नई दिल्ली: भारत, रूस में बनाए जा रहे गाइडेड-मिसाइल वॉरशिप और S-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम के बचे हुए दो स्क्वाड्रनों की डिलीवरी का इंतजार कर रहा है. इस बीच सोमवार को दोनों देशों ने पंतसीर एयर डिफेंस मिसाइल-गन सिस्टम के संयुक्त निर्माण के लिए एक समझौता किया. इसे रक्षा क्षेत्र में नई दिल्ली की आत्मनिर्भर भारत पहल के लिए बढ़ावा माना जा रहा है.
भारत की भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (BDL) ने मंगलवार को नई दिल्ली में होने वाली भारत-रूस इंटर-गवर्नमेंट कमिशन (IRIGC) की बैठक से पहले रूस की रोसोबोरोन एक्सपोर्ट (ROE) के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए.
BDL ने सोमवार को अपने एक्स हैंडल पर पोस्ट किया, "भारत डायनेमिक्स लिमिटेड और रोसोबोरोन एक्सपोर्ट, रूस ने पंतसीर वेरिएंट, एयर डिफेंस मिसाइल-गन सिस्टम पर सहयोग के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए." गोवा में 5वें IRIGC सबग्रुप के दौरान कमोडोर ए माधवराव (रिटायर), सीएमडी, बीडीएल और कोवलेंको जर्मन, डीडीजी, नौसेना विभाग, आरओई द्वारा समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए."
IRIGC के दो डिविजन हैं. पहले डिवीजन में आने वाले व्यापार, आर्थिक, वैज्ञानिक, तकनीकी और सांस्कृतिक सहयोग (IRIGC-TEC), जिसकी सह-अध्यक्षता भारत की ओर से विदेश मंत्री एस जयशंकर और रूस की ओर से उप प्रधानमंत्री डेनिस मंटुरोव करते हैं. वहीं दूसरे डिविजन में आने वाले सैन्य और सैन्य-तकनीकी सहयोग (IRIGC-M&MTC) की अध्यक्षता दोनों देशों के रक्षा मंत्री करते हैं.
पंतसीर मिसाइल सिस्टम के संयुक्त निर्माण के समझौते को इस साल जुलाई में मास्को में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच वार्षिक भारत-रूस द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन के परिणाम के रूप में देखा जा सकता है. शिखर सम्मेलन के बाद जारी एक संयुक्त बयान में मेक इन इंडिया पहल के तहत डिफेंस इक्विपमेंट के संयुक्त निर्माण का आह्वान किया गया था.
भारत और रूस दोनों देश एक विशेष और रणनीतिक साझेदारी साझा करते हैं. रूस उन दो देशों में से एक है, जिनके साथ भारत वार्षिक द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन आयोजित करता है. वहीं, दूसरा जापान है.
जुलाई में आयोजित शिखर सम्मेलन के बाद जारी संयुक्त बयान में उल्लेख किया गया कि दोनों पक्षों ने टेक्नोनॉजी ट्ंरासफर और भारतीय सशस्त्र बलों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए संयुक्त उद्यमों की स्थापना के माध्यम से मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत रूसी मूल के हथियारों और रक्षा उपकरणों के रखरखाव के लिए स्पेयर पार्ट्स, कंपोनेंट, समुच्चयों और अन्य उत्पादों के भारत में ज्वाइंट मैन्युफैक्चरिंग को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ पक्षों की मंजूरी से पारस्परिक रूप से मित्रवत तीसरे देशों को निर्यात करने पर सहमति व्यक्त की.
सोमवार को पंतसीर मिसाइल सिस्टम के संयुक्त निर्माण पर सहमति जयशंकर के इस बयान के बाद बनी है कि कारोबार को बढ़ाने के लिए मेक इन इंडिया कार्यक्रम के प्रति रूस की बढ़ती प्रशंसा निश्चित रूप से कई क्षेत्रों में हमारे सहयोग को आगे बढ़ाने में मदद करेगी. जयशंकर ने यह बात मुंबई में भारत-रूस व्यापार मंच को संबोधित करते हुए कही. इस अवसर पर रूस के उप प्रधानमंत्री मंटुरोव भी मौजूद थे.
पंतशीर एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम क्या है?
पंतशीर मिसाइल सिस्टम स्व-चालित, मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल और एंटी-एयरक्राफ्ट आर्टिलरी सिस्टम की एक फैमिली है. इस सिस्टम को तीन प्रकार के वाहन मिलकर बनाते हैं. इसमें एक मिसाइल लॉन्चर, एक रडार ट्रक और एक कमांड पोस्ट शामिल है.
पंतसीर-एस1 को मिलिटरी, इंडस्ट्रियल और एडमिनिस्ट्रेटिव इंस्टॉलेशन विमानों, हेलीकॉप्टरों, सटीक हथियारों, क्रूज मिसाइलों और निहत्थे हवाई वाहनों (UAVs) के खिलाफ हवाई रक्षा प्रदान करने के डिजाइन किया गया है. खासकर निम्न से अत्यंत निम्न ऊंचाई पर सटीक हथियारों का उपयोग करने वाले दुश्मन के हवाई हमलों के खिलाफ. रिपोर्ट्स की मानें तो रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच पुतिन को यूक्रेनी ड्रोन हमलों से बचाने में पंतसीर मिसाइल सिस्टम अहम भूमिका निभा रहा है.
पंतसीर -एस1 में बारह छोटी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें हैं, जिन्हें कैनिस्टर से वर्टिकली लॉन्च किया जाता है. ये मिसाइलें 20 किलोमीटर तक की दूरी और 15 किलोमीटर तक की ऊंचाई पर लक्ष्यों को भेदने में सक्षम हैं. वे रेडियो-कमांड मार्गदर्शन का उपयोग करते हैं और उनकी अधिकतम गति लगभग 1,300 मीटर प्रति सेकंड है, जिससे वह तेज गति से चलने वाले लक्ष्यों को रोक सकती हैं.
मिसाइलों के अलावा, पंतसीर-एस1 दो 30 मिमी ऑटो-कैनन से लैस है. इन कैनन की प्रभावी रेंज चार किलोमीटर है और ये बहुत तेज गति से फायर कर सकती हैं, जिससे यह कम ऊंचाई पर, धीमी गति से चलने वाले हवाई खतरों को निशाना बनाने के लिए आदर्श हैं, जिन्हें मिसाइलों को प्रभावी ढंग से रोकने में कठिनाई हो सकती है, जैसे कि छोटे ड्रोन.