि पैरा-एथलेटिक्स में किसी भी एथलीट को अपने देश के झंडे के अलावा कोई विशेष प्रतीक प्रदर्शित करने की अनुमति नहीं है, जिसके कारण उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया.