किसानों के आंदोलन के बीच शॉटगन निशानेबाजों के पटियाला में होने वाले ओलंपिक ट्रायल पर संशय - ओलंपिक ट्रॉयल
पंजाब के पटियाला में ओलंपिक ट्रायल को लेकर संशय पैदा हो गया है. पंजाब और हरियाणा में किसानो की मांगो को लकर विरोध प्रदर्शन हो रहा है. इस प्रदर्शन के कारण बसों से संचालन में समस्या के कारण खिलाड़ियों को बंदूकों के साथ आवागमन में समस्या का सामना करना पड़ सकता है. पढ़ें पूरी खबर.....
नयी दिल्ली : किसान आंदोलन और अंतरराज्यीय यात्रा पर लगाए गए प्रतिबंधों के मद्देनजर 150 से अधिक शॉटगन निशानेबाज इस महीने के अंत में पटियाला में प्रस्तावित राष्ट्रीय ओलंपिक ट्रायल में भाग लेने को लेकर ऊहापोह की स्थिति में हैं. भारतीय राष्ट्रीय राइफल संघ (एनआरएआई) ने इस मसले का हल निकालने के लिए दो बैठकें की हैं लेकिन ‘व्यस्त कार्यक्रम’ और आम चुनाव की घोषणा के अंदेशे के बीच तीसरे चयन ट्रायल के लिए स्थान या तारीखों में अभी तक कोई बदलाव नहीं किया है.
एनआरएआई ने 22 जनवरी को एक बयान में कहा था कि 25 फरवरी से दो मार्च तक पटियाला के 'मोती बाग गन क्लब रेंज' में आयोजित होने वाले चयन ट्रायल में प्राप्त अंकों को 'पेरिस ओलंपिक खेलों के लिए टीमों के चयन के लिए विचार किया जाएगा. इस चयन ट्रायल को लेकर पीटीआई ने जिन कई शॉटगन निशानेबाजों से बात की. उन्होंने कहा कि किसानों के आंदोलन के बीच सड़क मार्ग से उनके लिये बंदूक और गोली ले जाना सुरक्षित नहीं होगा. राज्य (पंजाब) की सीमा बंद होने के कारण चंडीगढ़ के लिए हवाई किराया आसमान छू रहा है.
एनआरएआई के महासचिव सुल्तान सिंह से जब पूछा गया कि क्या परिस्थितियों को देखते हुए महासंघ पटियाला में ट्रायल आयोजित करने में सक्षम होगा, उन्होंने कहा, 'यह एक बहुत ही कठिन सवाल है। लेकिन क्या कैलेंडर (निशानेबाजी का सालाना कार्यक्रम), चुनावों को देखते हुए क्या हमारे पास कोई विकल्प है। हमारे पास बहुत कम समय है’ यह पूछे जाने पर कि क्या ट्रायल को जयपुर के जगतपुरा रेंज या दिल्ली के करणी सिंह रेंज में स्थानांतरित किया जा सकता है, उन्होंने कहा कि दिल्ली में छह से 15 मार्च तक आगामी पैरा निशानेबाजी विश्व कप के कारण मुश्किल होगा.
कर्णी सिंह रेंज में पैरा निशानेबाजी विश्व कप से पेरिस पैरालंपिक के लिए 24 कोटा स्थान है. इसमें 52 देशों के 500 पैरा निशानेबाज प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं. एक शीर्ष निशानेबाज ने गोपनीयता की शर्त पर पीटीआई को बताया कि मौजूदा परिदृश्य को देखते हुए जयपुर और यहां तक कि भोपाल निशानेबाजी परिसर भी पटियाला की तुलना में बेहतर विकल्प होंगे.
उन्होंने कहा, 'राज्य की सीमा पर अर्धसैनिक बल बहुत सारे दस्तावेज मांगेंगे कि हम किस उद्देश्य से इतनी बड़ी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद ले जा रहे हैं. चंडीगढ़ के लिए उड़ानें बहुत महंगी हो गई हैं क्योंकि लोग सड़क मार्ग से बच रहे हैं. एक अन्य निशानेबाज ने कहा, 'जब एनआरएआई दक्षिण के निशानेबाजों के बारे में बात करता है, तो बहुत छोटी संख्या है और उनमें से भी ज्यादातर दिल्ली में रहते हैं और प्रशिक्षण लेते हैं. ज्यादातर शॉटगन निशानेबाज दिल्ली और आसपास के इलाकों से हैं. तो आयोजन स्थल को बदलने में समस्या कहां है?