केंद्रीय सड़क, परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में नागपुर में आयोजित सड़क सुरक्षा कार्यक्रम में एक बड़ी घोषणा की, उन्होंने रोड एक्सीडेंट में घायलों की मदद करने वालों के लिए इनाम में बढ़ोतरी की घोषणा की. इसके साथ ही कहा कि घायल दुर्घटना पीड़ितों की सहायता करने वाले अच्छे लोगों को मौजूदा इनाम से पांच गुना अधिक 25,000 रुपये का इनाम दिया जाएगा. गडकरी ने आगे कहा कि 5,000 रुपये का मौजूदा इनाम उन लोगों के लिए पर्याप्त नहीं है जो सड़क दुर्घटना के पीड़ितों को घटना के बाद महत्वपूर्ण गोल्डन ऑवर के भीतर अस्पताल पहुंचाते हैं. मंत्री ने आगे बताया कि सरकार अब दुर्घटनाओं में घायल व्यक्तियों के लिए पहले सात दिनों के लिए 1.5 लाख रुपये तक के अस्पताल खर्च को कवर करेगी.
ऐसे में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी की गोल्डन ऑवर के भीतर अस्पताल पहुंचे वाली स्पीच सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने सड़क दुर्घटनाओं को कम करने की कोशिश की है, लेकिन इस संबंध में विफल रही है. मंत्री की बातें इसलिए भी अहम हैं क्योंकि भारत में हर साल सड़क हादसों में 1.5 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो जाती है. ऐसे में इस खबर में जानिए कि आप सड़क दुर्घटना में लोगों के लिए देवदूत कैसे बन सकते हैं. कैसे आप भी इस 25 हजार रुपये का इनाम राशि जीत सकते हैं और क्या होता है गोल्डन ऑवर?
बेहद खास है गोल्डन ऑवर
गोल्डन ऑवर वह होता है जब सड़क दुर्घटना के तुरंत बाद 60 मिनट के भीतर मरीज को अस्पताल ले जाया जाए या चिकित्सा देखभाल प्रदान की जाए. साफ शब्दों में समझे तो, गोल्डन ऑवर रोड एक्सीडेंट के बाद का महत्वपूर्ण एक घंटा होता है, जिसके दौरान इमरजेंसी सेवाओं द्वारा तुरंत प्रतिक्रिया जीवन बचाने के मामले में निर्णायक हो सकती है. जब कोई व्यक्ति दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल होता है, तो उसके लिए हर मिनट मायने रखता है, जितनी जल्दी उसे चिकित्सा सहायता मिलती है, उसके बचने और ठीक होने की संभावना उतनी ही बेहतर होती है.
बता दें, गोल्डन ऑवर की कांसेप्ट 1960 में डॉ. एडम काउली द्वारा लाई गई थी, जिन्होंने इस बात पर जोर दिया था कि जीवन या मृत्यु के मामले में पहले 60 मिनट कितने महत्वपूर्ण होते हैं. भले ही घातक परिणाम तत्काल न हो, लेकिन तुरंत कार्रवाई के बिना शरीर को अपरिवर्तनीय क्षति हो सकती है. यह सिद्धांत केवल सड़क दुर्घटनाओं पर ही लागू नहीं होता है, यह चिकित्सा आपात स्थितियों, जैसे स्ट्रोक या गंभीर आघात की स्थितियों में भी प्रासंगिक है, जहां प्रतिक्रिया समय महत्वपूर्ण होता है.
इस बात का ख्याल रखें कि गोल्डन आवर के दौरान घायल व्यक्ति को किसी बड़े अस्पताल में ले जाना जरूरी नहीं है, बल्कि किसी भी नजदीकी अस्पताल में प्राथमिक उपचार देना पर्याप्त है. भारत में समस्या यह है कि सड़क दुर्घटना के गोल्डन आवर के दौरान लोगों की भीड़ लग जाती है, जो लगाना नहीं लगानी चाहिए. क्योंकि, इससे मरीज को इलाज मिलने में देरी हो जाती है और ऐसे में कई बार मरीज की जान भी चली जाती है.