जानिए पैरालंपिक में भारत का अब तक का इतिहास, ओलंपिक में पदकों का रिकॉर्ड तोड़ने का होगा लक्ष्य - Paralympics 2024
ओलंपिक में भारतीय एथलीट के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद, सभी की निगाहें भारत के पैरा-एथलीटों पर हैं. यह अभियान 28 अगस्त से शुरू होगा जिसके लिए एथलीट्स पूरी तरह तैयार हैं. जानिए पैरालंपिक में अब तक भारत का क्या इतिहास रहा है. पढ़ें पूरी खबर...
नई दिल्ली :पेरिस ओलंपिक2024 में सफल और रिकॉर्ड तोड़ने वाले ओलंपिक के बाद, आगामी पेरिस 2024 पैरालिंपिक को लेकर भी चर्चाएं जोरों पर हैं. 28 अगस्त से शुरू होने वाले पेरिस पैरालिंपिक के साथ, भारतीय दल दिव्यांग एथलीटों के लिए दुनिया के सबसे बड़े खेल मंच पर खेलने के लिए तैयार हो रहा है.
भारत के लिए पेरिस ओलंपिक बिल्कुल भी अच्छा नहीं रहा, क्योंकि भारतीय दल को बिना स्वर्ण पदक के लौटना पड़ा. भारत के कईं खिलाड़ी लगभग छह खिलाड़ी बहुत कम अंतर से पदक से चूक गए, जबकि एक एथलीट फाइनल से अयोग्य घोषित कर दिया गया. भारत का पदकों की संख्या को दोहरे अंकों में ले जाने का लक्ष्य एक सपना बनकर रह गया. भारत ने इस साल पाँच कांस्य और एक रजत सहित केवल छह पदक जीते.
हालांकि, भारत के पैरा-एथलीटों से भी बहुत उम्मीदें और अपेक्षाएं होंगी, जो पेरिस पैरालिंपिक 2024 में अपना सर्वश्रेष्ठ पदक जीतकर इतिहास रचने की कोशिश करेंगे. भारत ने पेरिस 2024 पैरालिंपिक के लिए अपने अब तक के सबसे बड़े दल की घोषणा की है, जिसमें 32 महिलाओं सहित 84 एथलीट शामिल हैं. यह दल पैरा-साइक्लिंग, पैरा-रोइंग और ब्लाइंड जूडो सहित 12 खेलों में भाग लेगा.
जानिए भविष्य में भारत का प्रदर्शन कैसा रहा -
पैरालिंपिक में भारत की शुरुआत पैरालिंपिक में भारत की यात्रा 1976 और 1980 के संस्करणों को छोड़कर 1968 के खेलों से शुरू हुई थी. भारत ने 1968 में तेल अवीव, इजराइल में पैरालिंपिक में अपनी पहली उपस्थिति दर्ज की. भारतीय दल के हिस्से के रूप में कुल 10 एथलीट खेलों में भेजे गए थे, जिनमें आठ पुरुष और दो महिलाएं शामिल थीं. हालांकि, भारत खेलों से बिना किसी पदक के स्वदेश लौटा, लेकिन बड़े मंच पर भारत के पैरा-एथलीटों के लिए यह पहला वास्तविक अनुभव था.
भारत का ट्रैक रिकॉर्ड अपने पहले पैरालिंपिक में भारत का प्रदर्शन भूलने लायक था, लेकिन चार साल बाद जर्मनी में 1972 के हीडलबर्ग खेलों में भारत ने पैरालिंपिक में अपना पहला पदक जीता. पैरा-तैराक मुरलीकांत पेटकर ने 50 मीटर फ्रीस्टाइल तैराकी स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने के लिए 37.331 सेकंड का विश्व रिकॉर्ड समय दर्ज किया. हाल ही में कार्तिक आर्यन अभिनीत बॉलीवुड फिल्म - चंदू चैंपियन को पेटकर की पैरालिंपिक चैंपियन बनने की प्रेरक कहानी पर फिल्माया गया है.
यह खेलों में भारत द्वारा अर्जित एकमात्र पदक था, जिसने उन्हें 42 प्रतिभागी देशों की समग्र पदक तालिका में 24वें स्थान पर रहने में मदद की. 1972 में अपना पहला स्वर्ण जीतने के बाद, भारत ने 1976 और 1980 के खेलों में भाग नहीं लिया, और उनकी अगली उपस्थिति 1984 के खेलों में हुई. 1984 में, जोगिंदर सिंह बेदी ने तीन अलग-अलग स्पर्धाओं में तीन पदक जीतकर इतिहास रच दिया.
हालांकि, बेदी के शानदार प्रदर्शन के बाद, भारतीय एथलीट 2004 के एथेंस पैरालिंपिक तक पदक जीतने में विफल रहे, जिसके लिए उन्हें अगले पदकों का सेट मिला. देवेंद्र झाझरिया ने 2004 के एथेंस खेलों में पुरुषों की भाला F44/46 में स्वर्ण पदक जीता और राजिंदर सिंह राहेलू ने 56 किलोग्राम वर्ग में पावरलिफ्टिंग कांस्य पदक जीता. रियो 2016 पैरालिंपिक में भारत के पदकों की संख्या चार पदकों तक पहुँच गई, जिसमें पहली महिला पैरालिंपिक पदक विजेता दीपा मलिक भी शामिल हैं, जिन्होंने F53 शॉट पुट इवेंट में रजत पदक जीता.
टोक्यो में रहा था शानदार प्रदर्शन टोक्यो 2020 पैरालिंपिक में भारत का अब तक का सबसे दमदार प्रदर्शन रहा, जिसमें पांच स्वर्ण पदक, आठ रजत पदक और छह कांस्य पदक के साथ 19 पदक हासिल किए. उल्लेखनीय है कि टोक्यो संस्करण में भारत ने अपना अब तक का सबसे बड़ा दल भेजा था, जिसमें 54 एथलीट नौ अलग-अलग खेलों में प्रतिस्पर्धा करने के लिए तैयार थे.