नई दिल्ली: ऐसी खबरें आ रही हैं कि पूर्व विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा का नाम अमेरिका में भारत के नए राजदूत के रूप में वाशिंगटन भेजा गया है. यह पहली मौका होगा जब नरेंद्र मोदी सरकार किसी राजनीतिक नियुक्ति के जरिए पश्चिमी शक्ति के साथ शीर्ष स्तर पर कूटनीतिक जुड़ाव स्थापित करेगी.1988 बैच के भारतीय विदेश सेवा (IFS) अधिकारी क्वात्रा इस महीने की शुरुआत में विदेश सचिव के पद से रिटायर हुए थे.
15 जुलाई को उनकी जगह विक्रम मिसरी ने ली, जो उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में काम कर चुके हैं. क्वात्रा की नियुक्ति मौजूदा मोदी सरकार की उस परंपरा से अलग है, जिसमें किसी सेवारत आईएफएस अधिकारी को अमेरिका में राजदूत नियुक्त किया जाता है. क्वात्रा उस पद को भरेंगे जो 1988 बैच के एक अन्य आईएफएस अधिकारी तरनजीत सिंह संधू के सेवानिवृत्त होने के बाद से खाली पड़ा है.
सेवानिवृत्ति के बाद अमेरिका में शीर्ष भारतीय राजनयिक के पद पर क्वात्रा की नियुक्ति को राजनीतिक रूप से देखा जा रहा है. हालांकि, राजनयिक पदों पर राजनीतिक नियुक्तियां असामान्य नहीं हैं, लेकिन यह पहली बार है कि मोदी सरकार ने 2014 में सत्ता में आने के बाद से अमेरिका के लिए यह विकल्प चुना है, जिसके साथ भारत एक व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी साझा करता है.
रिटायर होने के बाद निरुपमा राव बनी थीं राजदूत
इससे पहले 2011 में भी भारत सरकार ने निरुपमा राव को विदेश सचिव के पद से रिटायर होने के बाद इस प्रतिष्ठित पद के लिए नामित किया था. हालांकि, उनके बाद वर्तमान विदेश मंत्री एस जयशंकर, अरुण कुमार सिंह, नवतेज सरना, हर्षवर्धन श्रृंगला और तरनजीत सिंह संधू ने कार्यभार संभाला, जो सभी सेवारत आईएफएस अधिकारी थे.
कंवल सिब्बल और रंजन मथाई भी बने राजदूत
वैसे रिटायर आईएफएस अधिकारियों की महत्वपूर्ण राजदूत पदों पर नियुक्ति कोई नई बात नहीं है. निरुपमा राव के अलावा कंवल सिब्बल और रंजन मथाई को भी राददूत नियुक्त किया गया था . 1966 बैच के आईएफएस अधिकारी सिब्बल नवंबर 2003 में विदेश सचिव के पद से सेवानिवृत्त हुए. इसके बाद, वे 2004 में रूस में भारत के राजदूत रहे, जहां उन्होंने 2007 तक काम किया.
कंवल सिब्बल का शानदार कैरियर
सिब्बल का भारतीय विदेश सेवा में लंबा और शानदार कैरियर रहा है, वे 1966 में भारतीय विदेश सेवा में शामिल हुए और उन्होंने तुर्की, मिस्र और फ्रांस में राजदूत सहित विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया. सिब्बल को रूस-भारत संबंधों की गहरी जानकारी थी, जो भारत की विदेश नीति का एक महत्वपूर्ण पहलू है.
रूस भारत के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार है, खासकर रक्षा, ऊर्जा और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति जैसे क्षेत्रों में. ऐसे में कंवल सिब्बल जैसे अनुभवी राजनयिक का होना इस रिश्ते को संभालने और बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण था. उनकी बातचीत की स्किल और अंतरराष्ट्रीय समकक्षों के साथ प्रभावी ढंग से जुड़ने की क्षमता उनकी नियुक्ति में अहम फैक्टर थे.