छत्रपति संभाजी नगर (महाराष्ट्र) : भारत के पहले पैरालंपिक स्वर्ण पदक विजेता और पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित मुरलीकांत पेटकर ने कहा कि पेरिस ओलंपिक 2024 के दौरान विनेश फोगाट और उनके कोच की जिम्मेदारी थी कि वे लगातार उनके वजन की जांच करें. विनेश को पेरिस खेलों में महिलाओं की 50 किलोग्राम कुश्ती स्पर्धा से अयोग्य ठहराया गया था, क्योंकि स्वर्ण पदक मुकाबले की सुबह उनका वजन निर्धारित वजन से 100 ग्राम अधिक पाया गया था. इस घटना के बाद, उन्होंने कोर्ट फॉर आर्बिट्रेशन ऑफ स्पोर्ट्स (CAS) में अपील की थी कि उन्हें संयुक्त रजत पदक दिया जाए, जिसे कोर्ट ने 14 अगस्त को एक लाइन के बयान के साथ खारिज कर दिया.
ईटीवी भारत से खास बातचीत में, पेटकर ने कहा, 'पेरिस खेलों के दौरान विनेश फोगाट और उनके कोच का काम यह सुनिश्चित करना था कि उनका वजन निर्धारित वजन के अनुसार रहे और इसलिए वहां जो कुछ हुआ उसके लिए वे ही जिम्मेदार हैं. किसी और को दोषी ठहराना गलत है'.
उन्होंने कहा, 'खिलाड़ियों को तब पब्लिसिटी देना मीडिया का काम है जब वे स्टार बन रहे हों. लोगों को हर बार एथलीटों पर ध्यान देने और दुनिया को जानकारी देने में मदद करने के लिए फिल्म बनाना अनावश्यक है'.
ओलंपिक के समापन के बाद, 28 अगस्त को पेरिस पैरालंपिक खेल शुरू हुए. स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय पैरालंपिक एथलीट बने पेटकर ने पूरा विश्वास जताया कि देश पेरिस में होने वाली प्रतियोगिताओं में अच्छा प्रदर्शन करेगा. दल में केवल अच्छे खिलाड़ी होने से काम नहीं चलेगा, बल्कि आपको अच्छे कोच की भी जरूरत है, जिसकी कमी भारत को हाल ही में हुए ओलंपिक खेलों में दिखी.