प्रयागराजःमहाकुंभ में मौनी अमवस्या पर भीड़ इतनी उमड़ी कि तिल रखने की जगह नहीं थी.हर कोई अमृत स्नान करने के लिए आतुर था. खोने के डर से एक दूसरे का हाथ पकड़कर संगम नोज की तरफ बढ़ रहे थे. वहीं, ब्रह्ममुहूर्त में सबसे पहले स्नान करने के लिए रेती पर इतने ही लोग लेटे हुए थे. इसी बीच भीड़ का एक हिस्सा बेरिकेड तोड़कर संगम नोज की तरफ भागा. फिर चारों तरफ अफरा-तफरी मच गई. जो जमीन पर लेटे थे भीड़ उनको रौंदते आगे बढ़ती गई. जो लेटे थे वह उठ नहीं सके. अमृत स्नान कर मोक्ष की प्राप्ति करने वााली भीड़ जान बचाकर भागने लगी. भक्तिममय माहौल चीत्कार में बदल गई. हर तरफ औरतों-बच्चों और बुजुर्गों के रोने-चीखने की आवाज आने लगी. यह मंजर मंगलवार-बुधवार रात 1 से 2 बजे बीच का था.
अभी तक 14 शव पहुंच चुके गांवःभगदड़ और चीख-पुकार के बीच शुरू हुआ रेस्क्यू ऑपरेशन जो पूरे दिन चलता रहा है. बुधवार देर शाम प्रशासन ने 30 लोगों की मौत और 60 लोगों के घायल होने का दावा किया. हालांकि इस आंकड़े पर सवाल उठ रहे हैं. क्योंकि भगदड़ के बाद से सैकड़ो लोग गायब हैं और परिजन रोते-बिलखते ढूंढ रहे हैं. उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जिलों के 14 श्रद्धालुओं के शव अभी तक उनके गांव पहुंच चुके हैं, जिनका अंतिम संस्कार कर दिया गया है. शवों के साथ पहुंचे परिजन और रिश्तेदार भगदड़ का मंजर बताते और याद करते हुए रो पड़ रहे हैं.
बलिया के मां-बेटी समेत चार श्रद्धालुओं की मौतःबलिया के केनगरा थाना के चचयां गांव की रिंकी सिंह(38) और मीरा सिंह(52) की भगदड़ में मौत हो गई हैं. फेफना थाना क्षेत्र के नसीराबाद गांव की 12 वर्षीय रोशनी और उसकी मां रीना सिंह की भी भगदड़ के दौरान जान चली गई. प्रयागराज में पोस्टमार्टम के बाद चारों शव गुरुवार की सुबह पहुंचा और दोपहर तक अंतिम संस्कार कर दिया गया. साथ गए लोगों का कहना है कि यह महाकुंभ जिंदगी भर नहीं भूलेगा. अपने सामने ही लोगों को मरते हुए देखा था.
जौनपुर के 2 लोगों की गई जानःजौनपुर के मड़ियाहू तहसील के इटाएं बाजार के बगल पूरवा गांव की दो महिलाओं की मौत हो गई है. रामपति देवी और रीता देवी के शवों का पोस्टमार्टम के बाद गुरुवार की सुबह आया और दोपहर बाद अंतिम संस्कार किया. दोनों महिलाओं की मौत पर परिजन गमगीन है.
मंजू देवी के शव पर सैकड़ों जूते-चप्पलों के निशानःभगदड़ में लखनऊ की 58 साल की मंजू पांडे की भी मौत हो गई है. इंदिरानगर सेक्टर आठ के रहने वाले एचएएल से रिटायर्ड इंजीनियर त्रिभुवन नारायण पाण्डेय मौनी अमावस्या के स्नान पर्व पर अपनी पत्नी मंजू पांडे के साथ प्रयागराज महाकुंभ गए थे. 28-29 जनवरी की रात संगम नोज के पास मची भगदड़ की चपेट में दोनो पति पत्नी आ गए. इस हादसे में मंजू पांडे की मौत हो गई. मंजू पाण्डेय के बेटे अभिषेक बताते है कि, माता पिता 27 जनवरी को यह कह कर निकले थे कि इस बार महाकुम्भ में संगम स्नान कर ले क्योंकि यह आखिरी कुम्भ होगा. त्रिभुवन बताते है कि जब अचानक भगदड़ मची तो हम दोनों उसी जगह मौजूद थे. अचानक भीड़ हम लोगों के ऊपर से गुजरने लगी. मंजू ने मेरा हाथ पकड़ लिया. लेकिन भीड़ के दबाव में हाथ छूट गया. इसी बीच किसी पुलिसकर्मी ने उनका हाथ खींच कर भीड़ से निकाल लिया और उन्हें अस्पताल पहुंचाया गया. रिश्तेदार की मदद से हॉस्पिटल में मंजू की तलाश करवाई लेकिन उसकी लाश मिली. मंजू के शरीर पर सैकड़ो जूतों और चप्पलों के निशान बने हुए थे. उनके दांत भी टूट गए थे.
आजमगढ़ की दो महिला और एक बुजुर्ग की गांव पहुंची लाशःआज़मगढ़ के तीन लोगों की भी जान भगदड़ में चली गई है.कप्तानगंज थाना क्षेत्र के गोपालगंज खालिसपुर गांव के रहने वाले दयाशंकर सिंह (67) की भी मौत हो गई थी. शुक्रवार को पुलिस ने बुजुर्ग के शव को परिजनों को सौंप दिया है. शव लाए जाने के बाद गांव में मातम छा गया. सरायमीर थाना क्षेत्र के रसूलपुर बरवा गांव निवासी कमलावती चौहान (53) पत्नी बृजलाल चौहान 28 जनवरी को अपनी बेटी आकांक्षा व उसकी छह माह की बेटी अछिता और बहू सुषमा सहित कुल 10 लोग महाकुंभ में गई थीं. इसी दौरान अमृत स्नान के समय भीड़ अनियंत्रित हो गई. इस हादसे में कमलावती चौहान का हाथ उनकी बेटी और बहू से छूट गया. हादसे में किसी तरह आकांक्षा ने अपने छह माह की बेटी को तो बचा लिया लेकिन मां को नहीं बचा सकी. इस हादसे में कमलावती चौहान की मौत हो गई