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जितिया व्रत की तारीख को लेकर न हों कंफ्यूज, यहां जानें सटीक मुहूर्त, पूजा-विधि - Jitiya Vrat 2024

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 4 hours ago

सितंबर महीने में महत्वपूर्ण व्रत जितिया पड़ रहा है. यह व्रत माताएं अपने बच्चों के लिए करती हैं. ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री से जितिया व्रत की तारीख, मुहूर्त और पूजा विधि जानिए.

JITIYA VRAT 2024
जितिया व्रत की तारीख को लेकर न हों कंफ्यूज (ETV Bharat)

Jitiya Vrat 2024: सितंबर का महीना चल रहा है, और इस महीने में जितिया व्रत का भी त्यौहार है. जो बहुत ही विशेष माना जाता है, क्योंकि ये व्रत माताएं अपने बच्चों के लिए करती हैं. जितिया व्रत कब करना है. इसे लेकर कंफ्यूजन हैं, कि 24 को होगा, या 25 सितंबर को होगा. साथ ही इसका मुहूर्त कब है ? पूजा विधि कैसी होगी ? ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री से जानते हैं.

जितिया व्रत की सही डेट ?

जितिया व्रत कब पड़ रहा है, सही डेट कब है, इसे लेकर लोगों में कंफ्यूजन है. हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को इस व्रत को रखा जाता है. जिसे जितिया व्रत के नाम से जाना जाता है. कुछ लोग इसे जिउतिया व्रत के नाम से भी जानते हैं. इस बार आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 24 सितंबर को दिन में लग जाएगी और 25 सितंबर को भी यह रहेगा. ऐसे में ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री कहते हैं कि शास्त्रों में उदया तिथि अक्सर मान्य होती है. ऐसे में 25 सितंबर को जितिया व्रत मनाया जाएगा और जो भी माताएं अपने बच्चों के लिए ये व्रत करना चाहती हैं. वो 25 सितंबर को इस व्रत को कर सकती हैं, क्योंकि वही दिन सबसे सटीक और अच्छा दिन है.

पुत्रों के लिए किया जाता है ये व्रत

ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि ये जितिया व्रत विशेष कर माताएं अपनी संतान की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए करती हैं. ये निर्जला व्रत होता है, ये प्रमुख रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार, और झारखंड में धूमधाम से मनाया जाता है, इसे जीवित्पुत्रिका व्रत के नाम से भी जानते हैं.

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मुहूर्त और पूजा विधि

जितिया व्रत के दिन पूजा विधि और मुहूर्त की बात करें तो सुबह 4:00 बजे से लेकर के 6:00 के बीच में इसकी विशेष पूजा करें, जो की फलदाई होता है. ये ब्रह्म मुहूर्त की पूजा कहलाती है. ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं, इस व्रत के लिए माताएं सुबह-सुबह उठकर नदी और तालाब जो भी हो, वहां जाएं और व्रत करने का संकल्प लें और स्नान करें फिर इसके बाद सूर्य भगवान को वहीं पर पानी में खड़े होकर अर्घ दें, सूर्यदेव की पूजा करें और फिर जिनको दान देना है पंडित पुरोहित उन्हें वहीं पर दान पुण्य करें. पकवान है मीठा है जो भी दान देना चाहते हैं, दान करें इससे पुण्य लाभ मिलता है और पूजा सफल होती है, और बच्चा दीर्घायु होता है, ऊर्जावान होता है, और उसका यश होता है.

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