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By IANS

Published : 5 hours ago

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आईओए प्रमुख पीटी उषा ने कार्यकारी समिति के सदस्यों को लताड़ा - PT Usha slams EC members

PT Usha slams EC members : भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) की अध्यक्ष पीटी उषा ने ओलंपिक पदक विजेताओं का सम्मान नहीं करने के लिए कार्यकारी समिति के सदस्यों को लताड़ लगाई है. पढे़ं पूरी खबर.

PT Usha slams EC members
पीटी उषा (IANS Photo)

नई दिल्ली : भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) की अध्यक्ष पीटी उषा ने पेरिस ओलंपिक में पदक जीतने वाले भारतीय एथलीटों के लिए सम्मान समारोह आयोजित नहीं करने के कारण आईओए कार्यकारी समिति (ईसी) के सदस्यों के खिलाफ सवाल उठाए हैं.

भारत ने पेरिस ओलंपिक में कुल छह पदक जीते (1 रजत और 5 कांस्य). पिस्टल शूटर मनु भाकर ओलंपिक में शूटिंग में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनीं. इसके अलावा, वह ओलंपिक खेलों के एक ही संस्करण में 1 से ज्यादा पदक जीतने वाली पहली भारतीय एथलीट भी बनीं.

आईओए चीफ ने एक पत्र में लिखा, 'मुझे गर्व है कि मैं इस यात्रा में मनु की मदद कर पाई. यह मेरे लिए गर्व की बात है कि हमारे पास नीरज चोपड़ा, सरबजोत सिंह, स्वप्निल कुसाले और पुरुष हॉकी टीम से भी पदक थे, लेकिन कार्यकारी समिति (ईसी) उनकी सफलता का जश्न मनाना नहीं चाहता, इससे मुझे बहुत दुख होता है'.

उन्होंने यह भी खुलासा किया कि पेरिस रवाना होने से पहले प्रत्येक ओलंपिक-योग्य एथलीट को दो लाख रुपये और प्रत्येक कोच को एक लाख रुपये की राशि देने का प्रस्ताव रखा गया था, जबकि उन्होंने दावा किया कि इसे वित्त समिति और आईओए कोषाध्यक्ष सहदेव यादव ने रोक दिया था.

पत्र में बताया गया है, 'मुझे विश्वास है कि इससे हमारे एथलीटों और उनके प्रशिक्षकों को ओलंपिक खेलों से पहले के महत्वपूर्ण दौर में आवश्यक सहायता मिल जाती. इन चीजों को वितरित करने से इनकार करना एथलीटों की जरूरतों की समझ की कमी को दर्शाता है'.

आईओए प्रमुख ने बताया कि ऐसा कार्यकारी समिति के असहयोग के कारण हुआ है. जब भारत ने टोक्यो ओलंपिक में 7 पदक जीते थे, तब कोविड-19 महामारी के कारण चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों के बावजूद, पिछले नेतृत्व में एक सम्मान समारोह आयोजित किया गया था.

अगर हम वैश्विक महामारी के दौरान हमारे एथलीटों की उपलब्धियों का जश्न मना सकते थे, तो वर्तमान ईसी सदस्यों को ऐसा करने से कौन रोक रहा है? इन पदक विजेताओं ने हमारे देश को सम्मान दिलाने के लिए अथक परिश्रम किया है और वे प्रशंसा के पात्र हैं.

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