NIRJALA EKADASHI 2024:जून का महीना चल रहा है और इस जून के महीने में विशेष एकादशी पड़ रही है. जिसे निर्जला एकादशी के नाम से जाना जाता है. निर्जला एकादशी का बहुत ज्यादा महत्व है. इस दिन व्रत करना बहुत कठिन माना जाता है. जो विधि विधान से इस कड़े तप का पालन कर लेता है, उसे कई लाभ होते हैं.
निर्जला एकादशी कब ?
ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं की इस बार निर्जला एकादशी 18 जून 2024 दिन मंगलवार को पड़ रहा है. साल में जो 24 एकादशी होते हैं, उन सभी एकादशी में निर्जला एकादशी का विशेष महत्व है, क्योंकि भगवान विष्णु और लक्ष्मी माता जो इस समय क्षीर सागर में रहते हैं और क्षीर सागर में रहकर के वो इस निर्जला एकादशी के दिन बहुत प्रसन्न मुद्रा में रहते हैं. शास्त्रों में ऐसा उल्लेख है कि इस दिन जो लोग व्रत करते हैं. उन्हें लाभ ही लाभ होता है, उनकी हर मनोकामना पूरी होती है.
बहुत कठिन तप है निर्जला एकादशी
ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं की जो व्यक्ति निर्जला एकादशी का व्रत करता है, निर्जला यानी जल तक ग्रहण नहीं करता है. फल फूल आदि कुछ भी नहीं लेते हैं. सब कुछ उस दिन और रात के लिए त्याग देते हैं, पूरा दिन पूरी रात निर्जला व्रत करते हैं, उस दिन भक्ति का ऐसा प्रवाह होता है कि भक्ति में लोग ऐसे डूबे होते हैं की उस रात व्रत करने वाले रात भर सोते नहीं, बल्कि भजन कीर्तन करते रहते हैं. इस तरह से जो कठिन तपस्या करते हैं, जो निर्जला एकादशी का व्रत करते हैं. उनसे भगवान विष्णु और लक्ष्मी माता बहुत प्रसन्न होती हैं. उस घर में भगवान विष्णु की कृपा बरसती है. लक्ष्मी जी का आगमन होता है. जो निर्जला एकादशी का व्रत करते हैं. उस घर में एक वर्ष तक लक्ष्मीजी आकर बैठती हैं, धन-धान्य से वो घर भरा रहता है. किसी प्रकार की कोई बाधा नहीं आती है.
निर्जला एकादशी करने के फायदे
ज्योतिष आचार्य कहते हैं की निर्जला एकादशी के दिन जो तप करते हैं. विधि विधान से पूजा पाठ करते हैं, उसके कई लाभ हैं.
जो निर्जला एकादशी का व्रत करते हैं. 24 घंटे निर्जला व्रत करते हैं. उनके शरीर में किसी प्रकार का विकार उत्पन्न नहीं होता है. हमेशा स्वस्थ रहते हैं. धन आगमन के योग बनते हैं.
दूसरा निर्जला एकादशी के दिन जो तुलसी के 108 दल का माला बनाकर को जो विष्णु भगवान को समर्पित करते हैं, या शालिग्राम भगवान के ऊपर समर्पित करते हैं. उनको निर्जला एकादशी के दिन व्रत करने का पूर्ण फल मिलता है.