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मनोकामना की पूर्ति के लिए पढ़ें सिद्ध कुंजिका स्तोत्र - Sharadiya Navratri 2024 Second Day

Sharadiya Navratri 2024 Second Day: नवरात्रि के दिनों में सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ नियमित रूप से करना चाहिए.

By ETV Bharat Hindi Team

Published : 4 hours ago

Published : 4 hours ago

Updated : 4 hours ago

SHARADIYA NAVRATRI 2024 SECOND DAY
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करने से मनोकामना होगी पूरी (ETV Bharat)

हैदराबाद: नवरात्रि में मां दुर्गा का आशीर्वाद पाने के लिए जातक तमाम उपाय करते हैं. नियम से रोज पूजा-पाठ तो किया जाता है, लेकिन नवरात्रि के नौ दिनों में कुछ खास उपाय भी किए जाते हैं, जो जातकों के लिए बहुत फलदायी होते हैं. आइये जानते हैं ऐसे कौन से उपाय हैं, जिन्हें करने से मां दुर्गा की असीम कृपा मिलती है.

लखनऊ के ज्योतिषाचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्र ने बताया कि इन नौ दिनों में श्रद्धालु देवी मां को प्रसन्न करने के लिए दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं, लेकिन जिन जातकों के पास समय की कमी है, वे सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ भी कर सकते हैं. यह बहुत कारगर और फलदायी माना गया है. यह पाठ बहुत दुर्लभ है. इसके पाठ से जीवन की सभी विपत्तियां दूर होती हैं. उन्होंने कहा कि इसके मंत्र बहुत ही प्रभावशाली हैं, इसमें बीजों का समावेश है. इसके मंत्रों के जाप से श्रद्धालु की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. इसका पाठ दुर्गा सप्तशती के पाठ के बराबर माना गया है.

ज्योतिषाचार्य ने आगे बताया कि यह स्तोत्र श्रीरुद्रयामल के मंत्र से सिद्ध है और इसे सिद्ध करने की जरूरत नहीं होती. यह अद्भुत स्तोत्र है, जिसका प्रभाव बहुत चमत्कारी होता है. इस स्त्रोत के पाठ से मनुष्य के पांच बड़ी समस्याएं दूर हो जाती हैं. यह स्तोत्र श्रीरुद्रयामल के गौरी तंत्र में शिव पार्वती संवाद के नाम से वर्णित है. यदि दुर्गा सप्तशती का पाठ मनुष्य को कठिन लगे या पढ़ने का समय न हो तो उसे सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करना चाहिए. ये सरल होने के साथ ही कम समय में बहुत ही प्रभावकारी असर दिखाता है. मात्र कुंजिका स्तोत्र के पाठ से सप्तशती के सम्पूर्ण पाठ का फल मिल जाता है.

ऐसे करें सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ
उन्होंने कहा कि सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ मनुष्य अपनी सुविधा अनुसार किसी भी वक्त कर सकता है, लेकिन यदि इसे शाम की आरती के बाद किया जाए तो यह बहुत ही तेजी से असर दिखाता है. इसे रात्रि के समय भी किया जा सकता है. स्त्रोत के पाठ के लिए देवी के समक्ष दीपक जला ले और लाल आसन पर लाल वस्त्र पहन कर बैठ जाएं. इसके बाद देवी को धूप-दीप और पुष्प अर्पित कर कुंजिका स्तोत्र का पाठ करें. सिद्ध कुंजिका स्तोत्र पाठ एकांत में और शांति से करें. जल्दीबाजी में इस पाठ को बिलकुल न करें.

श्रीरुद्रयामल के गौरीतंत्र में वर्णित सिद्ध कुंजिका स्तोत्र

शिव उवाच

शृणु देवि प्रवक्ष्यामि कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम्।
येन मन्त्रप्रभावेण चण्डीजाप: भवेत्।।1।।
न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम्।
न सूक्तं नापि ध्यानं च न न्यासो न च वार्चनम्।।2।।
कुंजिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत्।
अति गुह्यतरं देवि देवानामपि दुर्लभम्।।3।।
गोपनीयं प्रयत्नेन स्वयोनिरिव पार्वति।
मारणं मोहनं वश्यं स्तम्भनोच्चाटनादिकम्।
पाठमात्रेण संसिद्ध् येत् कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम्।।4।।

अथ मंत्र :-

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ ग्लौ हुं क्लीं जूं स:!!
ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।'

।।इति मंत्र:।।
नमस्ते रुद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि।
नम: कैटभहारिण्यै नमस्ते महिषार्दिन।।1।।
नमस्ते शुम्भहन्त्र्यै च निशुम्भासुरघातिन।।2।।
जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरुष्व मे।
ऐंकारी सृष्टिरूपायै ह्रींकारी प्रतिपालिका।।3।।
क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोऽस्तु ते।
चामुण्डा चण्डघाती च यैकारी वरदायिनी।।4।।
विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मंत्ररूपिण।।5।।
धां धीं धू धूर्जटे: पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी।
क्रां क्रीं क्रूं कालिका देविशां शीं शूं मे शुभं कुरु।।6।।
हुं हु हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी।
भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवान्यै ते नमो नमः।।7।।
अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा।।
पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा।। 8।।
सां सीं सूं सप्तशती देव्या मंत्रसिद्धिंकुरुष्व मे।।
इदंतु कुंजिकास्तोत्रं मंत्रजागर्तिहेतवे।
अभक्ते नैव दातव्यं गोपितं रक्ष पार्वति।।
यस्तु कुंजिकया देविहीनां सप्तशतीं पठेत्।
न तस्य जायते सिद्धिररण्ये रोदनं यथा।।

कुंजिका स्तोत्र का पाठ करने वाले साधक को पवित्रता का पालन करना चाहिए.

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