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जानिए गंगा सप्तमी की पौराणिक मान्यता, मुहूर्त और उपाय - Ganga saptami or Jahnu saptami - GANGA SAPTAMI OR JAHNU SAPTAMI

Ganga saptami or Jahnu saptami : गंगा सप्तमी पर मोक्षदायिनी नदी मां गंगा में डुबकी लगाने से पाप धुल जाते हैं. Ganga saptami के दिन कई शुभ संयोग बन रहे हैं व सर्वार्थ सिद्धि योग भी है. इसलिए इस साल की Ganga saptami बेहद महत्वपूर्ण हो जाती है. Ganga jayanti . ganga saptami ka mahatva , ganga saptmi ,

JAHNU SAPTAMI OR GANGA SAPTAMI MYTHOLOGICAL STORY AND GANGA SAPTAMI MUHURTA RITUALS
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : May 13, 2024, 3:56 PM IST

Updated : May 14, 2024, 6:51 AM IST

हैदराबाद: हर साल वैशाख शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को गंगा सप्तमी मनाई जाती है. विशेष दिन पर देवी गंगा की पूजा की जाती है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि Ganga saptami के दिन मां गंगा का पुनर्जन्म हुआ था. भक्त इस दिन पवित्र स्नान करने, पूजा करने और देवी गंगा का आशीर्वाद पाने के लिए गंगा नदी के तट पर इकट्ठा होते हैं. इस साल की गंगा सप्तमी बेहद महत्वपूर्ण है, आज के दिन कई शुभ संयोग बन रहे हैं व सर्वार्थ सिद्धि योग भी है इसलिए इस साल की Ganga saptami बेहद महत्वपूर्ण हो जाती है. द्रिक पंचांग के अनुसार इस वर्ष गंगा सप्तमी 14 मई को मनाई जाएगी. गंगा सप्तमी का मध्याह्न मुहूर्त 14 मई को सुबह 10:56 से दोपहर 1:39 बजे तक है.

गंगा सप्तमी की मान्यता :Ganga saptami को गंगा जयंती के नाम से भी जाना जाता है. मां गंगा धरती पर पुनः अवतरित हुई थी. पौराणिक कथाओं के अनुसार जाह्नु ऋषि ने आज ही के दिन गंगा को अपने कान से मुक्त किया था इसलिए मां गंगा को जाह्नु ऋषि की पुत्री 'जाह्नवी' ( Janhvi ) के नाम से भी जाना जाता है और गंगा सप्तमी को Jahnu Saptami के नाम से भी जाना जाता है.

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गंगा सप्तमी का महत्व : वैसे तो गंगा स्नान का अपना ही महत्व है, लेकिन गंगा सप्तमी तिथि को गंगा स्नान करने का विशेष महत्व बताया गया है. लोगों का मानना है कि Ganga saptami के दिन स्नान करने से मनुष्य को सभी दुखों से मुक्ति मिलती है. उनके पाप धुल जाते हैं और पितृ दोष दूर होता है. पितृ दोष दूर करने के लिए इस दिन गंगा में डुबकी लगाने के साथ-साथ पितरों को अर्घ्य भी दिया जाता है.

Ganga saptami के दिन, भक्त सुबह-सुबह पवित्र गंगा नदी में डुबकी लगाकर शुरुआत करते हैं. स्नान करते वक्त हर हर गंगे, ॐ श्री गंगे नमः उच्चारण करते हुए स्नान करना चाहिए. गंगा में स्नान करते समय अपने देवी-देवताओं, सूर्य देव, पितरों और मां गंगा को सच्चे मन से याद करके गंगा में डुबकी लगानी चाहिए. पंचाक्षरी मंत्र और महा मृत्युंजय मंत्र का जाप भी करते हैं. फिर भक्त एक दिया जलाकर उसे नदी में प्रवाहित करते हैं. इस अनुष्ठान को दीपदान के रूप में जाना जाता है. वे मां गंगा को फूल-माला और मिठाई भी अर्पित करते हैं. Ganga saptmi के दिन भक्त गंगा नदी के तट पर शाम को दीपदान करते हैं.

Ganga saptami के दिन गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन, पानी और कपड़े का दान किया जाता है. गंगा सप्तमी के दिन हरिद्वार, ऋषिकेश और त्रिवेणी संगम जैसे कई स्थानों पर इस दिन विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है. मां गंगा का आशीर्वाद पाने के लिए विशेष आरती की जाती है. Ganga Saptami , ganga jayanti , ganga saptmi,ganga saptami ka mahatva, 14 may 2024 panchang , ganga saptami 2024 , ganga saptami kab ki hai , ganga dussehra , saptami in may 2024 , ganga dussehra , ganga saptami kab hai , ganga goddess , 14 may , ganga dashara kab ka hai , ganga saptami ka mahatva das

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Last Updated : May 14, 2024, 6:51 AM IST

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