हैदराबादःहर साल आश्विन महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी के दिन शरद पूर्णिमा मनाया जाता है. गुजरात में इस शरद पूनम के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन मां लक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की परंपरा है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार साल में आने वाले पूर्णिमाओं में शरद पूर्णिमा काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. धार्मिक मान्यता है कि सिर्फ शरद पूर्णिमा के दिन ही चंद्रमा सोलह कलाओं से पूर्ण होकर दिखता (उगता) है.
हिंदू धर्म में मान्यता है कि हर गुण किसी न किसी कला से जुड़ा होता है. वहीं आदर्श व्यक्तित्व में सभी 16 कलाएं मौजूद होती है. प्रभु श्रीकृष्ण आदर्श व्यक्तित्व के बेहतरीन उदाहरण हैं. वे भगवान विष्णु के पूर्ण अवतार माने जाते हैं. वहीं प्रभु श्रीराम को सिर्फ 12 कलाओं से संयोजन माना जाता है. इस कारण शरद पूर्णिमा के दिन चंद्र देव के पूजन का काफी महत्व है. जो नवविवाहित महिलाएं साल के सभी पूर्णमासी को उपवास करना चाहती हैं, वे पूर्णमासी को उपवास का व्रत का संकल्प ले सकती हैं.
शरद पूर्णिमा का पंचांग
- दिन बुधवार, 16 अक्टूबर 2024
- शरद पूर्णिमा, चंद्रोदय समय-दोपहर 4 बजकर 42 मिनट
- पूर्णिमा तिथि प्रारंभः 16 अक्टूबर 2024 को रात 8 बजकर 40 मिनट तक
- पूर्णिमा तिथि समापनः 17 अक्टूबर 2024 को दोपहर 4 बजकर 55 मिनट तक
शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा न सिर्फ 16 कलाओं के साथ चमकता है, इसके अलावा भी कई अन्य गुणों से परिपूर्ण माना जाता है. इन्हीं में से एक है शरद पूर्णिमा के अवसर चंद्रमा की किरणों में अद्भूत औषधीय गुण होता है. इसलिए इस दिन चंद्र किरणों को अमृतमयी माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन गाय के दूध से तैयार खीर को रात में खुले में रखा जाता है तो वह अमृत के समान कई औषधीय गुणों से परिपूर्ण हो जाता है. उस खीर को खाने से कई प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है. खासकर आंखों की ज्योति के लिए इसे लाभप्रद माना जाता है. शरद पूर्णिमा की पूरी रात रखे खीर को सुबह में नियमपूर्वक पूजा कर खाते हैं और घर-परिवार के लोगों के बीच प्रसाद स्वरूप वितरित करना चाहिए.