Brazilian swimmer Without Hand : देश और दुनिया में ऐसी मिसालें मौजूद हैं जिन्होंने अपनी मेहनत और संघर्ष से तमाम कारनामें किए हैं. पैरालंपिक में एक ऐसी ही मिसाल है जिन्होंने न सिर्फ बिना हाथों के स्विमिंग की बल्कि गोल्ड मेडल भी हासिल किया. पढ़ें पूरी खबर...
बिना हाथों के तैरने वाला तैराक (AFP PHOTO)
नई दिल्ली :ओलंपिक और पैरालंपिक जैसे विश्वस्तरीय खेलों में जज्बें की कईं मिसालें निकलकर आती है. एक ऐसी ही मिसाल ब्राजील के तैराक की है. इससे पहले पेरिस ओलंपिक में 7 महींने की प्रेग्नेंट होने के बावजूद मिस्र की तलवारबाज ने दुनिया का ध्यान खींचा था. पैरालंपित में कईं ऐसे एथलीट हैं जोदोनों हाथ न होने के बावजूद ऐसे कई एथलीट हैं जो पेरिस पैरालिंपिक में हिस्सा ले रहे हैं.
पैरालंपिक में वह न सिर्फ हिस्सा ले रहे हैं बल्कि मेडल भी जीत रहे हैं. जिसमें भारत की महिला स्पीडस्टर शीतल देवी भी हैं और दूसरे देशों के तैराक भी हैं जो बिना हाथों के तैराकी कर मेडल जीत रहे हैं. लेकिन क्या आपने सोचा है कि क्या बिना हाथों के भी कोई तैर सकता है. तैर ही नहीं सकता बल्कि पैरालंपिक में गोल्ड मेडल भी हासिल कर सकता है.
हां, एक ऐसा ही एक एथलीट जो ब्राजील का है जिसने दोनों हाथों से दिव्यांग होने के बावजूद तैराकी से अपने देश का नाम रोशन किया है. हैरानी की बात तो यह है कि यह बात आम लोगों की समझ से परे है कि बिना हाथों के कोई कैसे तैर सकता है.
लेकिन ब्राजील के तैराक गेब्रियल ज़िन्हो ने पेरिस पैरालिंपिक में अपना तीसरा स्वर्ण पदक जीता और न केवल इतिहास रचा बल्कि लोगों को यह भी दिखाया कि बिना हाथों के तैराकी संभव है. पेरिस पैरालिंपिक में अपना तीसरा तैराकी स्वर्ण पदक जीतने के बाद भीड़ ने भी उनका खड़े होकर अभिनंदन किया.
22 वर्षीय तैराक गेब्रिल ने हाथ या हाथ नहीं है और एक पैर टूटा हुआ है उन्होंने 100 मीटर बैकस्ट्रोक और 50 मीटर बैकस्ट्रोक में स्वर्ण जीतने के बाद 200 मीटर फ्रीस्टाइल की एस 2 श्रेणी में स्वर्ण जीतकर इतिहास रच दिया. गेब्रियल गेराल्डो डॉस सैंटोस अराउजो, जिन्हें गेब्रियल जिन्हो के नाम से भी जाना जाता है, ने 200 मीटर फ्रीस्टाइल तैराकी में 3 मिनट 58.92 सेकंड के समय के साथ स्वर्ण पदक जीता. इसके साथ ही उन्होंने टोक्यो 2020 में दो स्वर्ण और एक रजत पदक जीता.
गौरतलब है कि S2 श्रेणी में ऐसे तैराक शामिल होते हैं जिनके पैर और हाथ अधिक प्रभावित होते हैं. ये तैराक अधिकतर अपनी भुजाओं और कंधों से उत्पन्न ऊर्जा का उपयोग करके तैरते हैं. ऐसी ही एक एथलीट हैं भारत की शीतल देवी, जिनका पैर कटा हुआ है लेकिन फिर भी तीरंदाजी करती हैं और पेरिस पैरालिंपिक में कांस्य पदक जीतकर सभी को चौंका दिया.