हैदराबाद: हिंदू धर्म में भाई दूज का त्योहार होली और दीपावली के दूसरे दिन मनाया जाता है. अर्थात वर्ष में एक बार शुक्ल पक्ष की द्वितीया और एक बार कृष्ण पक्ष की द्वितीया को भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है. होली का त्योहार चैत्र कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा को मनाया जाता है. इस दिन रंग खेलने के बाद अगले दिन अर्थात चैत्र कृष्ण पक्ष की द्वितीया को बहनें अपने भाई की सुख-समृद्धि और लंबी आयु की कामना को लेकर भाई दूज का त्यौहार मानती हैं.
मुख्य रूप से इस दिन पहले भाई को तिलक कर उसकी आरती उतारती हैं और भगवान से उसकी लंबी उम्र की प्रार्थना करती हैं. इस त्योहार को मानने से भाई बहनों के बीच स्नेह बढ़ता है. विशेषकर जो विवाहित बहनें अपने भाई से दूर रहती हैं, उनके लिए वर्ष के दोनों भाई दूज और रक्षाबंधन अति महत्वपूर्ण हो जाते हैं. इस त्योहार को अन्य नामों जैसे कि भातृ द्वितीया, भाऊ बीज, भाई द्वितीय के नाम से भी जानते हैं.
भाई दूज पर ऐसे लगाएं तिलक
सबसे पहले इस दिन भाई-बहन सुबह स्नान आदि से निवृत होकर साफ-स्वच्छ वस्त्र धारण करें. उसके बाद बहन केसर और लाल चंदन से तिलक तैयार करे. एक थाली में रोली, अक्षत, नारियल और दीपक रखें. इसके साथ ही थाली में कुछ मिष्ठान एवं सुपारी भी रखें. सबसे पहले प्रथम पूज्य भगवान गणेश की पूजा-आराधना करें, उन्हें तिलक लगाएं उसके बाद भगवान श्री हरि विष्णु को तिलक लगाएं. इसके साथ ही घर में स्थापित अन्य देवी देवताओं की पूजा कर भाई को तिलक लगाने की तैयारी करें.
अपने भाई को एक लकड़ी के पाट या किसी ऊन के आसन पर बिठाएं. ध्यान रखें भाई का मुख उत्तर अथवा पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए. इसके बाद भाई के मस्तक पर टिका लगाएं, उसके ऊपर अक्षत चावल लगाएं. टीका लगाने के बाद बहन, भाई के हाथों में रक्षा सूत्र/कलावा बांधे और उसे मिष्ठान खिलाकर उसका मुंह मीठा करे. फिर उसकी आरती करें और भगवान से भाई की सुख-समृद्धि और लंबी आयु की प्रार्थना करें. उसके साथ ही, भाई भी अपनी बहन की सुख-समृद्धि की कामना करते हुए उसको अपना आशीर्वाद प्रदान करे और बहन को उपहार स्वरूप कुछ धन या कोई वस्तु जरूर दे.