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वाल्मीकि जयंती : जानें कैसे रत्नाकर से वाल्मीकि बनकर की महाकाव्य 'रामायण' की रचना

हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण महाकाव्यों में से एक रामायण के रचियता महर्षि वाल्मीकि की आज जयंती है.

Valmiki Jayanti 2024
वाल्मीकि जयंती (ETV Bharat)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 17, 2024, 6:05 AM IST

हैदराबादःमहर्षि वाल्मीकि के जन्म दिवस को महर्षि वाल्मीकि जयंती के रूप में मनाया जाता है. महर्षि वाल्मीकि हिंदू धर्म के प्रभावशाली विद्वान और ऋषि थे. उन्होंने हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण महाकाव्यों में से एक रामायण की रचना की थी. इस दिन देश भर के वाल्मीकि मंदिरों में रामायण के गीतों का जाप करके महान कवि का सम्मान करते हैं.

चेन्नई के तिरुवनमियुर में महर्षि वाल्मीकि को समर्पित सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है. माना जाता है कि 1,300 साल पुराना यह मंदिर वह स्थान है जहां वाल्मीकि, रामायण की रचना करने के बाद सोये थे, जिसमें 24,000 श्लोक और 7 सर्ग हैं. मान्यता है कि जब राम ने सीता को निर्वासित किया क्योंकि लोगों ने उनकी 'पवित्रता' पर सवाल उठाया था, तो वाल्मीकि ने उन्हें बचाया और उन्हें शरण दी.

वाल्मीकि जयंती 2024: तिथि और समय

हिंदू पंचांग के अनुसार आश्विन महीने की पूर्णिमा की रात को वाल्मीकि जयंती मनाई जाती है. इस साल यह 17 अक्टूबर (गुरुवार) को पड़ता है. द्रिक पंचांग के अनुसार:

पूर्णिमा तिथि शुरू: 16 अक्टूबर, 2024 को रात 08:40 बजे से

पूर्णिमा तिथि समाप्त: 17 अक्टूबर, 2024 को शाम 04:55 बजे

वाल्मीकि जयंती 2024: इतिहास और महत्व

महर्षि वाल्मीकि को 'आदि कवि' भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है संस्कृत भाषा के पहले कवि. विशेष रूप से, वाल्मीकि ने अपने वनवास के दौरान श्री राम से बातचीत की और बाद में देवी सीता को अपने आश्रम में आश्रय दिया.

वाल्मीकि का प्रारंभिक जीवन रत्नाकर नामक एक डाकू के रूप में बीता, जिसे नारद मुनि ने भगवान राम का महान भक्त बना दिया. कई वर्षों के ध्यान के बाद, एक दिव्य आवाज ने उनकी तपस्या को सफल घोषित किया और उन्हें नया नाम वाल्मीकि दिया, जिसका अर्थ है “चींटियों के टीले से पैदा हुआ.”

इस दिन को प्रगट दिवस के रूप में भी जाना जाता है. वाल्मीकि संप्रदाय के भक्त भगवान के रूप में वाल्मीकि ऋषि की पूजा करते हैं. भक्ति भजन और भजन गाते हुए शोभा यात्रा या जुलूस निकालते हैं. गरीबों को भोजन कराते हैं और दीये जलाते हैं.

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